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अच्छी पहल: रायगढ़ में स्व सहायता समूहों ने बनाए सैनिटरी पैड, क्वॉरेंटाइन सेंटर की महिलाओं को बांटा गया

क्वॉरेंटाइन सेंटर्स में मासिक धर्म के दौरान सैनिटरी पैड की सुविधा नहीं है. ऐसे में महिला एवं बाल विकास विभाग ने अच्छी पहल की है. विभाग स्व सहायता समूह की महिलाओं के जरिए सैनिटरी पैड्स बनवा रहा है.

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Published : Jun 27, 2020, 8:06 PM IST

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रायगढ़: कोरोना संक्रमण को फैलने के लिए किए गए लॉकडाउन ने मजदूर वर्ग को सबसे ज्यादा परेशान किया. रोजी-रोटी के संकट से जूझते श्रमिक अपने घरों की तरफ पैदल ही निकल पड़े. गांव लौटे मजदूरों को 14 दिन के लिए क्वॉरेंटाइन किया जा रहा है. इनमें महिलाएं भी शामिल हैं. पीरियड्स के दिनों में इन महिलाओं को दोगुनी समस्या से दो-चार होना पड़ता है.

क्वॉरेंटाइन सेंटर की महिलाओं को बांटा गया सैनिटरी पैड

क्वॉरेंटाइन सेंटर्स में मासिक धर्म के दौरान सैनिटरी पैड की सुविधा नहीं है. ऐसे में महिला एवं बाल विकास विभाग ने अच्छी पहल की है. विभाग स्व सहायता समूह की महिलाओं के जरिए सैनिटरी पैड्स बनवा रहा है और क्वॉरेंटाइन सेंटर्स में रह रही महिलाओं को बांटा भी जा रहा है.

प्रशासन कर रही सेनेटरी पैड पहुंचाने का काम

जिला मुख्यालय से लगभग 100 किलोमीटर दूर ग्राम पंचायत छिंद के क्वॉरेंटाइन सेंटर में रह रही महिलाओं और बालिकाओं को बिहान योजना के तहत सैनिटरी नैपकिन बांटी जा रही है. इसके अलावा जिले के दूरस्थ क्षेत्र जहां पर सैनिटरी पैड उपलब्ध नहीं हो पा रहे हैं वहां भी पर इस योजना के तहत जिला प्रशासन सेनेटरी पैड पहुंचाने का काम कर रहा है.

पढ़ें: बलौदाबाजार: अजीम प्रेमजी फाउंडेशन की पहल, क्वॉरेंटाइन सेंटर में बांटे गए मुफ्त सेनेटरी पैड

ज्यादा ध्यान देने की होती है जरूरत

बिहान योजना की नोडल अधिकारी मोनिका इजारदार ने बताया कि मासिक धर्म के दौरान महिलाओं को ज्यादा साफ-सफाई और सावधानी की जरूरत होती है. इस दौरान शारीरिक तौर पर भी कमजोरी होती है लिहाजा ज्यादा ध्यान देने की आवश्यकता होती है.

महिलाओं में बांटे गए 2 हजार पैड

विकासखंड कार्यक्रम प्रबंधक संदीप ने बताया कि सारंगढ़ ब्लॉक में अब तक स्व सहायता समूह की महिलाओं की ओर से बनाए गए करीब 2 हजार पैड बांटे गए हैं. सेंटर के बार पैड्स रख दिए जाते हैं, जिन्हें महिलाएं उठा ले जाती हैं.

पढ़ें: SPECIAL: जिसे हम फेंक देते हैं, उससे सैनेटरी नैपकिन बना रही है ये महिला

छत्तीसगढ़ के क्वॉरेंटाइन सेंटर्स से आती बदइंतजामी की खबरों के बीच ये खबर सुकून देने वाली है कि कम से कम जिस वक्त महिलाओं को सबसे ज्यादा साथ की जरूरत होती है, उस वक्त शासन की तरफ से इतनी तो मदद मुहैया कराई जा रही है.

रायगढ़: कोरोना संक्रमण को फैलने के लिए किए गए लॉकडाउन ने मजदूर वर्ग को सबसे ज्यादा परेशान किया. रोजी-रोटी के संकट से जूझते श्रमिक अपने घरों की तरफ पैदल ही निकल पड़े. गांव लौटे मजदूरों को 14 दिन के लिए क्वॉरेंटाइन किया जा रहा है. इनमें महिलाएं भी शामिल हैं. पीरियड्स के दिनों में इन महिलाओं को दोगुनी समस्या से दो-चार होना पड़ता है.

क्वॉरेंटाइन सेंटर की महिलाओं को बांटा गया सैनिटरी पैड

क्वॉरेंटाइन सेंटर्स में मासिक धर्म के दौरान सैनिटरी पैड की सुविधा नहीं है. ऐसे में महिला एवं बाल विकास विभाग ने अच्छी पहल की है. विभाग स्व सहायता समूह की महिलाओं के जरिए सैनिटरी पैड्स बनवा रहा है और क्वॉरेंटाइन सेंटर्स में रह रही महिलाओं को बांटा भी जा रहा है.

प्रशासन कर रही सेनेटरी पैड पहुंचाने का काम

जिला मुख्यालय से लगभग 100 किलोमीटर दूर ग्राम पंचायत छिंद के क्वॉरेंटाइन सेंटर में रह रही महिलाओं और बालिकाओं को बिहान योजना के तहत सैनिटरी नैपकिन बांटी जा रही है. इसके अलावा जिले के दूरस्थ क्षेत्र जहां पर सैनिटरी पैड उपलब्ध नहीं हो पा रहे हैं वहां भी पर इस योजना के तहत जिला प्रशासन सेनेटरी पैड पहुंचाने का काम कर रहा है.

पढ़ें: बलौदाबाजार: अजीम प्रेमजी फाउंडेशन की पहल, क्वॉरेंटाइन सेंटर में बांटे गए मुफ्त सेनेटरी पैड

ज्यादा ध्यान देने की होती है जरूरत

बिहान योजना की नोडल अधिकारी मोनिका इजारदार ने बताया कि मासिक धर्म के दौरान महिलाओं को ज्यादा साफ-सफाई और सावधानी की जरूरत होती है. इस दौरान शारीरिक तौर पर भी कमजोरी होती है लिहाजा ज्यादा ध्यान देने की आवश्यकता होती है.

महिलाओं में बांटे गए 2 हजार पैड

विकासखंड कार्यक्रम प्रबंधक संदीप ने बताया कि सारंगढ़ ब्लॉक में अब तक स्व सहायता समूह की महिलाओं की ओर से बनाए गए करीब 2 हजार पैड बांटे गए हैं. सेंटर के बार पैड्स रख दिए जाते हैं, जिन्हें महिलाएं उठा ले जाती हैं.

पढ़ें: SPECIAL: जिसे हम फेंक देते हैं, उससे सैनेटरी नैपकिन बना रही है ये महिला

छत्तीसगढ़ के क्वॉरेंटाइन सेंटर्स से आती बदइंतजामी की खबरों के बीच ये खबर सुकून देने वाली है कि कम से कम जिस वक्त महिलाओं को सबसे ज्यादा साथ की जरूरत होती है, उस वक्त शासन की तरफ से इतनी तो मदद मुहैया कराई जा रही है.

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