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तीन दिवसीय राष्ट्रीय जनजातीय साहित्य महोत्सव में जुटेंगे देश भर के जनजातीय साहित्यकार, सीएम भूपेश बघेल करेंगे शुभारंभ

राजधानी रायपुर में देशभर के जनजातीय साहित्यकारों के कुंभ का आयोजन किया जा रहा है. पंडित दीनदयाल आडिटोरियम में 19 अप्रैल से आयोजित किए जा रहे इस तीन दिवसीय राष्ट्रीय जनजातीय साहित्य महोत्सव का शुभारंभ मुख्यमंत्री भूपेश बघेल करेंगे. इस महोत्सव में जनजातीय नृत्य प्रदर्शन, कला और चित्रकला प्रतियोगिता होगी. पुस्तक मेला और विभिन्न विभागों की प्रदर्शनी भी आयोजित की जाएगी.

CM Bhupesh Baghel
सीएम भूपेश बघेल
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Published : Apr 16, 2022, 9:21 AM IST

रायपुर: आदिमजाति अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान की ओर से रायपुर में राष्ट्रीय जनजातीय महोत्सव का आयोजन किया जाएगा. 19 अप्रैल से होने वाले इस आयोजन में राज्य के विभिन्न अंचलों के जनजातीय समुदाय के प्रबुद्ध व्यक्तियों, समाज प्रमुखों, साहित्यकारों और कला के क्षेत्र के दिग्गजों को आमंत्रित किया जा रहा है. इस अवसर पर सांस्कृतिक कार्यक्रम भी होंगे. इसमें बस्तर बैंड का प्रदर्शन, बाल कलाकार सहदेव नेताम और जनजातीय नृत्य मुख्य आकर्षण होगा. इस आयोजन की प्रारंभिक तैयारियां शुरू कर दी गई हैं.

यह भी पढ़ें: हड़ताल पर बैठी मितानिनों की मांग पर स्वास्थ्य मंत्री टी एस सिंहदेव ने विभाग की ओर से मुख्यमंत्री को भेजा प्रस्ताव

महोत्सव का उद्देश्य देशभर में पारम्परिक और समकालीन जनजातीय साहित्य से परिचय और आधुनिक संदर्भ में उनके विकास की स्थिति जानना-समझना है. साथ ही छत्तीसगढ़ में जनजातीय साहित्य के क्षेत्र में कार्य कर रहे शोधार्थियों, साहित्यकारों, रचनाकारों को मंच देकर जनजातीय साहित्य के संरक्षण और संवर्धन के लिए प्रेरित और प्रोत्साहित करना है. जनजातीय साहित्य से संबंधित विभिन्न विषयों के स्थापित और नए साहित्यकारों को बुलाया जाएगा. जनजातीय परम्परा में साहित्य और वर्तमान स्थिति, जनजातीय कथाएं, जनजातीय कविताएं, पुरखा साहित्य पर परिचर्चा होगी.

साहित्य महोत्सव में देश के विभिन्न राज्यों से जनजातीय विषयों पर लेखन कार्य करने वाले जनजातीय- गैरजनजातीय स्थापित और विख्यात साहित्यकारों, रचनाकारों, विश्वविद्यालयों के अध्येताओं, शोधार्थियों, विषय विशेषज्ञों को बुलाया जा रहा है. शोध पत्रों का प्रकाशन भी किया जाएगा. साहित्य महोत्सव के अंतर्गत कला एवं चित्रकला प्रतियोगिता आयोजित होगी. हस्तकला के अंतर्गत माटी, बांस, बेलमेटल, काष्ठकला का भी जीवंत प्रदर्शन किया जाएगा. दीवारों पर, पत्थरों पर विभिन्न प्रकार के जनजातीय सामाजिक-सांस्कृतिक गतिविधियों को दर्शाती चित्रकला भी पाई जाती है, जिससे इसकी समृद्ध संस्कृति का पता चलता है. इस प्रतियोगिता में लगभग 350 प्रतियोगी शामिल होंगे.

छत्तीसगढ़ की नृत्य विधाओं का प्रदर्शन: महोत्सव में छत्तीसगढ़ की नृत्य विधाओं का प्रदर्शन किया जाएगा. जिसमें विभिन्न जनजातीय क्षेत्रों में किए जाने वाले जनजातीय नृत्य शैला, सरहुल, करमा, सोन्दो, कुडुक, डुंडा, दशहरा करमा, विवाह नृत्य (हुल्की), मड़ई नृत्य, गवरसिंह, गेड़ी, करसाड़, मांदरी, डण्डार नृत्यों का प्रदर्शन किया जाएगा. महोत्सव में पुस्तक मेले का आयोजन भी किया जा रहा है. पुस्तक स्टालों के लिए ऑडिटोरियम की आंतरिक परिसर की गैलरी में व्यवस्था की गई है. इसके अलावा प्रदर्शन और बिक्री के लिए 30 स्टॉल लगाए जा रहे हैं.

