ETV Bharat / state

SPECIAL: ठंड में खुले आसमान में सोने को मजबूर लोग, प्रचार-प्रसार की कमी के चलते रैन बसेरे बने सफेद हाथी

रायगढ़ में ठंड के मौसम में लोग खुले आसमान के नीचे सोने को मजबूर हैं. ऐसा नहीं है कि रायगढ़ में रैन बसेरे नहीं हैं, लेकिन प्रचार-प्रसार में कमी के चलते लोग इनके बारे में नहीं जानते.

people-forced-to-sleep-in-open-sky-in-raigadh-in-cold-weather
ठंड में खुले आसमान के नीचे सोते लोग
author img

By

Published : Nov 20, 2020, 11:09 PM IST

Updated : Nov 21, 2020, 10:52 AM IST

रायगढ़: वैश्विक महामारी कोरोना वायरस ने न सिर्फ लाखों लोगों की जान ली है, बल्कि हजारों लोगों की नौकरी छीनकर उन्हें सड़क पर ला खड़ा किया है. अब लोग रोजगार की तलाश में एक शहर से दूसरे शहर भटक रहे हैं, तो वहीं कुछ लोग ऐसे हैं, जो अपने ही शहर में गरीबी की वजह से बेघर हो गए हैं.

ठंडा का समय है, ऐसे में प्रशासन इनको मदद देने और सोने के लिए बेहतर व्यवस्था रैन बसेरे में देती है और इनकी मदद के लिए लाखों रुपए खर्च करती है. रायगढ़ में रैन बसेरों को लेकर क्या स्थिति है, इस बार में हमने रियलिटी टेस्ट किया. बाहर से आने वाले लोगों के लिए रात में रुकने की व्यवस्था कैसी है, गांव से जो शहर पहुंचते हैं, शहर में उनके सोने, रहने और आराम के लिए क्या व्यवस्था है, इसका जायजा हमने लिया.

ठंड में खुले आसमान के नीचे सोते लोग

स्थिति का लिया जायजा

जब हमने सड़क किनारे, रेलवे स्टेशन और बस स्टेशन के पास खुले आसमान के नीचे सोने वाले लोगों से बात की, तो उन्होंने बताया कि कोरोना की वजह से लोगों में अब मानवता भी खत्म हो गई है. हमारे पास छोटे-छोटे बच्चे हैं. रात का अंधेरा और ऊपर से कड़कड़ाती ठंड की शुरुआत. इस तरह से वे प्राकृतिक आफत से परेशान तो हैं ही, ऊपर से लोग उन्हें कोरोना हो जाने के डर से अपने आसपास या अपने घर के बाहर बने चबूतरों पर भी नहीं रुकने दे रहे हैं और भगा दे रहे हैं. ऐसे में ये लोग खुले आसमान के नीचे सोने को मजबूर हैं.

क्या होता है रैन बसेरा

बाहर से इलाज कराने या अन्य काम से शहर आने वाले लोगों के लिए रात में ठहरने के लिए रैन बसेरा सरकार बनाती है. यहां पर निःशुल्क रुकने की व्यवस्था होती है, साथ ही उपयोग के आधार पर कुछ जगहों पर सामान रखने का भी बहुत कम किराया लिया जाता है. रैन बसेरा प्रायः सभी शहरों में होता है. लोगों को अगर किसी कारणवश दूसरी जगह पर आना पड़ता है और उनके ठहरने की व्यवस्था नहीं हो पाती है, तो उनकी व्यवस्था के लिए ही रैन बसेरे बनाए जाते हैं. रायगढ़ में भी बस स्टेशन और रेलवे में यात्रा करने वाले और शहर आने वाले लोगों के लिए केवड़ा बाड़ी बस स्टेशन के पास रैन बसेरा बनाया गया है.

प्रचार की दिख रही है कमी

रायगढ़ जिले में बाहर से आए लोगों को रैन बसेरे की जानकारी ही नहीं है. जब हमने लोगों से इसके विषय में पूछा, तब उन्होंने बताया कि कहीं पर भी रैन बसेरे के संबंध में उन्हें जानकारी नहीं मिली है. ना कोई स्थानीय बता रहा है और ना ही कोई अधिकारी-कर्मचारी इसके बारे में कोई सूचना दी. लोग फुटपाथ पर सोने को मजबूर हैं. ऐसे में किसी भी तरह की अनहोनी ना हो जाए, इसका डर बना रहता है. इसी डर के बीच वे खुले आसमान के नीचे रात काटने को मजबूर हैं.

