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SPECIAL: छत्तीसगढ़ में मनरेगा बना 'संजीवनी', देश में मजदूरों को सबसे ज्यादा मिला काम

कोरोना वायरस के संक्रमण के कारण किए गए लॉकडाउन में गरीब और निचले तबके के लोग ही सबसे ज्यादा प्रभावित हैं, जिसे देखते हुए सरकार ने मनरेगा के तहत काम शुरू करा दिया है. जिससे मजदूरों में खुशी है.

18 lakh laborers got work under mgnrega in chhattisgarh
मजदूरों को मिला रोजगार
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Published : May 1, 2020, 2:10 PM IST

Updated : May 2, 2020, 7:12 AM IST

रायपुर: कोरोना वायरस के इस दौर ने हर चीज पर ब्रेक लगा दिया है. लोगों के सामने रोजगार की बड़ी समस्या खड़ी हो गई है. लोगों के काम-धंधे बंद हो गए हैं. इसे देखते हुए सरकार ने लॉकडाउन के दौरान मनरेगा का काम शुरू करा दिया है. इससे मजदूरों को राहत मिली है.

छत्तीसगढ़ में मनरेगा बना 'संजीवनी'

सरकार और अफसरों के दावों की सच्चाई को परखने जब ETV भारत की टीम कामगारों और मेहनतकशों के पास पहुंची, तो वहां मजदूर मेहनत और लगन से मनरेगा के तहत काम करते नजर आए. इतना ही नहीं मजदूर कार्यस्थल पर लॉकडाउन के नियमों का भी बखूबी पालन कर रहे हैं. सभी लोग सोशल डिस्टेंसिंग का पूरा ख्याल रख रहे हैं, जिसमें सभी मजदूरों के मुंह पर मास्क बंधा हुआ दिखाई दिया. ये लगातार हाथों को सैनिटाइज भी कर रहे हैं.

ETV भारत ने मजदूरों से की बातचीत

रायपुर के ग्रामीण इलाकों में जब मजदूरों से जब हमारी टीम ने बातचीत की, तो उन्होंने कहा कि लॉकडाउन ने मानों हमारी जिंदगी छीन ली थी, हम लोग खेती किसानी और मजदूरी कर जीवनयापन करते हैं, लेकिन कोरोना ने रोना मचा दिया था, जिससे हम दाने-दाने को मोहताज हो गए थे, लेकिन अब मनरेगा के तहत रोजगार मिल रहा है, जो पेट पालने में काफी मददगार साबित हो रहा है.

यहां मिला इनको रोजगार

  • राजनांदगांव- 1 लाख 74 हजार 859 लोगों को मिला रोजगार
  • जांजगीर-चांपा- 1 लाख 39 हजार 995 लोगों के घर का जला चूल्हा
  • महासमुंद- 1 लाख 28 हजार 896 परिवारों को मिला रोजगार
  • कबीरधाम- 1 लाख 25 हजार 330 लोगों को मिला रोजगार
  • मुंगेली- 1 लाख 18 हजार 290 मजदूरों को मिला रोजगार
  • बिलासपुर- 1 लाख 14 हजार 137 लोगों को मिला रोजगार
  • बालोद- 1 लाख 10 हजार 82 मजदूरों को मिला रोजगार
  • बलौदाबाजार- 90 हजार 985 मजदूरों को मिला रोजगार
  • बेमेतरा- 87 हजार 747 मजदूरों को मिला रोजगार
  • रायपुर- 82 हजार 297 मजदूरों को मिला रोजगार
  • धमतरी- 80 हजार 732 लोगों को रोजगार
  • जशपुर- 64 हजार 323 लोगों को मिला रोजगार
  • गरियाबंद में 63 हजार 969 लोगों को रोजगार
  • दुर्ग- 58 हजार 732, लोगों को मिला रोजगार
  • कांकेर- 56 हजार 278 लोगों को रोजगार
  • सूरजपुर- 55 हजार 309 लोगों को मिला रोजगार
  • सरगुजा- 47 हजार 271 लोगों को रोजगार
  • रायगढ़- 46 हजार 722 लोगों को मिला रोजगार
  • कोरिया- 41 हजार 518 लोगों को रोजगार
  • बलरामपुर- 37 हजार 801 लोगों को मिला रोजगार
  • कोरबा- 30 हजार 824 लोगों को रोजगार
  • कोंडागांव- 23 हजार 999 लोगों को मिला रोजगार
  • सुकमा- 20 हजार 547 लोगों को रोजगार
  • बस्तर- 18 हजार 800 लोगों को मिला रोजगार
  • दंतेवाड़ा- 12 हजार 911 लोगों को रोजगार
  • नारायणपुर- 9925 लोगों को मिला रोजगार
  • वहीं बीजापुर में 9257 लोगों को रोजगार मिला है.