छत्तीसगढ़ हस्तकला बोर्ड और माटी कला बोर्ड के स्टॉल: कार्यक्रम स्थल पर छत्तीसगढ़ राज्य के विभिन्न हस्तकला बोर्ड और माटी कला बोर्ड के स्टॉल लगाए जाएंगे. कलाकारों द्वारा बनी वस्तुओं और सामग्रियों का प्रदर्शन और बिक्री की जाएगी. वन विभाग का संजीवनी, वनोपज एवं वन औषधि, जनजातीय चित्रकला की प्रदर्शनी, गढ़कलेवा, बस्तरिहा व्यंजन, आदिमजाति अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान की प्रदर्शनी, अंत्याव्यवसायी निगम की विभागीय योजनाओं की प्रदर्शनी, ट्राईफेड के स्टॉल लगाए जाएंगे.

रायपुर: आदिमजाति अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान की ओर से रायपुर में राष्ट्रीय जनजातीय महोत्सव का आयोजन किया जाएगा. 19 अप्रैल से होने वाले इस आयोजन में राज्य के विभिन्न अंचलों के जनजातीय समुदाय के प्रबुद्ध व्यक्तियों, समाज प्रमुखों, साहित्यकारों और कला के क्षेत्र के दिग्गजों को आमंत्रित किया जा रहा है. इस अवसर पर सांस्कृतिक कार्यक्रम भी होंगे. इसमें बस्तर बैंड का प्रदर्शन, बाल कलाकार सहदेव नेताम और जनजातीय नृत्य मुख्य आकर्षण होगा. इस आयोजन की प्रारंभिक तैयारियां शुरू कर दी गई हैं.

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महोत्सव का उद्देश्य देशभर में पारम्परिक और समकालीन जनजातीय साहित्य से परिचय और आधुनिक संदर्भ में उनके विकास की स्थिति जानना-समझना है. साथ ही छत्तीसगढ़ में जनजातीय साहित्य के क्षेत्र में कार्य कर रहे शोधार्थियों, साहित्यकारों, रचनाकारों को मंच देकर जनजातीय साहित्य के संरक्षण और संवर्धन के लिए प्रेरित और प्रोत्साहित करना है. जनजातीय साहित्य से संबंधित विभिन्न विषयों के स्थापित और नए साहित्यकारों को बुलाया जाएगा. जनजातीय परम्परा में साहित्य और वर्तमान स्थिति, जनजातीय कथाएं, जनजातीय कविताएं, पुरखा साहित्य पर परिचर्चा होगी.

साहित्य महोत्सव में देश के विभिन्न राज्यों से जनजातीय विषयों पर लेखन कार्य करने वाले जनजातीय- गैरजनजातीय स्थापित और विख्यात साहित्यकारों, रचनाकारों, विश्वविद्यालयों के अध्येताओं, शोधार्थियों, विषय विशेषज्ञों को बुलाया जा रहा है. शोध पत्रों का प्रकाशन भी किया जाएगा. साहित्य महोत्सव के अंतर्गत कला एवं चित्रकला प्रतियोगिता आयोजित होगी. हस्तकला के अंतर्गत माटी, बांस, बेलमेटल, काष्ठकला का भी जीवंत प्रदर्शन किया जाएगा. दीवारों पर, पत्थरों पर विभिन्न प्रकार के जनजातीय सामाजिक-सांस्कृतिक गतिविधियों को दर्शाती चित्रकला भी पाई जाती है, जिससे इसकी समृद्ध संस्कृति का पता चलता है. इस प्रतियोगिता में लगभग 350 प्रतियोगी शामिल होंगे.

छत्तीसगढ़ की नृत्य विधाओं का प्रदर्शन: महोत्सव में छत्तीसगढ़ की नृत्य विधाओं का प्रदर्शन किया जाएगा. जिसमें विभिन्न जनजातीय क्षेत्रों में किए जाने वाले जनजातीय नृत्य शैला, सरहुल, करमा, सोन्दो, कुडुक, डुंडा, दशहरा करमा, विवाह नृत्य (हुल्की), मड़ई नृत्य, गवरसिंह, गेड़ी, करसाड़, मांदरी, डण्डार नृत्यों का प्रदर्शन किया जाएगा. महोत्सव में पुस्तक मेले का आयोजन भी किया जा रहा है. पुस्तक स्टालों के लिए ऑडिटोरियम की आंतरिक परिसर की गैलरी में व्यवस्था की गई है. इसके अलावा प्रदर्शन और बिक्री के लिए 30 स्टॉल लगाए जा रहे हैं.

छत्तीसगढ़ हस्तकला बोर्ड और माटी कला बोर्ड के स्टॉल: कार्यक्रम स्थल पर छत्तीसगढ़ राज्य के विभिन्न हस्तकला बोर्ड और माटी कला बोर्ड के स्टॉल लगाए जाएंगे. कलाकारों द्वारा बनी वस्तुओं और सामग्रियों का प्रदर्शन और बिक्री की जाएगी. वन विभाग का संजीवनी, वनोपज एवं वन औषधि, जनजातीय चित्रकला की प्रदर्शनी, गढ़कलेवा, बस्तरिहा व्यंजन, आदिमजाति अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान की प्रदर्शनी, अंत्याव्यवसायी निगम की विभागीय योजनाओं की प्रदर्शनी, ट्राईफेड के स्टॉल लगाए जाएंगे.

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