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वर्धा की तर्ज पर नवा रायपुर में स्थापित होगा 21वीं सदी का सेवा-ग्राम, ओपेन थियेटर में होंगे सांस्कृतिक कार्यक्रम

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Published : Sep 15, 2021, 1:12 PM IST

महात्मा गांधी की ग्राम-स्वराज की संकल्पना को अक्षुण्ण रखने के लिए नवा-रायपुर में भी वर्धा की तर्ज पर सेवा-ग्राम की स्थापना की जाएगी. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इसके लिए नवा-रायपुर में 75 से 100 एकड़ की जमीन चिह्नित करने के निर्देश दिये हैं.

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नवा रायपुर

रायपुर : आजादी के 75वें वर्ष (75th year of independence) में आजादी की लड़ाई के मूल्यों, सिद्धांतों, आदर्शों तथा महात्मा गांधी की ग्राम-स्वराज (Mahatma Gandhi Gram Swaraj) की संकल्पना को अक्षुण्ण रखने के लिए नवा-रायपुर में भी वर्धा की तर्ज पर सेवा-ग्राम की स्थापना की जाएगी. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (Chief Minister Bhupesh Baghel) ने इसके लिए नवा-रायपुर में 75 से 100 एकड़ की जमीन चिह्नित करने के निर्देश दिये हैं. उन्होंने कहा है कि संस्थान में ग्रामीण अर्थव्यवस्था (Rural economy) को सुदृढ़ करने एवं आत्मनिर्भर-ग्राम की कल्पना को साकार करने के लिए सभी प्रकार के कारीगरों के प्रशिक्षण की व्यवस्था का प्रावधान भी किया जाए. मुख्यमंत्री ने आगामी 02 अक्टूबर से पहले इस संबंध में कार्ययोजना प्रस्तुत करने के निर्देश दिये हैं.

मिट्टी, चूना-पत्थर जैसी प्राकृतिक वस्तुओं से होगा सेवा-ग्राम का निर्माण

गौरतलब है कि इस परियोजना के पीछे महाराष्ट्र के वर्धा में स्थित सेवाग्राम है. इसकी स्थापना वर्ष 1936 में महात्मा गांधी और उनकी सहधर्मिणी कस्तूरबा के निवास के रूप की गई थी, ताकि वहां से वे मध्य भारत में स्वतंत्रता आंदोलन का नेतृत्व कर सकें. वर्धा का यह संस्थान महात्मा गांधी के सपनों के अनुरूप ग्रामीण भारत के पुननिर्माण का केंद्र भी था. बापू का मानना था कि भारत की स्थितियों में स्थायी रूप से सुधार के लिए ग्राम-सुधार ही एकमात्र विकल्प है. अब 21वीं सदी में महात्मा गांधी के उन्हीं सपनों के अनुरूप ग्राम-सुधार के कार्य को आगे बढ़ाने के लिए नवा-रायपुर में सेवा-ग्राम की स्थापना की जा रही है. इस सेवा-ग्राम का निर्माण मिट्टी, चूना, पत्थर जैसी प्राकृतिक वस्तुओं से किया जाएगा. यह परियोजना गांधी-दर्शन को याद रखने और सीखने की प्रेरणा देगी. साथ ही स्वतंत्रता आंदोलन की यादों और राष्ट्रीय इतिहास को भी इसके माध्यम से जीवंत रखा जा सकेगा.

सभी प्रकार के कारीगरों के प्रशिक्षण की होगी व्यवस्था

रायपुर में प्रस्तावित सेवाग्राम में गांधीवादी सिद्धांतों, ग्रामीण कला और शिल्प के केंद्र विकसित किये जाएंगे. साथ ही अतिथि विषय विशेषज्ञों द्वारा मार्गदर्शन दिया जाएगा. वहां वृद्धाश्रम तथा वंचितों के लिए स्कूल भी स्थापित होंगे. इसका उद्देश्य पर्यटन के अवसरों को बढ़ा देकर छत्तीसगढ़ की लोक कलाओं को प्रोत्साहन देते हुए बुजुर्गों को दूसरा-घर देकर और वैचारिक आदान-प्रादन के लिए छत्तीसगढ़ में एक विश्वस्तरीय व्यवस्था का निर्माण कर लोगों का सशक्तीकरण करना है. सेवा-ग्राम में प्रस्तावित 'विजिटर्स सेंटर' सीखने, निर्वाह करने और गांधी के सिद्धांतों का स्मरण करने का यह केंद्र जगह होगा.

सेवा ग्राम में एक ओपेन थियेटर भी होगा

छत्तीसगढ़ अपनी विशिष्ट कला और शिल्प के लिए जाना जाता है. छत्तीसगढ़ के बस्तर, रायगढ़ और अन्य जिलों में बेल मेटल, लौह, टेराकोटा, पत्थर, कपड़े और बांस का उपयोग करके विभिन्न कलात्मक वस्तुओं का निर्माण किया जाता है. सेवाग्राम एक ऐसा स्थान होगा, जहां आगंतुक स्थानीय कला और शिल्प तथा स्थानीय व्यंजनों को बारे में जान सकेंगे. इसके अलावा सेवा ग्राम में एक ओपेन थियेटर भी होगा, जहां सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किये जाएंगे.

