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रायगढ़ : गोमर्डा अभ्यारण्य में फिर से नीलगाय का शिकार, जांच जारी

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Published : Sep 11, 2020, 8:29 PM IST

Updated : Sep 11, 2020, 8:41 PM IST

रायगढ़ के गोमर्डा अभ्यारण्य में लगातार वन्यप्राणियों का शिकार हो रहा है. जानकारी के मुताबिक 6 सितंबर को शिकारियों ने गोमर्डा अभ्यारण्य के बटऊपाली बीट के कक्ष क्रमांक 932 पीएफ में नीलगाय का शिकार किया था, लेकिन किसी वजह से उसे अपने घर तक नहीं ले जा पाए. इसके बाद उन्होंने घनी झाड़ियां देखकर नीलगाय के शव को दफन कर दिया. हैरानी की बात यह है कि घटना के तीन से चार दिन बीतने के बाद भी विभाग के अधिकारियों को इसकी भनक तक नहीं लगी.

Nilgai hunt in Gomarda sanctuary of Raigarh
गोमर्डा अभ्यारण्य में फिर नीलगाय का शिकार

रायगढ़ : जिले के सारंगढ़ क्षेत्र के गोमर्डा अभ्यारण्य में लगातार वन्यप्राणियों का शिकार हो रहा है. कई बार ऐसा भी होता है कि शिकारी शिकार कर निकल जाते हैं और विभाग के बीटगार्ड, डिप्टी रेंजर, रेंजर सहित अधिकारियों को पता भी नहीं चलता. कुछ इसी तरह का मामला गुरुवार को भी सामने आया है.

गोमर्डा अभ्यारण्य में फिर से नीलगाय का शिकार

जानकारी के मुताबिक पिछले तीन से चार दिनों के अंदर शिकारियों ने नीलगाय का शिकार कर दिया था, लेकिन किसी वजह से वे नीलगाय को नहीं ले जा पाए और उसे जंगल में ही दफना दिया. हैरानी की बात यह है कि घटना के तीन से चार दिन बीतने के बाद भी वन विभाग के अधिकारियों को इसकी भनक तक नहीं लगी.

6 सितंबर की बताई जा रही घटना

वहीं गुरुवार को मीडिया के सूत्रों ने इसकी सूचना विभाग के अधिकारियों को दी, जिसके बाद अधिकारी दोपहर से लेकर रात तक नीलगाय के दफनाए गए शव को ढूंढते रहे, लेकिन मौके तक नहीं पहुंच पाए. जानकारी के मुताबिक 6 सितंबर को शिकारियों ने गोमर्डा अभ्यारण के बटऊपाली बीट के कक्ष क्रमांक 932 पीएफ में नीलगाय का शिकार किया था, लेकिन किसी वजह से उसे अपने घर तक नहीं ले जा पाए. इसके बाद उन्होंने घनी झाडियां देखकर नीलगाय के शव को दफन कर दिया.

बिजली का तार बिछाकर वन्यप्राणियों का शिकार

बताया जा रहा है कि शिकारियों ने करंट का तार बिछाकर वन्यप्राणी का शिकार किया था. जहां करंट के कारण कई झाडियां भी जल गई है. वहीं गुरुवार को इसकी जानकारी जब वन विभाग के डीएफओ को दी गई तब उन्होंने कहा कि इस मामले की जांच कराकर दोषियों के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जाएगी, लेकिन विडंबना है कि दोपहर में दी गई जानकारी के बाद भी वन्यप्राणी का शव शाम तक विभाग के कर्मचारियों को नहीं मिल पाया.

पढ़ें: बलरामपुर: चादो वन परिक्षेत्र में नील गाय का शिकार करने के केस में 22 आरोपी गिरफ्तार

लोगों का कहना है कि इस क्षेत्र में लंबे समय से शिकारियों का वर्चस्व रहा है और हर हफ्ते शिकारी, शिकार की घटना को अंजाम दे रहे हैं. इससे पहले भी कक्ष क्रमांक- 932 में नीलगाय के शिकार की घटना सामने आ चुकी है. इसके बाद भी संबंधित बीटगार्ड, डिप्टी रेंजर और रेंजर को इससे कोई भी मतलब नहीं है.

शक के आधार पर दो लोगों से पूछताछ जारी

ग्रामीणों ने आरोप लगाया है कि जातागोमर्डा अभ्यारण्य में इससे पहले भी कई शिकार का मामला सामने आ चुका है, लेकिन शिकारियों को पकड़ने के बजाए विभाग के कर्मचारी उनके साथ सांठगांठ कर अभ्यारण्य को नष्ट करने में तुले हुए हैं. यही कारण है कि नीलगाय के शिकार की जानकारी तीन से चार दिन बाद मीडिया सहित विभाग के उच्चाधिकारियों तक पहुंच रही है, लेकिन संबंधित बीटगार्ड और डिप्टी रेंजर तक को इसकी भनक नहीं लगी. वन विभाग के अधिकारियों पर आरोप है कि सांठगांठ करने के कारण कई मामले को इसी तरह दफना दिया जाता है. गोमर्डा उपप्रभारी यश मोहन नायक ने बताया कि दो आरोपियों से शक के आधार पर पूछताछ की जा रही है.

