ETV Bharat / state

National Ramayana Festival: इंडोनेशिया के कलाकारों ने सीता हरण और राम रावण युद्ध का किया अद्भुत मंचन - रायगढ़ के रामलीला मैदान

रायगढ़ में राष्ट्रीय रामायण महोत्सव के दूसरे दिन इंडोनेशिया के कलाकारों ने अपनी प्रस्तुति दी. इंडोनेशिया की रामायण प्रस्तुति में भगवान श्रीराम का चरित्र एक महिला कलाकार ने निभाया. इंडोनेशिया के कलाकारों की सीता हरण और राम रावण युद्ध की प्रस्तुति देखने के दौरान दर्शकों की नजरें मंच पर ही टिकी रही. Ramayan Mahotsav CG

Special presentation of Ramayana
रामायण की खास प्रस्तुति
author img

By

Published : Jun 3, 2023, 12:01 PM IST

राष्ट्रीय रामायण महोत्सव

रायगढ़: रायगढ़ के रामलीला मैदान में राष्ट्रीय रामायण महोत्सव का आज तीसरा दिन है. महोत्सव के दूसरे दिन इंडोनेशिया से आए कलाकारों ने सीता हरण और राम रावण युद्ध की खास प्रस्तुति दी. पूरे प्रसंग को इंडोनेशियाई कलाकरों ने अपनी भावभंगिमा के माध्यम से रामायण के इस प्रसंग को इतना प्रभावी बना दिया कि दर्शक मंत्रमुग्ध हो गए. कलाकारों की यह प्रस्तुति अद्भुत धुनों के साथ शुरू हुई.

बाली द्वीप पर भारतीय सभ्यता का प्रभाव: इंडोनेशिया के जावा द्वीप के काकवीन रामायण और बाली द्वीप के रामायण प्रमुख हैं. यह भट्टी कवि के काव्य से प्रेरित है.बाली द्वीप में भारतीय सभ्यता स्थानीय प्रभाव के साथ अक्षत हैं. विद्वान मानते हैं कि इस पर दक्षिण का प्रभाव ज्यादा है. इनकी भावमुद्रा दक्षिण के कत्थककली कलाकारों जैसी होती है. इसका जीता जागता उदाहरण महोत्सव के दूसरे दिन देखने को मिला.

संगीत के साथ दिखी खास प्रस्तुति: बात अगर संगीत की करें तो इंडोनेशियाई रामायण की प्रस्तुति में संगीत बेहद शानदार रहा. राम और सीताजी के बाद मंच पर हनुमान आए. इस प्रस्तुति में हनुमानजी की बड़ी भूमिका देखने को मिली. उनका मुकुट, उनकी वस्त्र सज्जा बताती है कि भारतीय समाज की तरह ही बाली का समाज भी प्रकृति का गहरा आदर करता है. हाथों की मुद्रा संगीत के साथ बदलती दिखी. यहां का संगीत बिल्कुल अलग और खास है. केवल संगीत के साथ ताल में भाव मुद्रा के माध्यम से राम कथा कही जा रही थी.

National Ramayana Festival: छत्तीसगढ़ हुआ राम मय, कई राज्यों की मंडलियों ने दी मनमोहक प्रस्तुती
हमारे राम कौशल्या के राम हैं, वनवासियों के राम हैं और हम सब के भांजे हैं: भूपेश बघेल
Raigarh News: सामाजिक समरसता का केंद्र बनेगा राष्ट्रीय रामायण महोत्सव

आंखों की मुद्रा से दृश्य किया गया पेश: इंडोनेशिया से आए कलाकारों की प्रस्तुति में प्रसंग जैसे-जैसे आगे बढ़ता गया, संगीत भी तीव्र होता गया. आंखों की मुद्राओं से बताया जा रहा है कि किस तरह सीताजी का हरण हुआ. दर्शकों के लिए चकित करने वाला दृश्य पेश किया गया. बांसुरी जैसे वाद्ययंत्रों के अद्भुत सुरों के साथ रामकथा आगे बढ़ते गई. कलाकार केवल भाव मुद्रा में ही पूरे प्रसंग का जीवंत वर्णन करते रहे.

सीताहरण का खास दृश्य: यह बड़ी बात है कि इस कला में उनकी सांस्कृतिक धरोहर भी है और राम जैसे उदात्त चरित्र को अपनाने की चेष्टा भी. खास बात यह है कि सीता जी का स्पर्श किये बगैर अपनी चेष्टाओं से ही रावण की अदाकारी कर रहे कलाकार ने हरण का दृश्य दिखाया. यह एक बैले जैसी प्रस्तुति है. आखिर में स्थानीय भाषा में प्रस्तुत गीत से पूरी कथा स्पष्ट की गई.

