रायपुर : आय से अधिक संपत्ति और राजद्रोह के मामले में फंसे निलंबित आईपीएस अफसर जीपी सिंह के खिलाफ कोतवाली पुलिस बिना गिरफ्तारी के कोर्ट पहुंच गई. न्यायिक दंडाधिकारी प्रथम श्रेणी न्यायाधीश ओम प्रकाश साहू की अदालत में पुलिस ने 400 पन्नों का चालान पेश किया है. कोर्ट में पेश किए गए चालान में पुलिस ने दावा किया है कि आईपीएस के रायपुर स्थित सरकारी बंगले में प्रदेश के सभी विधानसभाओं की सर्वे रिपोर्ट मिली है. इसमें कौन से विधानसभा क्षेत्र में सरकार की क्या स्थिति है और किस विधानसभा क्षेत्र में जनप्रतिनिधियों के खिलाफ लोगों में नफरत कैसे पैदा की जा सकती है, इसका जिक्र है.
जीपी ने छापे के दौरान 12 पन्ने फाड़कर फेंके
निलंबित आईपीएस अफसर जीपी सिंह के घर एसीबी ने 1 जुलाई को छापा मारा था. चालान में पुलिस ने दावा किया है कि बंगले से 46 पन्ने और डायरी मिले हैं. इनमें ज्यादार पन्नों में जाति और समुदाय का जिक्र किया गया है. इसमें कैसे एक-दूसरे को आपस में उलझाया जाए, इसकी पूरी तरकीब लिखी थी. इसके अलावा जीपी सिंह ने 12 पन्नों को छापे के दौरान दौड़ते हुए पीछे की ओर गए और दीवार के उस पार गटर में फेंका दिया. जीपी को दस्तावेज फेंकते हुए एसीबी के दो कर्मचारियों ने देख लिया. वे तुरंत पीछे गए और गटर से दस्तावेज निकाले.
विभिन्न धर्मों व जातियों में घृणा भड़काने का आरोप
पुलिस द्वारा कोर्ट में पेश चालान में लिखा है कि जीपी सिंह के बंगले से मिले दस्तावेज और डायरियो में विभिन्न धर्मों और जातियों के बीच घृणा व शत्रुता फैलाने के आरोप हैं. इसके साथ ही उन पर अपने करीबियों के माध्यम से शत्रुता, घृणा, वैमनस्य और नफरत भी फैलाने के आरोप हैं. इस पर पुलिस ने निलंबित अफसर जीपी सिंह के खिलाफ धारा 505 (2) को अतिरिक्त जोड़ा है. कहा जा रहा है कि इस मामले में भी जीपी सिंह की मुश्किलें और बढ़ सकती हैं.
23 को फरारी साक्ष्य पेश करेगी पुलिस
जानकारी के मुताबिक पुलिस 23 अगस्त को जीपी सिंह के खिलाफ कोर्ट में फरारी साक्ष्य पेश कर सकती है. जिसमें पुलिस का बयान लिया जाएगा. इसके बाद ही आरोपी को कोर्ट फरार घोषित करेगी. बता दें कि इससे पहले पुलिस ने दो बार नोटिस जारी कर थाने में बयान दर्ज कराने के लिए उपस्थित होने के लिए कहा था, लेकिन एक बार कोरोना संक्रमित होने और दूसरी बार टाइफाइड होने का हवाला देते हुए वे नहीं पहुंचे. उन्होंने वकील के माध्यम से अस्पताल में भर्ती होने का हवाला दिया था. पुलिस ने जब उस अस्पताल की सीसीटीवी कैमरे खंगाले तो उसमें वे कहीं नजर नहीं आए.