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SPECIAL: औद्योगीकरण से रायगढ़ की फिजा हुई जहरीली, बढ़ते प्रदूषण से लोगों की जान पर खतरा !

शहर में विकास के साथ-साथ प्रदूषण का स्तर भी बढ़ रहा है. रायगढ़ का विकास तो हो रहा है, लेकिन इसके साथ-साथ लोगों को प्रदूषण का दंश भी झेलना पड़ रहा है.

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Published : Oct 18, 2020, 1:27 PM IST

Pollution increasing due to industries
प्रदूषण का प्रकोप

रायगढ़: प्रदेश के मानचित्र में रायगढ़ जिला औद्योगिक नगरी के रूप में विकसित हो रहा है. उद्योगों से हजारों लोगों को रोजगार मिल रहा है. तो वहीं शासन को करोड़ों रुपये का राजस्व भी मिल रहा है. लेकिन इन सब के साथ विकास के साथ विनाश भी कई गुना तेजी से बढ़ रहा है. बढ़ते उद्योग और उद्योगों से निकलता धुआं, गंदा पानी और उद्योगों तक माल पहुंचाने के लिए भारी वाहनों से सड़क की बर्बादी भी रायगढ़ के लोगों को विकास के नाम पर मिली है. रायगढ़ की स्थिति को लेकर जानकार और डॉक्टर सभी चिंता जाहिर कर रहे हैं.

रायगढ़ में बढ़ता प्रदूषण

क्षेत्रीय पर्यावरण अधिकारी का कहना है कि, मार्च महीने के बाद से लॉकडाउन की वजह से पर्यावरण की स्थिति में बेहद सुधार आया था. लेकिन अनलॉक के बाद से स्थिति फिर पहले जैसी होती जा रही है. अभी सारे उद्योग नहीं चल रहे हैं, जब सारे उद्योग शुरू हो जाएंगे तब स्थिति खराब हो सकती है.

Pollution increasing due to industries
विकास या विनाश !

नुकसानदायक है धूल के कण

उद्योगों से निकलने वाले धुंए और जर्जर सड़कों से उड़ने वाली धूल, प्रदूषण की मुख्य वजह है. इन धूल और धुएं में कार्बन और अन्य रसायनों के छोटे-छोटे कण जिनका आकर 2.5 PM से 10 PM तक होता है, ये हवा में घुलकर सांस नली से होते हुए प्रत्यक्ष तौर पर लोगों को प्रभावित करते हैं.

Pollution increasing due to industries
उद्योगों से निकलता धुआं

लॉकडाउन में मिली थी राहत

सामाजिक कार्यकर्ता राजेश त्रिपाठी बताते हैं कि रायगढ़ जिले में प्रदूषण का स्तर खतरे की लकीर से ऊपर है. लेकिन स्थानीय अधिकारी स्थिति को समझना नहीं चाह रहे हैं. लॉकडाउन से पहले ही रायगढ़ जिले में प्रदूषण का स्तर काफी बढ़ा हुआ था. लॉकडाउन के दौरान उद्योग बंद रहे. जिसके कारण स्थिति में सुधार हुआ था. लेकिन अब अनलॉक के साथ ही उद्योग खुलने लगे हैं, लिहाजा प्रदूषण फिर से बढ़ने लगा है. धूल और रासायनिक कणों की वजह से सांस संबंधित रोग के मामले बढ़ रहे हैं. तो वहीं उद्योगों से निकलने वाले पानी की वजह से चर्म रोग जैसी बीमारियां भी लोगों को जकड़ रही है.

रायगढ़: सरपंच के खिलाफ ग्रामीणों ने मोर्चा खोला, जलाया पुतला

सांस संबंधित बीमारियां बढ़ी

डॉक्टर मनीष ने बताया कि उनकी क्लीनिक में बीते कुछ वर्षों से सांस से संबंधित रोगियों की संख्या बढ़ रही है. अस्थमा, सांस लेने में कठिनाई और कई अन्य तरह की बीमारियों से ग्रसित लोग पहुंच रहे हैं. इन सब का मुख्य कारण हवा की शुद्धता का बिगड़ना है. क्योंकि रायगढ़ के वायु की गुणवत्ता समय के साथ कम होती जा रही है और हवा प्रदूषित होने के कारण सामान्य सी बीमारी भी गंभीर रूप ले रही है.

सड़क भी है प्रदूषण की वजह

रायगढ़ की सड़कें भी शहर में प्रदूषण का एक मुख्य कारण है. शहर की सड़कें पूरी तरह से जर्जर हो चुकी है. जब सड़कों में बड़ी गाड़ियां चलती है, तब उद्योगों के लिए कोयला ले जाने वाले कोयले सड़कों पर गिरते हैं. जब गाड़ियों के चलने से डस्ट बनकर उड़ता है तो लोगों के लिए यह कई गुना अधिक खतरनाक हो जाता है. यहां ज्यादातर उद्योगों में प्रदूषण मापक यंत्र भी लगाया गया है. जिसकी समय-समय पर निगरानी की जाती है. साथ ही कहीं भी खराबी या छेड़छाड़ दिखने पर तुरंत कार्रवाई भी की जाती है.