अधिकारी नहीं हैं गंभीर

गोमर्डा अभ्यारण्य में लगातार वन्य प्राणियों का शिकार हो रहा है, लेकिन एक-दो केसों में ही कार्रवाई की जा रही है. जबकि इस क्षेत्र में लगातार वन्य प्राणियों का शिकार हो रहा है. आरोप है कि स्थानीय कर्मचारियों के डर से अधिकारी भी उन पर कोई कार्रवाई करने से बच रहे हैं. सूत्रों की मानें तो स्थानीय कर्मचारियों को एक IFS रैंक के अधिकारी का सहयोग प्राप्त है.

रायगढ़ : जिले के सारंगढ़ क्षेत्र के गोमर्डा अभ्यारण्य में लगातार वन्यप्राणियों का शिकार हो रहा है. कई बार ऐसा भी होता है कि शिकारी शिकार कर निकल जाते हैं और विभाग के बीटगार्ड, डिप्टी रेंजर, रेंजर सहित अधिकारियों को पता भी नहीं चलता. कुछ इसी तरह का मामला गुरुवार को भी सामने आया है.

गोमर्डा अभ्यारण्य में फिर से नीलगाय का शिकार

जानकारी के मुताबिक पिछले तीन से चार दिनों के अंदर शिकारियों ने नीलगाय का शिकार कर दिया था, लेकिन किसी वजह से वे नीलगाय को नहीं ले जा पाए और उसे जंगल में ही दफना दिया. हैरानी की बात यह है कि घटना के तीन से चार दिन बीतने के बाद भी वन विभाग के अधिकारियों को इसकी भनक तक नहीं लगी.

6 सितंबर की बताई जा रही घटना

वहीं गुरुवार को मीडिया के सूत्रों ने इसकी सूचना विभाग के अधिकारियों को दी, जिसके बाद अधिकारी दोपहर से लेकर रात तक नीलगाय के दफनाए गए शव को ढूंढते रहे, लेकिन मौके तक नहीं पहुंच पाए. जानकारी के मुताबिक 6 सितंबर को शिकारियों ने गोमर्डा अभ्यारण के बटऊपाली बीट के कक्ष क्रमांक 932 पीएफ में नीलगाय का शिकार किया था, लेकिन किसी वजह से उसे अपने घर तक नहीं ले जा पाए. इसके बाद उन्होंने घनी झाडियां देखकर नीलगाय के शव को दफन कर दिया.

बिजली का तार बिछाकर वन्यप्राणियों का शिकार

बताया जा रहा है कि शिकारियों ने करंट का तार बिछाकर वन्यप्राणी का शिकार किया था. जहां करंट के कारण कई झाडियां भी जल गई है. वहीं गुरुवार को इसकी जानकारी जब वन विभाग के डीएफओ को दी गई तब उन्होंने कहा कि इस मामले की जांच कराकर दोषियों के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जाएगी, लेकिन विडंबना है कि दोपहर में दी गई जानकारी के बाद भी वन्यप्राणी का शव शाम तक विभाग के कर्मचारियों को नहीं मिल पाया.

पढ़ें: बलरामपुर: चादो वन परिक्षेत्र में नील गाय का शिकार करने के केस में 22 आरोपी गिरफ्तार

लोगों का कहना है कि इस क्षेत्र में लंबे समय से शिकारियों का वर्चस्व रहा है और हर हफ्ते शिकारी, शिकार की घटना को अंजाम दे रहे हैं. इससे पहले भी कक्ष क्रमांक- 932 में नीलगाय के शिकार की घटना सामने आ चुकी है. इसके बाद भी संबंधित बीटगार्ड, डिप्टी रेंजर और रेंजर को इससे कोई भी मतलब नहीं है.

शक के आधार पर दो लोगों से पूछताछ जारी

ग्रामीणों ने आरोप लगाया है कि जातागोमर्डा अभ्यारण्य में इससे पहले भी कई शिकार का मामला सामने आ चुका है, लेकिन शिकारियों को पकड़ने के बजाए विभाग के कर्मचारी उनके साथ सांठगांठ कर अभ्यारण्य को नष्ट करने में तुले हुए हैं. यही कारण है कि नीलगाय के शिकार की जानकारी तीन से चार दिन बाद मीडिया सहित विभाग के उच्चाधिकारियों तक पहुंच रही है, लेकिन संबंधित बीटगार्ड और डिप्टी रेंजर तक को इसकी भनक नहीं लगी. वन विभाग के अधिकारियों पर आरोप है कि सांठगांठ करने के कारण कई मामले को इसी तरह दफना दिया जाता है. गोमर्डा उपप्रभारी यश मोहन नायक ने बताया कि दो आरोपियों से शक के आधार पर पूछताछ की जा रही है.

अधिकारी नहीं हैं गंभीर

गोमर्डा अभ्यारण्य में लगातार वन्य प्राणियों का शिकार हो रहा है, लेकिन एक-दो केसों में ही कार्रवाई की जा रही है. जबकि इस क्षेत्र में लगातार वन्य प्राणियों का शिकार हो रहा है. आरोप है कि स्थानीय कर्मचारियों के डर से अधिकारी भी उन पर कोई कार्रवाई करने से बच रहे हैं. सूत्रों की मानें तो स्थानीय कर्मचारियों को एक IFS रैंक के अधिकारी का सहयोग प्राप्त है.

Last Updated : Sep 11, 2020, 8:41 PM IST
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