रायपुर : आजादी के 75वें वर्ष (75th year of independence) में आजादी की लड़ाई के मूल्यों, सिद्धांतों, आदर्शों तथा महात्मा गांधी की ग्राम-स्वराज (Mahatma Gandhi Gram Swaraj) की संकल्पना को अक्षुण्ण रखने के लिए नवा-रायपुर में भी वर्धा की तर्ज पर सेवा-ग्राम की स्थापना की जाएगी. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (Chief Minister Bhupesh Baghel) ने इसके लिए नवा-रायपुर में 75 से 100 एकड़ की जमीन चिह्नित करने के निर्देश दिये हैं. उन्होंने कहा है कि संस्थान में ग्रामीण अर्थव्यवस्था (Rural economy) को सुदृढ़ करने एवं आत्मनिर्भर-ग्राम की कल्पना को साकार करने के लिए सभी प्रकार के कारीगरों के प्रशिक्षण की व्यवस्था का प्रावधान भी किया जाए. मुख्यमंत्री ने आगामी 02 अक्टूबर से पहले इस संबंध में कार्ययोजना प्रस्तुत करने के निर्देश दिये हैं.

मिट्टी, चूना-पत्थर जैसी प्राकृतिक वस्तुओं से होगा सेवा-ग्राम का निर्माण

गौरतलब है कि इस परियोजना के पीछे महाराष्ट्र के वर्धा में स्थित सेवाग्राम है. इसकी स्थापना वर्ष 1936 में महात्मा गांधी और उनकी सहधर्मिणी कस्तूरबा के निवास के रूप की गई थी, ताकि वहां से वे मध्य भारत में स्वतंत्रता आंदोलन का नेतृत्व कर सकें. वर्धा का यह संस्थान महात्मा गांधी के सपनों के अनुरूप ग्रामीण भारत के पुननिर्माण का केंद्र भी था. बापू का मानना था कि भारत की स्थितियों में स्थायी रूप से सुधार के लिए ग्राम-सुधार ही एकमात्र विकल्प है. अब 21वीं सदी में महात्मा गांधी के उन्हीं सपनों के अनुरूप ग्राम-सुधार के कार्य को आगे बढ़ाने के लिए नवा-रायपुर में सेवा-ग्राम की स्थापना की जा रही है. इस सेवा-ग्राम का निर्माण मिट्टी, चूना, पत्थर जैसी प्राकृतिक वस्तुओं से किया जाएगा. यह परियोजना गांधी-दर्शन को याद रखने और सीखने की प्रेरणा देगी. साथ ही स्वतंत्रता आंदोलन की यादों और राष्ट्रीय इतिहास को भी इसके माध्यम से जीवंत रखा जा सकेगा.

सभी प्रकार के कारीगरों के प्रशिक्षण की होगी व्यवस्था

रायपुर में प्रस्तावित सेवाग्राम में गांधीवादी सिद्धांतों, ग्रामीण कला और शिल्प के केंद्र विकसित किये जाएंगे. साथ ही अतिथि विषय विशेषज्ञों द्वारा मार्गदर्शन दिया जाएगा. वहां वृद्धाश्रम तथा वंचितों के लिए स्कूल भी स्थापित होंगे. इसका उद्देश्य पर्यटन के अवसरों को बढ़ा देकर छत्तीसगढ़ की लोक कलाओं को प्रोत्साहन देते हुए बुजुर्गों को दूसरा-घर देकर और वैचारिक आदान-प्रादन के लिए छत्तीसगढ़ में एक विश्वस्तरीय व्यवस्था का निर्माण कर लोगों का सशक्तीकरण करना है. सेवा-ग्राम में प्रस्तावित 'विजिटर्स सेंटर' सीखने, निर्वाह करने और गांधी के सिद्धांतों का स्मरण करने का यह केंद्र जगह होगा.

सेवा ग्राम में एक ओपेन थियेटर भी होगा

छत्तीसगढ़ अपनी विशिष्ट कला और शिल्प के लिए जाना जाता है. छत्तीसगढ़ के बस्तर, रायगढ़ और अन्य जिलों में बेल मेटल, लौह, टेराकोटा, पत्थर, कपड़े और बांस का उपयोग करके विभिन्न कलात्मक वस्तुओं का निर्माण किया जाता है. सेवाग्राम एक ऐसा स्थान होगा, जहां आगंतुक स्थानीय कला और शिल्प तथा स्थानीय व्यंजनों को बारे में जान सकेंगे. इसके अलावा सेवा ग्राम में एक ओपेन थियेटर भी होगा, जहां सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किये जाएंगे.

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