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खत्म होने के कगार पर केलो नदी, NGT ने निगम को भेजा नोटिस

जीवनदायिनी कही जाने वाली केलो नदी अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही है. शहरीकरण और औद्योगिकीकरण की दोहरी मार से नदी, नाले में बदलती जा रही है. अब नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) ने रायगढ़ पर्यावरण विभाग और निगम को नदी की स्वच्छता के लिए नोटिस भेजा है.

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Published : May 27, 2019, 3:16 PM IST

खत्म होने के कगार पर केलो नदी

रायगढ़: जिले की जीवनदायिनी कही जाने वाली केलो नदी अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही है. शहरीकरण और औद्योगिकीकरण की दोहरी मार से नदी, नाले में बदलती जा रही है. लोग पहले केलो नदी के पानी से दैनिक कार्य करते थे, लेकिन अब नदी में नाली के समान बदबू आने लगी है. इससे अब लोग नदी के पास भटकना भी पसंद नहीं करते. अब नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) ने रायगढ़ पर्यावरण विभाग और निगम को नदी की स्वच्छता के लिए नोटिस भेजा है.

खत्म होने के कगार पर केलो नदी

नदी की दुर्दशा से उठे सवाल
दरअसल उद्योगों के गंदे पानी और शहर के दैनिक उपयोग के पानी को बिना वॉटर ट्रीटमेंट के सीधे केलो नदी में पहुंचा दिया जाता है, जिससे स्थिति अब यह हो गई है कि केलो नदी नाले में तब्दील हो गई है. शहर से कनकतूरा तक 15 किलोमीटर नदी एक नाले में तब्दील हो गई है, जिसकी सफाई के लिए वाटर ट्रीटमेंट प्लांट लगाने की व्यवस्था की जा रही है, लेकिन ये प्लान अभी सिर्फ कागजों तक ही सीमित है. नदी के इस दुर्दशा को लेकर कई आवाज उठे लेकिन प्रशासन के कानों तक आवाज नहीं पहुंच पाई.

कागजों में बना वाटर ट्रीटमेंट प्लांट
पूरे मामले में जिला पर्यावरण अधिकारी से बातचीत की गई तो उन्होंने कहा कि पानी में प्रदूषण स्तर बढ़ गया है, जिससे ये पानी लोगों के लिए हानिकारक हो गया है. उद्योगों और शहर के गंदे पानी का सीधे नदी में बहने से नदी में गंदगी पसरी हुई है. वहीं निगम द्वारा कहा गया है कि शहर से कनकतुरा तक के एरिया को चिन्हित करके वाटर ट्रीटमेंट प्लांट बनाया जाना है, जिससे पानी की सफाई के बाद ही उसे नदी में छोड़ा जाएगा.

रायगढ़: जिले की जीवनदायिनी कही जाने वाली केलो नदी अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही है. शहरीकरण और औद्योगिकीकरण की दोहरी मार से नदी, नाले में बदलती जा रही है. लोग पहले केलो नदी के पानी से दैनिक कार्य करते थे, लेकिन अब नदी में नाली के समान बदबू आने लगी है. इससे अब लोग नदी के पास भटकना भी पसंद नहीं करते. अब नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) ने रायगढ़ पर्यावरण विभाग और निगम को नदी की स्वच्छता के लिए नोटिस भेजा है.

खत्म होने के कगार पर केलो नदी

नदी की दुर्दशा से उठे सवाल
दरअसल उद्योगों के गंदे पानी और शहर के दैनिक उपयोग के पानी को बिना वॉटर ट्रीटमेंट के सीधे केलो नदी में पहुंचा दिया जाता है, जिससे स्थिति अब यह हो गई है कि केलो नदी नाले में तब्दील हो गई है. शहर से कनकतूरा तक 15 किलोमीटर नदी एक नाले में तब्दील हो गई है, जिसकी सफाई के लिए वाटर ट्रीटमेंट प्लांट लगाने की व्यवस्था की जा रही है, लेकिन ये प्लान अभी सिर्फ कागजों तक ही सीमित है. नदी के इस दुर्दशा को लेकर कई आवाज उठे लेकिन प्रशासन के कानों तक आवाज नहीं पहुंच पाई.

कागजों में बना वाटर ट्रीटमेंट प्लांट
पूरे मामले में जिला पर्यावरण अधिकारी से बातचीत की गई तो उन्होंने कहा कि पानी में प्रदूषण स्तर बढ़ गया है, जिससे ये पानी लोगों के लिए हानिकारक हो गया है. उद्योगों और शहर के गंदे पानी का सीधे नदी में बहने से नदी में गंदगी पसरी हुई है. वहीं निगम द्वारा कहा गया है कि शहर से कनकतुरा तक के एरिया को चिन्हित करके वाटर ट्रीटमेंट प्लांट बनाया जाना है, जिससे पानी की सफाई के बाद ही उसे नदी में छोड़ा जाएगा.

Intro:रायगढ़ जिले के जीवनदायिनी कहे जाने वाली केलो नदी अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही है. शहर और औद्योगिकीकरण के दोहरे मार से नदी नाले में बदलती जा रही है. केलो नदी महानदी की सहायक नदी के रूप में रायगढ़ को पानी देती है लोग पहले केलो नदी के पानी से दैनिक कार्य करते थे लेकिन नदी में नाली के समान बदबू आने लगती है जिससे अब लोग नदी के पास भी भटकना पसंद नहीं करते। नदी के इस दुर्दशा को लेकर कई आवाज उठे लेकिन प्रशासन के कानों तक आवाज नहीं पहुंच पाई। अब NGT ने रायगढ़ पर्यावरण विभाग और निगम को नदी की स्वच्छता के लिए नोटिस भेजा है।


Body:महानदी की सहायक नदी और रायगढ़ की जीवनदायिनी कहे जाने वाली केलो नदी खराब स्थिति से जूझ रही है। दरअसल उद्योगों के गंदे पानी और शहर के दैनिक उपयोग के पानी को बिना वॉटर ट्रीटमेंट के सीधे केलो नदी में पहुंचा दिया जाता है जिससे स्थिति अब यह हो गई है कि केलो नदी नाले में तब्दील हो गई है। रायगढ़ शहर से कनकतूरा तक 15 किलोमीटर नदी एक नाले में तब्दील हो गई है जिसकी सफाई के लिए वाटर ट्रीटमेंट प्लांट लगाने की व्यवस्था की जा रही है। बता दे इसके लिए एनजीटी ने रायगढ़ पर्यावरण विभाग और नगर निगम को फटकार लगाई है। दरअसल नदी के वाटर सैंपल में पाया गया कि पानी मे प्रदूषण स्तर बढ़ गया है जिससे जलिय जीव और लोगों के सेहत के लिए पानी हानिकारक हो गया है। पूरे मामले में जिला पर्यावरण अधिकारी का कहना है कि पानी में प्रदूषण स्तर बढ़ गया है जिससे यह लोगों के लिए हानिकारक हो गया है उद्योगों और शहर के गंदे पानी का सीधे नदी में सोने से नदी की स्थिति हुई है फिलहाल शहर से कनकतुरा तक के लिए 15 किलोमीटर के एरिया को चिन्हित करके वाटर ट्रीटमेंट प्लांट बनाया जाना है जिससे पानी की सफाई के बाद ही उसे नदी में छोड़ा जाएगा।


Conclusion:
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