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22 करोड़ रुपये खर्च करने के बाद 2 हजार बच्चों से दूर हुआ कुपोषण का कलंक - कुपोषित बच्चों की संख्या

रायगढ़ में एक साल में 22 करोड़ रुपये खर्च करने के बाद कुपोषित बच्चों की संख्या में 1.56% यानी 2 हजार की कमी आई है. साल 2018 में जिले में 28 हजार बच्चे कुपोषित थे, जिसकी संख्या 2019 में 26 हजार हो गई है.

बच्चे.
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Published : Aug 3, 2019, 10:47 AM IST

रायगढ़: करोड़ों रुपये खर्च करने के बाद भी जिले में कुपोषण कम होने का नाम नहीं ले रहा है. बीते साल लगभग 22 करोड़ रुपये खर्च करने के बाद भी जिले में 26 हजार से ज्यादा बच्चे कुपोषित पाए गए हैं. ऐसे में अब महिला एवं बाल विकास विभाग के काम पर सवाल उठ रहा है कि आखिर इतने पैसे कहां खर्च हो रहे हैं.

आदिवासी और पिछड़ा इलाका होने की वजह से रायगढ़ जिले में कुपोषित बच्चों की संख्या काफी ज्यादा है. ऐसे में केंद्र और राज्य सरकार द्वारा कुपोषण दूर करने के लिए कई योजनाएं चलाई जा रही है. जिसके लिए करोड़ों रुपये भी खर्च किए जा रहे हैं, लेकिन जमीनी स्तर पर उन करोड़ों रुपये का कोई सार्थक परिणाम नहीं दिख रहा है.

कम हुआ कुपोषित बच्चों का आंकड़ा
जिले में 0 से 6 वर्ष के बच्चे को सही खान-पान देने और कुपोषण से बचाने के लिए बीते साल संबंधित विभाग ने कई योजनाएं चलाकर लगभग 22 करोड़ रुपये केंद्र और राज्य से आहरण किया था. साल बीतने के बाद आंकड़े तैयार किए गए, जिसमें कुपोषण का स्तर 1.56% कम हुआ. साल भर पहले कुपोषित बच्चों की संख्या लगभग 28 हजार थी, वहीं 2018-19 में यह आंकड़ा 26 हजार पहुंचा है.

कुपोषण दूर करने की कोशिश जारी
मामले में महिला एवं बाल विकास अधिकारी का कहना है कि 'प्रशासन द्वारा लगातार कुपोषण दूर करने की कोशिश की जा रही है. इसके लिए कई तरह के कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं. जिले में 1.56 प्रतिशत कुपोषण का स्तर कम हुआ है. जल्द ही ये आंकड़े और बढ़ेंगे तथा कुपोषित बच्चे कम होंगे'.

रायगढ़: करोड़ों रुपये खर्च करने के बाद भी जिले में कुपोषण कम होने का नाम नहीं ले रहा है. बीते साल लगभग 22 करोड़ रुपये खर्च करने के बाद भी जिले में 26 हजार से ज्यादा बच्चे कुपोषित पाए गए हैं. ऐसे में अब महिला एवं बाल विकास विभाग के काम पर सवाल उठ रहा है कि आखिर इतने पैसे कहां खर्च हो रहे हैं.

आदिवासी और पिछड़ा इलाका होने की वजह से रायगढ़ जिले में कुपोषित बच्चों की संख्या काफी ज्यादा है. ऐसे में केंद्र और राज्य सरकार द्वारा कुपोषण दूर करने के लिए कई योजनाएं चलाई जा रही है. जिसके लिए करोड़ों रुपये भी खर्च किए जा रहे हैं, लेकिन जमीनी स्तर पर उन करोड़ों रुपये का कोई सार्थक परिणाम नहीं दिख रहा है.

कम हुआ कुपोषित बच्चों का आंकड़ा
जिले में 0 से 6 वर्ष के बच्चे को सही खान-पान देने और कुपोषण से बचाने के लिए बीते साल संबंधित विभाग ने कई योजनाएं चलाकर लगभग 22 करोड़ रुपये केंद्र और राज्य से आहरण किया था. साल बीतने के बाद आंकड़े तैयार किए गए, जिसमें कुपोषण का स्तर 1.56% कम हुआ. साल भर पहले कुपोषित बच्चों की संख्या लगभग 28 हजार थी, वहीं 2018-19 में यह आंकड़ा 26 हजार पहुंचा है.

कुपोषण दूर करने की कोशिश जारी
मामले में महिला एवं बाल विकास अधिकारी का कहना है कि 'प्रशासन द्वारा लगातार कुपोषण दूर करने की कोशिश की जा रही है. इसके लिए कई तरह के कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं. जिले में 1.56 प्रतिशत कुपोषण का स्तर कम हुआ है. जल्द ही ये आंकड़े और बढ़ेंगे तथा कुपोषित बच्चे कम होंगे'.

Intro:करोड़ों रुपए खर्च करने के बाद भी जिले में कुपोषण कम होने का नाम नहीं ले रहा है समस्या जस की तस बनी हुई है। बीते साल लगभग 22 करोड़ खर्च करने के बाद भी जिले में 26 हजार से ज्यादा बच्चे कुपोषित पाए गए हैं। अब महिला बाल विकास विभाग के कार्यशैली पर सवाल उठना लाजमी है आखिर इतने पैसे खर्च कहां हो रहे हैं।

byte01 के जाटवर, महिला बाल विकास अधिकारी।


Body:आदिवासी और पिछड़ा इलाका होने की वजह से रायगढ़ जिले में कुपोषित बच्चों की संख्या काफी ज्यादा है ऐसे में केंद्र और राज्य सरकार द्वारा कुपोषण दूर करने के लिए कई योजनाएं चलाई जा रही है जिसके लिए करोड़ों रुपए भी खर्च किए जा रहे हैं लेकिन जमीनी स्तर पर उन करोड़ों रुपए का कोई भी सार्थक परिणाम नहीं दिख रहा है। दरअसल जिले में 0 से 6 वर्ष के बच्चे को सही खान-पान देने तथा कुपोषण से बचाने के लिए बीते साल विभाग ने कई सारी योजनाएं चलाकर लगभग 22 करोड रुपए केंद्र और राज्य से आहरण कि साल बीतने के बाद आंकड़े तैयार की गई जिसमें कुपोषण का स्तर 1.56% कम हुआ। साल भर पहले कुपोषित बच्चों की संख्या लगभग 28 हजार थी तो वही 2018-19 में अभियान चलाकर इस आंकड़े को 26 हजार ले आए।


Conclusion: पूरे मामले में महिला एवं बाल विकास अधिकारी का कहना है कि प्रशासन द्वारा लगातार कुपोषण दूर करने के प्रयास किए जा रहे हैं जिसके लिए कई तरह के कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं जिले में 1.56 प्रतिशत कुपोषण का स्तर कम हुआ है जल्द ही ये आंकड़े और बढ़ेंगे तथा कुपोषित बच्चे कम होंगे।
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