मनरेगा के तहत 20,226 करोड़ रुपए की राशि जारी

छत्तीसगढ़ सरकार संकट के समय में मजदूरों को 20 अप्रैल से मनरेगा में काम देने की मंजूरी देकर इनकी जिंदगी पटरी पर लाने की कोशिश की है. केंद्र सरकार मनरेगा के तहत राज्यों को वर्ष 2020-21 के लिए 20,226 करोड़ रुपए की धनराशि जारी कर चुकी है. इससे पहले केंद्र सरकार ने लॉकडाउन को देखते हुए मनरेगा में राष्ट्रीय औसत मजदूरी में 20 रुपए की बढ़ोतरी की भी घोषणा की. लॉकडाउन से खासकर ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बुरी तरह झटका लगा है, जिसे देखते हुए सरकार ने ग्रामीण अंचलों में रोजगार के साधन खोल दिए हैं.

9 हजार 883 ग्राम पंचायतों में चल रहा काम

लॉकडाउन में राज्य सरकार ने निर्देशों के तहत ग्रामीण स्तर पर सोशल डिस्टेंसिंग का पूरा ख्याल रखते हुए मजदूरों को मनरेगा में काम दिया गया है. लॉकडाउन में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के अंतर्गत ग्रामीणों को रोजगार देने में छत्तीसगढ़ देशभर में प्रथम स्थान पर है. मनरेगा कार्यों में लगे कुल मजदूरों में से करीब 24 फीसदी अकेले छत्तीसगढ़ से हैं. यह संख्या देश में सर्वाधिक है. प्रदेश की 9,883 ग्राम पंचायतों में चल रहे विभिन्न मनरेगा कार्यों में अभी 18 लाख 51 हजार 536 श्रमिक काम कर रहे हैं.

सोशल डिस्टेंसिंग का किया जा रहा पालन

जिला पंचायत के सीईओ गौरव कुमार सिंह ने कहा कि कोरोना वायरस संक्रमण के खतरे की चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों के बीच यह बड़ी उपलब्धि है. प्रदेशभर में इन सबकी मिलीजुली कोशिशों से कार्यस्थल पर परस्पर शारीरिक दूरी बनाकर श्रमिक परिवारों को राहत पहुंचाई जा रही है.

18 लाख 51 हजार 536 मजदूरों को मिला रोजगार

केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार मनरेगा कार्यों में अभी देशभर में 77 लाख 85 हजार 990 मजदूर संलग्न हैं. इनमें सर्वाधिक 18 लाख 51 हजार 536 मजदूर अकेले छत्तीसगढ़ से हैं, जो कुल मजदूरों की संख्या का करीब एक चौथाई हैं. इस सूची में 14 प्रतिशत हिस्सेदारी के साथ राजस्थान दूसरे और 12 प्रतिशत भागीदारी के साथ उत्तरप्रदेश तीसरे स्थान पर है. प्रदेश में मनरेगा के अंतर्गत सर्वाधिक रोजगार देने में राजनांदगांव, जांजगीर-चांपा और महासमुंद जिले शीर्ष पर है.

रायपुर: कोरोना वायरस के इस दौर ने हर चीज पर ब्रेक लगा दिया है. लोगों के सामने रोजगार की बड़ी समस्या खड़ी हो गई है. लोगों के काम-धंधे बंद हो गए हैं. इसे देखते हुए सरकार ने लॉकडाउन के दौरान मनरेगा का काम शुरू करा दिया है. इससे मजदूरों को राहत मिली है.

छत्तीसगढ़ में मनरेगा बना 'संजीवनी'

सरकार और अफसरों के दावों की सच्चाई को परखने जब ETV भारत की टीम कामगारों और मेहनतकशों के पास पहुंची, तो वहां मजदूर मेहनत और लगन से मनरेगा के तहत काम करते नजर आए. इतना ही नहीं मजदूर कार्यस्थल पर लॉकडाउन के नियमों का भी बखूबी पालन कर रहे हैं. सभी लोग सोशल डिस्टेंसिंग का पूरा ख्याल रख रहे हैं, जिसमें सभी मजदूरों के मुंह पर मास्क बंधा हुआ दिखाई दिया. ये लगातार हाथों को सैनिटाइज भी कर रहे हैं.

ETV भारत ने मजदूरों से की बातचीत

रायपुर के ग्रामीण इलाकों में जब मजदूरों से जब हमारी टीम ने बातचीत की, तो उन्होंने कहा कि लॉकडाउन ने मानों हमारी जिंदगी छीन ली थी, हम लोग खेती किसानी और मजदूरी कर जीवनयापन करते हैं, लेकिन कोरोना ने रोना मचा दिया था, जिससे हम दाने-दाने को मोहताज हो गए थे, लेकिन अब मनरेगा के तहत रोजगार मिल रहा है, जो पेट पालने में काफी मददगार साबित हो रहा है.