अशोक वाटिका के बाद लंका दहन की प्रस्तुति: अशोक वाटिका के दृश्य में हनुमान जी मुद्रिका लेकर जाते हैं और माता सीता को दिखाते हैं. हनुमान जी ने लंका दहन किया और भयंकर ऊर्जा से लंका का नाश किया. आखिर चरण में राम रावण युद्ध होता है. लक्ष्मण राम के हाथों धनुष देते हैं. यहां यह रोचक प्रसंग भी देखने को मिला कि हनुमान जी भी रावण के साथ द्वंद्व कर रहे हैं. राम और सीता पुनः एक होते हैं. आगे राम सीता, फिर लक्ष्मण, पीछे हनुमान जी. तुमुल ध्वनि से लोगों ने जयजयकार किया.

राष्ट्रीय रामायण महोत्सव

रायगढ़: रायगढ़ के रामलीला मैदान में राष्ट्रीय रामायण महोत्सव का आज तीसरा दिन है. महोत्सव के दूसरे दिन इंडोनेशिया से आए कलाकारों ने सीता हरण और राम रावण युद्ध की खास प्रस्तुति दी. पूरे प्रसंग को इंडोनेशियाई कलाकरों ने अपनी भावभंगिमा के माध्यम से रामायण के इस प्रसंग को इतना प्रभावी बना दिया कि दर्शक मंत्रमुग्ध हो गए. कलाकारों की यह प्रस्तुति अद्भुत धुनों के साथ शुरू हुई.

बाली द्वीप पर भारतीय सभ्यता का प्रभाव: इंडोनेशिया के जावा द्वीप के काकवीन रामायण और बाली द्वीप के रामायण प्रमुख हैं. यह भट्टी कवि के काव्य से प्रेरित है.बाली द्वीप में भारतीय सभ्यता स्थानीय प्रभाव के साथ अक्षत हैं. विद्वान मानते हैं कि इस पर दक्षिण का प्रभाव ज्यादा है. इनकी भावमुद्रा दक्षिण के कत्थककली कलाकारों जैसी होती है. इसका जीता जागता उदाहरण महोत्सव के दूसरे दिन देखने को मिला.

संगीत के साथ दिखी खास प्रस्तुति: बात अगर संगीत की करें तो इंडोनेशियाई रामायण की प्रस्तुति में संगीत बेहद शानदार रहा. राम और सीताजी के बाद मंच पर हनुमान आए. इस प्रस्तुति में हनुमानजी की बड़ी भूमिका देखने को मिली. उनका मुकुट, उनकी वस्त्र सज्जा बताती है कि भारतीय समाज की तरह ही बाली का समाज भी प्रकृति का गहरा आदर करता है. हाथों की मुद्रा संगीत के साथ बदलती दिखी. यहां का संगीत बिल्कुल अलग और खास है. केवल संगीत के साथ ताल में भाव मुद्रा के माध्यम से राम कथा कही जा रही थी.

National Ramayana Festival: छत्तीसगढ़ हुआ राम मय, कई राज्यों की मंडलियों ने दी मनमोहक प्रस्तुती
हमारे राम कौशल्या के राम हैं, वनवासियों के राम हैं और हम सब के भांजे हैं: भूपेश बघेल
Raigarh News: सामाजिक समरसता का केंद्र बनेगा राष्ट्रीय रामायण महोत्सव

आंखों की मुद्रा से दृश्य किया गया पेश: इंडोनेशिया से आए कलाकारों की प्रस्तुति में प्रसंग जैसे-जैसे आगे बढ़ता गया, संगीत भी तीव्र होता गया. आंखों की मुद्राओं से बताया जा रहा है कि किस तरह सीताजी का हरण हुआ. दर्शकों के लिए चकित करने वाला दृश्य पेश किया गया. बांसुरी जैसे वाद्ययंत्रों के अद्भुत सुरों के साथ रामकथा आगे बढ़ते गई. कलाकार केवल भाव मुद्रा में ही पूरे प्रसंग का जीवंत वर्णन करते रहे.

सीताहरण का खास दृश्य: यह बड़ी बात है कि इस कला में उनकी सांस्कृतिक धरोहर भी है और राम जैसे उदात्त चरित्र को अपनाने की चेष्टा भी. खास बात यह है कि सीता जी का स्पर्श किये बगैर अपनी चेष्टाओं से ही रावण की अदाकारी कर रहे कलाकार ने हरण का दृश्य दिखाया. यह एक बैले जैसी प्रस्तुति है. आखिर में स्थानीय भाषा में प्रस्तुत गीत से पूरी कथा स्पष्ट की गई.

अशोक वाटिका के बाद लंका दहन की प्रस्तुति: अशोक वाटिका के दृश्य में हनुमान जी मुद्रिका लेकर जाते हैं और माता सीता को दिखाते हैं. हनुमान जी ने लंका दहन किया और भयंकर ऊर्जा से लंका का नाश किया. आखिर चरण में राम रावण युद्ध होता है. लक्ष्मण राम के हाथों धनुष देते हैं. यहां यह रोचक प्रसंग भी देखने को मिला कि हनुमान जी भी रावण के साथ द्वंद्व कर रहे हैं. राम और सीता पुनः एक होते हैं. आगे राम सीता, फिर लक्ष्मण, पीछे हनुमान जी. तुमुल ध्वनि से लोगों ने जयजयकार किया.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.