रायगढ़: छत्तीसगढ़ में मानसून ने अपना कहर दिखाना शुरू कर दिया है. लगातार हो रही बारिश से नदी-नाले उफान पर हैं. इस बीच लैलूंगा विकासखंड के सूबरा के सल्हिआपारा गांव से एक ऐसी तस्वीर सामने आई है, जिसने विकास के दावों को खोखला साबित कर दिया है. प्रशासन की अनदेखी के कारण लोग यहां अपनी जान जोखिम में डालकर एक पतले बांस के सहारे उफनती नदी पार कर रहे हैं.
छत्तीसगढ़ राज्य के गठन को 20 साल हो चुके हैं, इस दौरान कई सरकार आईं और गई, लेकिन किसी ने भी इस गांव में पुल बनाने की ओर धयान नहीं दिया. गांव के लोगों ने नदी के बीचों-बीच लगे पेड़ों के सहारे एक बांस का रपटा बनाकर पुल तैयार किया है. जिसके सहारे वे एक स्थान से दूसरे स्थान जाते हैं, यहां तक की बच्चे भी इसी पुल के सहारे स्कूल जाते हैं.
नदी पर पुल बनाने की मांग
इस गांव में दर्जनों कर्मचारियों का घर है, लेकिन इनके लिए पहुंच मार्ग नहीं है. पुल नहीं होने के कारण गांव में पहुंचने वाली एंबुलेस को 25 से 30 किलोमीटर का सफर तय करना पड़ता है. ग्रामीणों का कहना है कि नदी पर पुल बन जाने से गांव तक पहुंचने के लिए सिर्फ 15 किलोमीटर का सफर तय करना होगा.
मूलभूत सुविधाओं के अभाव में गांव
बारिश के मौसम में गांव का हाल और भी ज्यादा बुरा हो जाता है. गांव के लोग आज भी मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं. गांव में नल तो लगवाए गए हैं पर नलों पर पानी नहीं आता, सड़क है पर वो भी कीचड़ से सनी रहती है. ग्रामीणों ने नदी पर पुल बनाने के मांग की है ताकि उन्हें एक स्थान से दुसरे स्थान जाने में परेशानी न हो.
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उन्होंने बताया कि गांव में एक बार सर्वे की टीम आई थी, बावजूद इसके गांव में पुल का निर्माण नहीं करवाया गया है. एक ओर जहां शहरों का विकास तेजी से हो रहा है, वहीं प्रदेश के कई गांव आज भी मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं. सरकार भले ही विकास के कई दावे कर रही है, लेकिन आज भी कई गांव ऐसे है जो लंबे समय से विकास की राह देख रहे हैं.