रायगढ़ : किसी भी शहर या गांव के विकास के लिए रोड जरुरी है. विकास के पहिए को घूमाने के लिए रोड का होना बेहद जरुरी है. जिन भी क्षेत्रों में अच्छी सड़कें हैं, वहां का डेवलेपमेंट तेज गति से हुआ है. जिन जगहों पर सड़क की सुविधा नहीं है या फिर जर्जर है, उन इलाकों में आम जनजीवन के साथ आर्थिक तरक्की भी बाधित होती है. ऐसा ही एक क्षेत्र है रायगढ़ का ग्राम पंचायत सोड़ेकेला. इस ग्राम पंचायत में एक दो नहीं बल्कि तीस साल से सड़क नहीं है. लिहाजा अब यहां के ग्रामीणों ने चुनाव बहिष्कार की धमकी दी है.
तीस साल से रोड का इंतजार : रायगढ़ जिले की ग्राम पंचायत सोड़ेकेला के ग्रामीण तीस साल से अच्छी सड़क का इंतजार कर रहे हैं. सड़क के इंतजार में ग्रामीणों की जवानी बुढ़ापे में तब्दील हो गई.अगली पीढ़ी अब गांव में जवान होने लगी, लेकिन बरसों पुरानी मांग पूरी नहीं हुई.ग्रामीणों की मानें तो सड़क नहीं होने से उन्हें कई तरह की दिक्कतें होती है. बारिश के मौसम में गांव का संपर्क दूसरे गांव से टूट जाता है. बच्चों की पढ़ाई प्रभावित होती है.
सड़क नहीं होने से स्कूली बच्चों को दिक्कत आती है. बारिश में कच्ची रोड में मिट्टी जमने के कारण कोई भी वाहन गांव में नहीं आ पाता. ऐसे में मरीजों को अस्पताल ले जाने में परेशानी होती है. -सहदेव, ग्रामीण
रोड नहीं बनाने पर चुनाव बहिष्कार की धमकी : आज तक रोड नहीं बनने के कारण ग्रामीणों ने 'रोड नहीं तो वोट नहीं' के नारे के साथ आगामी विधानसभा चुनाव का बहिष्कार करने की बात कही है.
सड़क के लिए हमारे बाप दादा भी अधिकारियों और मंत्रियों से निवेदन करते रहे हैं, लेकिन रोड नहीं बनीं. अब विधानसभा चुनाव का बहिष्कार करने का निर्णय लिया गया है. -पक्षपाल गुप्ता, ग्रामीण
हमारे गांव में तीन तरफ से रोड है. तीनों की स्थिति जस की तस है. बरसात में पैदल चलना भी दूभर हो जाता है. गांव की कोई महिला प्रेग्नेंट है तो एंबुलेंस वाले बोलते हैं कि हमारे गांव से पहले गांव पर ले आइए, फिर हम आएंगे. ऐसा कब तक चलता रहेगा. -राकेश सतपति, ग्रामीण
सीएम भूपेश के निर्देश के बाद भी नहीं बनी सड़क : कुछ महीनों पहले प्रदेश के मुखिया भूपेश बघेल का पुसौर में दौरा कार्यक्रम था. सीएम ने इस दौरान सोड़ेकेला के ग्रामीणों को रोड बनाने का आश्वासन दिया था. लेकिन कई महीने बाद भी स्थिति जस की तस है. अब सड़क नहीं होने से ग्रामीणों ने प्रशासन के खिलाफ ही मोर्चा खोल दिया है. यदि वक्त रहते ग्रामीणों की मांगें नहीं पूरी हुई तो आने वाले विधानसभा चुनाव में इसका असर हो सकता है.