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धरमजयगढ़: आत्मनिर्भता की ओर कदम, सवाई घास से टोकरी बनाना सीख रही महिलाएं - Employing rural women

रायगढ़ के धरमजयगढ़ में ग्रामीण महिलाओं को सवाई घास से टोकरी बनाने का प्रशिक्षण दिया जा रहा है. इस योजना का एक उद्देश्य ग्रामीण महिलाओं को रोजगार दिलाना है. उन्हें आत्मनिर्भर बनाना और उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार लाना है.

Dharamjaigarh news
आत्मनिर्भता की ओर कदम
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Published : Nov 4, 2020, 3:35 PM IST

Updated : Nov 4, 2020, 5:03 PM IST

रायगढ़: धरमजयगढ़ के वनविभाग काष्ठागार में सुंदर कलाकृतियां उभारने का प्रशिक्षण दिया जा रहा है. ये कला बिखेर रही हैं ग्रामीण और शहरी क्षेत्र की गृहणियां. 28 अक्टूबर से शुरू हुई कार्यशाला में घास से सुंदर टोकरी बनाने का प्रशिक्षण दिया जा रहा है. बंधन योजना के तहत इस कार्यक्रम का आयोजन किया है. 50 से ज्यादा महिलाओं को सवाई घास से बॉस्केट (टोकरी) बनाने की कला सिखाई जा रही है.

आत्मनिर्भता की ओर कदम

सवाई घास को बुनकर सुंदर और मजबूत टोकरी बनाने का काम महिलाएं सीख रही है. ग्रामीण अंचलों में ज्यादातर सवाई घास से सिर्फ रस्सी बनाने का काम किया जाता रहा है, लेकिन अब एक खोज और प्रशिक्षण के सहारे सुंदर और मजबूत बॉस्केट बनाने की कला बताई जा रही है. जो इन महिलाओं के लिए काफी फायदेमंद साबित होने वाली है. धरमजयगढ़ वनमंडल अंतर्गत पहले 7 प्रशिक्षण सेंटर बनाए गए थे, लेकिन दूरी और समय को ध्यान में रखते हुए अभी एक सेंटर धरमजयगढ़ काष्ठागार को बनाया गया है. जहां ओडिशा से आईं ट्रेनर महिलाओं को इस कला से रूबरू करा रही हैं.

पढ़ें-बिलासपुर: इस दिवाली गोबर और मिट्टी के दीयों से रोशन होगा घर और आंगन

इस महती योजना को सफल बनाने के लिए धरमजयगढ़ डीएफओ मणि वासगन एस, तेंदूपत्ता एसडीओ बीएस पैंकरा, रेंजर सत्तू लाल, डिप्टी रेंजर मोहन लाल खड़ियां सहित पूरा दिन रात मेहनत कर रहा है.

ग्रामीण महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाना लक्ष्य

तेंदूपत्ता SDO ने ETV भारत से बात करते हुए बताया कि राज्य और भारत सरकार द्वारा संचालित बंधन योजना का एक मात्र उद्देश्य गरीब तबके की गृहणियों को रोजगार दिलाना है. उन्हें आत्म निर्भर बनाना और उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार लाना है. अधिकारी कर्मचारियों का मानना है प्रशिक्षण पूरा होने के बाद अपने हांथ में हुनर लिए महिलाएं आराम से घर का काम करते हुए बॉस्केट टोकरी बनाकर धन अर्जित कर सकती हैं.

रायगढ़: धरमजयगढ़ के वनविभाग काष्ठागार में सुंदर कलाकृतियां उभारने का प्रशिक्षण दिया जा रहा है. ये कला बिखेर रही हैं ग्रामीण और शहरी क्षेत्र की गृहणियां. 28 अक्टूबर से शुरू हुई कार्यशाला में घास से सुंदर टोकरी बनाने का प्रशिक्षण दिया जा रहा है. बंधन योजना के तहत इस कार्यक्रम का आयोजन किया है. 50 से ज्यादा महिलाओं को सवाई घास से बॉस्केट (टोकरी) बनाने की कला सिखाई जा रही है.

आत्मनिर्भता की ओर कदम

सवाई घास को बुनकर सुंदर और मजबूत टोकरी बनाने का काम महिलाएं सीख रही है. ग्रामीण अंचलों में ज्यादातर सवाई घास से सिर्फ रस्सी बनाने का काम किया जाता रहा है, लेकिन अब एक खोज और प्रशिक्षण के सहारे सुंदर और मजबूत बॉस्केट बनाने की कला बताई जा रही है. जो इन महिलाओं के लिए काफी फायदेमंद साबित होने वाली है. धरमजयगढ़ वनमंडल अंतर्गत पहले 7 प्रशिक्षण सेंटर बनाए गए थे, लेकिन दूरी और समय को ध्यान में रखते हुए अभी एक सेंटर धरमजयगढ़ काष्ठागार को बनाया गया है. जहां ओडिशा से आईं ट्रेनर महिलाओं को इस कला से रूबरू करा रही हैं.

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इस महती योजना को सफल बनाने के लिए धरमजयगढ़ डीएफओ मणि वासगन एस, तेंदूपत्ता एसडीओ बीएस पैंकरा, रेंजर सत्तू लाल, डिप्टी रेंजर मोहन लाल खड़ियां सहित पूरा दिन रात मेहनत कर रहा है.

ग्रामीण महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाना लक्ष्य

तेंदूपत्ता SDO ने ETV भारत से बात करते हुए बताया कि राज्य और भारत सरकार द्वारा संचालित बंधन योजना का एक मात्र उद्देश्य गरीब तबके की गृहणियों को रोजगार दिलाना है. उन्हें आत्म निर्भर बनाना और उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार लाना है. अधिकारी कर्मचारियों का मानना है प्रशिक्षण पूरा होने के बाद अपने हांथ में हुनर लिए महिलाएं आराम से घर का काम करते हुए बॉस्केट टोकरी बनाकर धन अर्जित कर सकती हैं.

Last Updated : Nov 4, 2020, 5:03 PM IST
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