रायगढ़: जिले की जीवनदायिनी कही जाने वाली केलो नदी अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही है. शहरीकरण और औद्योगिकीकरण की दोहरी मार से नदी, नाले में बदलती जा रही है. लोग पहले केलो नदी के पानी से दैनिक कार्य करते थे, लेकिन अब नदी में नाली के समान बदबू आने लगी है. इससे अब लोग नदी के पास भटकना भी पसंद नहीं करते. अब नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) ने रायगढ़ पर्यावरण विभाग और निगम को नदी की स्वच्छता के लिए नोटिस भेजा है.
नदी की दुर्दशा से उठे सवाल
दरअसल उद्योगों के गंदे पानी और शहर के दैनिक उपयोग के पानी को बिना वॉटर ट्रीटमेंट के सीधे केलो नदी में पहुंचा दिया जाता है, जिससे स्थिति अब यह हो गई है कि केलो नदी नाले में तब्दील हो गई है. शहर से कनकतूरा तक 15 किलोमीटर नदी एक नाले में तब्दील हो गई है, जिसकी सफाई के लिए वाटर ट्रीटमेंट प्लांट लगाने की व्यवस्था की जा रही है, लेकिन ये प्लान अभी सिर्फ कागजों तक ही सीमित है. नदी के इस दुर्दशा को लेकर कई आवाज उठे लेकिन प्रशासन के कानों तक आवाज नहीं पहुंच पाई.
कागजों में बना वाटर ट्रीटमेंट प्लांट
पूरे मामले में जिला पर्यावरण अधिकारी से बातचीत की गई तो उन्होंने कहा कि पानी में प्रदूषण स्तर बढ़ गया है, जिससे ये पानी लोगों के लिए हानिकारक हो गया है. उद्योगों और शहर के गंदे पानी का सीधे नदी में बहने से नदी में गंदगी पसरी हुई है. वहीं निगम द्वारा कहा गया है कि शहर से कनकतुरा तक के एरिया को चिन्हित करके वाटर ट्रीटमेंट प्लांट बनाया जाना है, जिससे पानी की सफाई के बाद ही उसे नदी में छोड़ा जाएगा.