रायगढ़: राज्य सरकार ने फसलों की सुरक्षा और मवेशियों के संरक्षण के लिए रोका छेका अभियान की शुरुआत की है. इस अभियान के तहत आवारा मवेशियों को कांजी हाउस और गौठानों में रखने का आदेश है. अभियान की शुरुआत तामझाम के साथ की गई थी, लेकिन कई इलाकों में अभियान पूरी तरह फेल हो गया है.
अभियान का उद्देश्य खरीफ फसलों और शहरों के आसपास मौजूद फसलों, बाड़ियों, उद्यानों की मवेशियों से सुरक्षा. इस सरकार ने बड़ी उम्मीदों के साथ इस अभियान को शुरू किया था, लेकिन अब यह फेल होती नजर आ रही है. शुरुआत के कुछ दिनों तक ये अभियान ठीक रही, लेकिन कुछ दिन बीतने के बाद अब गौठान समिति और प्रशासनिक अधिकारियों ने हाथ खड़े कर दिए हैं.
मवेशियों की वजह से हो रहे बड़े हादसे
रायगढ़ के मुख्य मार्ग में मवेशियों का जमावड़ा लगा रहता है. जिससे आने-जाने वाले लोगों को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है. रोका-छेका पुराने समय से ग्रामीण परिवेश का हिस्सा रहा है. खरीफ फसल की बुवाई के बाद फसल की सुरक्षा के लिए पशुधन को गौशाला में रखने की प्रथा रही है, ताकि मवेशी खेतों में न जाएं और फसल सुरक्षित रहे. मवेशियों को संरक्षित करना फसलों को मवेशियों से बचाना और गोबर से कुदरती खाद बनाना इसका मकसद है. साथ ही शहरों में भी पशुपालक अपने मवेशियों को खुले में न छोड़ें, इसके लिए भी रोका-छेका अभियान के तहत व्यवस्था की गई है, क्योंकि सड़कों पर घूमते मवेशियों की वजह से कई बार बड़े हादसे भी हो जाते हैं, जिसमें जनधन की हानि होती है.
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मवेशियों के संरक्षण के लिए बनवाए गए 114 गौठान
रायगढ़ में लगभग सभी निकाय क्षेत्रों को मिलाकर 20 गौठान हैं और वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में लगभग 114 गौठान बने हैं जहां पर इन मवेशियों की देख-रेख और उनका संरक्षण करना है. लोगों ने शुरू में इस अभियान की तारीफ की थी, लेकिन अधिकारियों की लापरवाही की वजह से ये अभियान औपचारिकता मात्र ही रह गया है.
लापरवाही करने पर वालों पर होगी कार्रवाई
भाजपा का आरोप है कि स्थानीय जनप्रतिनिधि और प्रशासन के सुस्त रवैया और लापरवाही के कारण मवेशी आज सड़कों पर हैं. यह बेहतर योजना है इसमें अगर सक्रियता दिखाएं, तो यह सबके लिए लाभकारी होगा. जिला प्रशासन के अधिकारी का कहना है कि जहां पर अनियमितताएं हैं, उनको पूरी की जाएगी और इस अभियान को बेहतर ढंग से पालन कराया जाएगा. साथ ही जिम्मेदार लोगों पर लापरवाही करने पर कार्रवाई भी की जाएगी.