रायगढ़: प्रदेश के मानचित्र में रायगढ़ जिला औद्योगिक नगरी के रूप में विकसित हो रहा है. उद्योगों से हजारों लोगों को रोजगार मिल रहा है. तो वहीं शासन को करोड़ों रुपये का राजस्व भी मिल रहा है. लेकिन इन सब के साथ विकास के साथ विनाश भी कई गुना तेजी से बढ़ रहा है. बढ़ते उद्योग और उद्योगों से निकलता धुआं, गंदा पानी और उद्योगों तक माल पहुंचाने के लिए भारी वाहनों से सड़क की बर्बादी भी रायगढ़ के लोगों को विकास के नाम पर मिली है. रायगढ़ की स्थिति को लेकर जानकार और डॉक्टर सभी चिंता जाहिर कर रहे हैं.

रायगढ़ में बढ़ता प्रदूषण

क्षेत्रीय पर्यावरण अधिकारी का कहना है कि, मार्च महीने के बाद से लॉकडाउन की वजह से पर्यावरण की स्थिति में बेहद सुधार आया था. लेकिन अनलॉक के बाद से स्थिति फिर पहले जैसी होती जा रही है. अभी सारे उद्योग नहीं चल रहे हैं, जब सारे उद्योग शुरू हो जाएंगे तब स्थिति खराब हो सकती है.

Pollution increasing due to industries
विकास या विनाश !

नुकसानदायक है धूल के कण

उद्योगों से निकलने वाले धुंए और जर्जर सड़कों से उड़ने वाली धूल, प्रदूषण की मुख्य वजह है. इन धूल और धुएं में कार्बन और अन्य रसायनों के छोटे-छोटे कण जिनका आकर 2.5 PM से 10 PM तक होता है, ये हवा में घुलकर सांस नली से होते हुए प्रत्यक्ष तौर पर लोगों को प्रभावित करते हैं.

Pollution increasing due to industries
उद्योगों से निकलता धुआं

लॉकडाउन में मिली थी राहत

सामाजिक कार्यकर्ता राजेश त्रिपाठी बताते हैं कि रायगढ़ जिले में प्रदूषण का स्तर खतरे की लकीर से ऊपर है. लेकिन स्थानीय अधिकारी स्थिति को समझना नहीं चाह रहे हैं. लॉकडाउन से पहले ही रायगढ़ जिले में प्रदूषण का स्तर काफी बढ़ा हुआ था. लॉकडाउन के दौरान उद्योग बंद रहे. जिसके कारण स्थिति में सुधार हुआ था. लेकिन अब अनलॉक के साथ ही उद्योग खुलने लगे हैं, लिहाजा प्रदूषण फिर से बढ़ने लगा है. धूल और रासायनिक कणों की वजह से सांस संबंधित रोग के मामले बढ़ रहे हैं. तो वहीं उद्योगों से निकलने वाले पानी की वजह से चर्म रोग जैसी बीमारियां भी लोगों को जकड़ रही है.

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सांस संबंधित बीमारियां बढ़ी

डॉक्टर मनीष ने बताया कि उनकी क्लीनिक में बीते कुछ वर्षों से सांस से संबंधित रोगियों की संख्या बढ़ रही है. अस्थमा, सांस लेने में कठिनाई और कई अन्य तरह की बीमारियों से ग्रसित लोग पहुंच रहे हैं. इन सब का मुख्य कारण हवा की शुद्धता का बिगड़ना है. क्योंकि रायगढ़ के वायु की गुणवत्ता समय के साथ कम होती जा रही है और हवा प्रदूषित होने के कारण सामान्य सी बीमारी भी गंभीर रूप ले रही है.

सड़क भी है प्रदूषण की वजह

रायगढ़ की सड़कें भी शहर में प्रदूषण का एक मुख्य कारण है. शहर की सड़कें पूरी तरह से जर्जर हो चुकी है. जब सड़कों में बड़ी गाड़ियां चलती है, तब उद्योगों के लिए कोयला ले जाने वाले कोयले सड़कों पर गिरते हैं. जब गाड़ियों के चलने से डस्ट बनकर उड़ता है तो लोगों के लिए यह कई गुना अधिक खतरनाक हो जाता है. यहां ज्यादातर उद्योगों में प्रदूषण मापक यंत्र भी लगाया गया है. जिसकी समय-समय पर निगरानी की जाती है. साथ ही कहीं भी खराबी या छेड़छाड़ दिखने पर तुरंत कार्रवाई भी की जाती है.

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