रायगढ़ : गरीब तबके के लोग रोजगार के उद्देश्य से मजदूरी करने के लिए अपना घर छोड़कर दूसरे राज्य चले गए थे, जहां कोरोना महामारी के प्रकोप के कारण सबका रोजगार छिन गया. ऐसे में सभी मजदूर अपने गांव वापस लौट रहे हैं. प्रवासी मजदूरों को स्थानीय रोजगार देने के लिए राज्य शासन मनरेगा के तहत रोजगार की व्यवस्था कर रहा है. रायगढ़ जिले में सबसे अधिक सारंगढ़ और पुसौर क्षेत्र के मजदूरों ने पलायन किया था.
पुसौर जनपद पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी बताते हैं कि लगभग 1000 प्रवासी मजदूर वापस लौट चुके हैं और क्वॉरेंटाइन की अवधि पूरा करके मनरेगा के तहत रोजगार पा रहे हैं. मनरेगा में वृक्षारोपण, तालाब निर्माण/गहरीकरण कुआं खनन के साथ ही पंचायत में कई काम चल रहे हैं, जिसमें यह मजदूर रोजगार पा रहे हैं.
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इसके अलावा जो मजदूर उद्योग और तकनीकी के काम में कुशल हैं उनके लिए स्थानीय उद्योगों में रोजगार की व्यवस्था भी कराई जा रही है. फिलहाल राज्य शासन के निर्देशानुसार सभी प्रवासी मजदूरों को स्थानीय रोजगार और मुख्यधारा से जोड़ा जा रहा है.
मनरेगा के लिए 40 हजार करोड़ का अतिरिक्त बजट
बता दें कि केंद्र सरकार ने पिछले महीने ही इस योजना में 40 हजार करोड़ रुपए की राशि दी थी. पिछले बजट में मनरेगा के लिए केंद्र सरकार ने 61 हजार करोड़ रुपए के फंड का एलान किया था. यह 40 हजार करोड़ रुपए उससे अलग है. केंद्र सरकार के मुताबिक ऐसा इसलिए किया गया है, ताकि दूसरे राज्यों से अपने गृहग्राम पहुंचने वाले मजदूरों को वहां काम मिल सके.