रायगढ़: वैश्विक महामारी कोरोना वायरस ने न सिर्फ लाखों लोगों की जान ली है, बल्कि हजारों लोगों की नौकरी छीनकर उन्हें सड़क पर ला खड़ा किया है. अब लोग रोजगार की तलाश में एक शहर से दूसरे शहर भटक रहे हैं, तो वहीं कुछ लोग ऐसे हैं, जो अपने ही शहर में गरीबी की वजह से बेघर हो गए हैं.

ठंडा का समय है, ऐसे में प्रशासन इनको मदद देने और सोने के लिए बेहतर व्यवस्था रैन बसेरे में देती है और इनकी मदद के लिए लाखों रुपए खर्च करती है. रायगढ़ में रैन बसेरों को लेकर क्या स्थिति है, इस बार में हमने रियलिटी टेस्ट किया. बाहर से आने वाले लोगों के लिए रात में रुकने की व्यवस्था कैसी है, गांव से जो शहर पहुंचते हैं, शहर में उनके सोने, रहने और आराम के लिए क्या व्यवस्था है, इसका जायजा हमने लिया.

ठंड में खुले आसमान के नीचे सोते लोग

स्थिति का लिया जायजा

जब हमने सड़क किनारे, रेलवे स्टेशन और बस स्टेशन के पास खुले आसमान के नीचे सोने वाले लोगों से बात की, तो उन्होंने बताया कि कोरोना की वजह से लोगों में अब मानवता भी खत्म हो गई है. हमारे पास छोटे-छोटे बच्चे हैं. रात का अंधेरा और ऊपर से कड़कड़ाती ठंड की शुरुआत. इस तरह से वे प्राकृतिक आफत से परेशान तो हैं ही, ऊपर से लोग उन्हें कोरोना हो जाने के डर से अपने आसपास या अपने घर के बाहर बने चबूतरों पर भी नहीं रुकने दे रहे हैं और भगा दे रहे हैं. ऐसे में ये लोग खुले आसमान के नीचे सोने को मजबूर हैं.

क्या होता है रैन बसेरा

बाहर से इलाज कराने या अन्य काम से शहर आने वाले लोगों के लिए रात में ठहरने के लिए रैन बसेरा सरकार बनाती है. यहां पर निःशुल्क रुकने की व्यवस्था होती है, साथ ही उपयोग के आधार पर कुछ जगहों पर सामान रखने का भी बहुत कम किराया लिया जाता है. रैन बसेरा प्रायः सभी शहरों में होता है. लोगों को अगर किसी कारणवश दूसरी जगह पर आना पड़ता है और उनके ठहरने की व्यवस्था नहीं हो पाती है, तो उनकी व्यवस्था के लिए ही रैन बसेरे बनाए जाते हैं. रायगढ़ में भी बस स्टेशन और रेलवे में यात्रा करने वाले और शहर आने वाले लोगों के लिए केवड़ा बाड़ी बस स्टेशन के पास रैन बसेरा बनाया गया है.

प्रचार की दिख रही है कमी

रायगढ़ जिले में बाहर से आए लोगों को रैन बसेरे की जानकारी ही नहीं है. जब हमने लोगों से इसके विषय में पूछा, तब उन्होंने बताया कि कहीं पर भी रैन बसेरे के संबंध में उन्हें जानकारी नहीं मिली है. ना कोई स्थानीय बता रहा है और ना ही कोई अधिकारी-कर्मचारी इसके बारे में कोई सूचना दी. लोग फुटपाथ पर सोने को मजबूर हैं. ऐसे में किसी भी तरह की अनहोनी ना हो जाए, इसका डर बना रहता है. इसी डर के बीच वे खुले आसमान के नीचे रात काटने को मजबूर हैं.

Last Updated : Nov 21, 2020, 10:52 AM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.