रायगढ़: रायगढ़ जिले का ज्यादातर क्षेत्र घने जंगलों से घिरा है. जिले में लगातार औद्योगिक विकास भी हो रहे हैं. इन औद्योगिक विकास के लिए लगातार पेड़ भी काटे जा रहे हैं. कहीं-कहीं लीगल तरीके से पेड़ों की कटाई हो रही है, लेकिन ज्यादातर इलाकों में लकड़ी तस्कर ज्यादा सक्रिय दिख रहे हैं.
ताजा मामला रायगढ़ जिले के तमनार के भगोरा (केनानी) ग्राम पंचायत के कोसाबाड़ी क्षेत्र का है. जहां लकड़ी तस्कर अंधाधुंध पेड़ों की कटाई करने में लगे हैं. यहां बीते कई दिनों से सराई और महुआ के पेड़ों को काट उसकी लकड़ी की तस्करी की जा रही है. कोसाबाड़ी के लकड़ी माफिया यहां के बड़े-बड़े पेड़ों को बेखौफ होकर कटा रहे हैं और बेच रहे हैं. कोसाबाड़ी परिक्षेत्र में लगे सैकड़ों पेड़ों के कट जाने से अब यह इलाका वीरान से लगने लगा है.
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लकड़ी माफिया पर नहीं लग रहा लगाम
पेड़ों की कटाई के मामले में जब कोसाबाड़ी के अधिकारी से बात करने की कोशिश की गई तो उन्होंने फोन नहीं उठाया. जिससे मौके पर पहुंची ईटीवी भारत की टीम को यह जानकारी नहीं मिल पाई कि इन पेड़ों को कौन और किसके आदेश पर कट रहा है या कटवा रहा है. मौके पर ईटीवी भारत ने जब ग्रामीणों से बात कि तो ग्रामीणों ने बताया कि, 'यह पूरा इलाका पेड़ों से घिरा हुआ है और पेड़ों की कटाई के कारण गांव में भालू और बंदरों का आतंक बढ़ गया है. शासन-प्रशासन को इस ओर ध्यान देने की जरूरत है.' एक शख्स ने बताया कि, 'शासन-प्रशासन के पास कोई कार्य योजना न होने के कारण ही पेड़ों की अंधाधुंध कटाई हो रही है. जिससे प्रशासन को करोड़ों रुपये का चूना लगाया जा रहा है और जिले में संबंधित विभाग इस मामले में निष्क्रिय बैठा हुआ है'.
अधिकारी पर तस्करी कराने का आरोप
इधर, कुछ ग्रामीणों का आरोप है कि लकड़ी की तस्करी में वन समिति और जिले के कुछ अधिकारी भी संलिप्त हैं, क्योंकि उनकी जानकारी के बिना यहां से पेड़ नहीं काटे जा सकते हैं. ग्रामीणों ने आस-पास के गांव में 20-30 ट्रैक्टर लकड़ी खपाने का आरोप भी ग्रामीणों ने लगाया है. ग्रामीणों का कहना है कि इस क्षेत्र में बीते 2-3 साल से लकड़ी की तस्करी का काम जारी है, जिसपर वन समिति और पंचायत कोई कार्रवाई नहीं कर रही है.