यहां मिला इनको रोजगार

  • राजनांदगांव- 1 लाख 74 हजार 859 लोगों को मिला रोजगार
  • जांजगीर-चांपा- 1 लाख 39 हजार 995 लोगों के घर का जला चूल्हा
  • महासमुंद- 1 लाख 28 हजार 896 परिवारों को मिला रोजगार
  • कबीरधाम- 1 लाख 25 हजार 330 लोगों को मिला रोजगार
  • मुंगेली- 1 लाख 18 हजार 290 मजदूरों को मिला रोजगार
  • बिलासपुर- 1 लाख 14 हजार 137 लोगों को मिला रोजगार
  • बालोद- 1 लाख 10 हजार 82 मजदूरों को मिला रोजगार
  • बलौदाबाजार- 90 हजार 985 मजदूरों को मिला रोजगार
  • बेमेतरा- 87 हजार 747 मजदूरों को मिला रोजगार
  • रायपुर- 82 हजार 297 मजदूरों को मिला रोजगार
  • धमतरी- 80 हजार 732 लोगों को रोजगार
  • जशपुर- 64 हजार 323 लोगों को मिला रोजगार
  • गरियाबंद में 63 हजार 969 लोगों को रोजगार
  • दुर्ग- 58 हजार 732, लोगों को मिला रोजगार
  • कांकेर- 56 हजार 278 लोगों को रोजगार
  • सूरजपुर- 55 हजार 309 लोगों को मिला रोजगार
  • सरगुजा- 47 हजार 271 लोगों को रोजगार
  • रायगढ़- 46 हजार 722 लोगों को मिला रोजगार
  • कोरिया- 41 हजार 518 लोगों को रोजगार
  • बलरामपुर- 37 हजार 801 लोगों को मिला रोजगार
  • कोरबा- 30 हजार 824 लोगों को रोजगार
  • कोंडागांव- 23 हजार 999 लोगों को मिला रोजगार
  • सुकमा- 20 हजार 547 लोगों को रोजगार
  • बस्तर- 18 हजार 800 लोगों को मिला रोजगार
  • दंतेवाड़ा- 12 हजार 911 लोगों को रोजगार
  • नारायणपुर- 9925 लोगों को मिला रोजगार
  • वहीं बीजापुर में 9257 लोगों को रोजगार मिला है.

मनरेगा के तहत 20,226 करोड़ रुपए की राशि जारी

छत्तीसगढ़ सरकार संकट के समय में मजदूरों को 20 अप्रैल से मनरेगा में काम देने की मंजूरी देकर इनकी जिंदगी पटरी पर लाने की कोशिश की है. केंद्र सरकार मनरेगा के तहत राज्यों को वर्ष 2020-21 के लिए 20,226 करोड़ रुपए की धनराशि जारी कर चुकी है. इससे पहले केंद्र सरकार ने लॉकडाउन को देखते हुए मनरेगा में राष्ट्रीय औसत मजदूरी में 20 रुपए की बढ़ोतरी की भी घोषणा की. लॉकडाउन से खासकर ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बुरी तरह झटका लगा है, जिसे देखते हुए सरकार ने ग्रामीण अंचलों में रोजगार के साधन खोल दिए हैं.

9 हजार 883 ग्राम पंचायतों में चल रहा काम

लॉकडाउन में राज्य सरकार ने निर्देशों के तहत ग्रामीण स्तर पर सोशल डिस्टेंसिंग का पूरा ख्याल रखते हुए मजदूरों को मनरेगा में काम दिया गया है. लॉकडाउन में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के अंतर्गत ग्रामीणों को रोजगार देने में छत्तीसगढ़ देशभर में प्रथम स्थान पर है. मनरेगा कार्यों में लगे कुल मजदूरों में से करीब 24 फीसदी अकेले छत्तीसगढ़ से हैं. यह संख्या देश में सर्वाधिक है. प्रदेश की 9,883 ग्राम पंचायतों में चल रहे विभिन्न मनरेगा कार्यों में अभी 18 लाख 51 हजार 536 श्रमिक काम कर रहे हैं.

सोशल डिस्टेंसिंग का किया जा रहा पालन

जिला पंचायत के सीईओ गौरव कुमार सिंह ने कहा कि कोरोना वायरस संक्रमण के खतरे की चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों के बीच यह बड़ी उपलब्धि है. प्रदेशभर में इन सबकी मिलीजुली कोशिशों से कार्यस्थल पर परस्पर शारीरिक दूरी बनाकर श्रमिक परिवारों को राहत पहुंचाई जा रही है.

18 लाख 51 हजार 536 मजदूरों को मिला रोजगार

केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार मनरेगा कार्यों में अभी देशभर में 77 लाख 85 हजार 990 मजदूर संलग्न हैं. इनमें सर्वाधिक 18 लाख 51 हजार 536 मजदूर अकेले छत्तीसगढ़ से हैं, जो कुल मजदूरों की संख्या का करीब एक चौथाई हैं. इस सूची में 14 प्रतिशत हिस्सेदारी के साथ राजस्थान दूसरे और 12 प्रतिशत भागीदारी के साथ उत्तरप्रदेश तीसरे स्थान पर है. प्रदेश में मनरेगा के अंतर्गत सर्वाधिक रोजगार देने में राजनांदगांव, जांजगीर-चांपा और महासमुंद जिले शीर्ष पर है.

Last Updated : May 2, 2020, 7:12 AM IST
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