रायगढ़: जिले के सारंगढ़ विधानसभा क्षेत्र में चौहान परिवार पिछले 4 पीढ़ी से महात्मा गांधीजी की पूजा करते आ रहे हैं. उन्होंने अपने घर में महात्मा गांधी की मिट्टी की प्रतिमा भी बनाई है. हर रोज सुबह-शाम उनकी पूजा करते हैं. साथ ही आस-पास के गांव के लोग भी गांधीजी की पूजा करने और प्रतिमा दर्शन के लिए आते हैं. ये कहानी है लालाध्रुव गांव की जहां बापू की आरती उतारी जाती है.
बता दें कि चौहान परिवार के सबसे वरिष्ठ बोर्रा चौहान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे. उन्होंने कई बार गांधीजी के मार्गदर्शन पर स्वतंत्रता की लड़ाई लड़ी. स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद उनके दादा गांधीजी से इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने घर में ही उनकी मिट्टी की प्रतिमा बना ली. मूर्ति बनाने के बाद हर रोज सुबह-शाम उसकी पूजा करने लगे.
बोर्रा चौहान की बेटी नानू बनीं थी विधायक
ETV भारत से बातचीत करते हुए बोर्रा चौहान के बड़े पोते ने बताया कि गांधी परिवार उनकी इस आस्था और विश्वास को लेकर इतने प्रभावित हुए कि बोर्रा चौहान की बेटी नानू दाई चौहान को सारंगढ़ विधानसभा से दो बार कांग्रेस ने विधायकी के लिए टिकट दिया और दोनों बार नानूदाई ने जीत दर्ज कराई. परिजनों ने देश के तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के साथ उनकी फोटो खिंचवाए हैं. उनका कहना है कि जब दिल्ली में सम्मेलन हुआ था तब नेहरू के साथ उन्होंने फोटो खिंचाई थी.
पीढ़ी दर पीढ़ी करते आ रहे हैं पूजा
बोर्रा चौहान की मृत्यु के बाद गांधीजी की प्रतिमा की पूजा उनके बेटे ने अधिनदास ने शुरू की. उनके बेटे पेशे से मास्टर थे और वे बोर्रा चौहान के बाद पूजा करने लगे. साल 1995-96 के आस-पास अधीन दास की मृत्यु के बाद उनके बेटे भुवनेश्वर और पूरन चौहान शुरू किया. ग्रामीणों का कहना है कि लगातार चार पीढ़ी से गांधी की पूजा करते आ रहे हैं. जयंती और अन्य अवसर पर आस-पास के गांव से लोग भी पहुंचते हैं और गांधी जी की पूजा करते हैं. अभी चौहान परिवार में 10 लोग हैं, जिनमें दो पोते भुवनेश्वर और पूरन है और उनकी माता हैं.
भगवान को छोड़कर गांधी की पूजा
आज के दौर में ये परिवार भगवान को छोड़कर गांधी की पूजा कर रहे हैं. इससे ग्रामीण और आस-पास के गांव के लोग भी खुश हैं. उनका कहना है कि परिवार की आस्था पहले से ही गांधी के लिए थी और यही कारण है कि 4 पीढ़ियों से उनकी पूजा कर रहे हैं. लोग भी उनका साथ देने के लिए विशेष समय जैसे गांधी जयंती, पुण्यतिथि, गणतंत्र दिवस, स्वतंत्रता दिवस जैसे मौकों पर पहुंचते हैं.