रायगढ़: छत्तीसगढ़ में कुल 90 विधानसभा सीटें हैं. इनमें से कई सीट ऐसे हैं, जो बीजेपी का अभेद किला माना जाता है. तो वहीं, कुछ सीट ऐसे भी हैं, जहां शुरू से ही कांग्रेस की पैठ रही है. रायगढ़ जिले का खरसिया विधानसभा सीट भी ऐसे सीटों में एक है. इस सीट पर शुरू से ही कांग्रेस का कब्जा रहा है. ये सीट कांग्रेस का अभेद किला माना जाता है. अब तक इस क्षेत्र में कमल नहीं खिल पाया है.
1988 से सुर्खियों में आया ये सीट: साल 1977 में पहले मध्य प्रदेश और फिर छत्तीसगढ़ के हिस्से के रूप में अस्तित्व में ये सीट अस्तित्व में आया था. इसके बाद से खरसिया विधानसभा सीट पर कांग्रेस ने ही जीत हासिल की है. एक उपचुनाव सहित 11 चुनाव हो चुके हैं, लेकिन अब तक बीजेपी को यहां जीत नहीं मिली है. छत्तीसगढ़ के मध्य प्रदेश से अलग होने से पहले रायगढ़ जिले का ये क्षेत्र साल 1988 में सुर्खियों में आया था. उस समय कांग्रेस के दिग्गज नेता और मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह ने यहां से उपचुनाव लड़ा था.
खरसिया क्षेत्र का जातिगत समीकरण: खरसिया सीट पर कुल मतदाताओं की संख्या 2 लाख 15 हजार 223 है. कुल जनसंख्या का 88 फीसद यहां ग्रामीण मतदाता है. क्षेत्र में 40 फीसद आबादी ओबीसी की है. यही कारण है कि यहां पार्टी ओबीसी प्रत्याशी ही चुनावी मैदान में उतारते हैं. इस क्षेत्र में अघरिया पटेल समाज के लोगों की आबादी 25 फीसदी है. फिलहाल इस सीट पर छत्तीसगढ़ के उच्च शिक्षा मंत्री उमेश पटेल विधायक हैं. इस बार के चुनाव में भी कांग्रेस ने उमेश पटेल को ही टिकट दिया है. वहीं, बीजेपी ने भी इस सीट पर ओबीसी समाज के महेश साहू को टिकट दिया है.
बीजेपी के लिए इस सीट पर जीत हासिल करना मुश्किल: खरसिया विधानसभा क्षेत्र शुरू से ही कांग्रेस का गढ़ रहा है. यहां जीतना बीजेपी के लिए काफी बड़ी चुनौती है. इस सीट से दिलीप सिंह जूदेव और लखीराम अग्रवाल जैसे दिग्गज नेता भी जीत हासिल नहीं कर पाए. शुरू से ही इस सीट पर कांग्रेस का कब्जा रहा है. अविभाजित मध्यप्रदेश में साल 1977 में रायगढ़ के अंतर्गत खरसिया क्षेत्र बना. इस सीट में रायगढ़ और धरमजयगढ़ क्षेत्र कुछ हिस्सा शामिल था. साल 2000 में मध्यप्रदेश से अलग होकर छत्तीसगढ़ राज्य बना था
शुरू से ही कांग्रेस का गढ़ रहा है ये सीट: इस सीट से साल 1988 में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अर्जुन सिंह 1988 ने बीजेपी के दिलीप सिंह जूदेव को 8,658 वोटों से हराया था.वहीं, साल 1985 में कांग्रेस उम्मीदवार लक्ष्मी प्रसाद पटेल ने इस सीट से 21,279 मतों से जीत हासिल की थी. इसके बाद लगातार पांच बार नंद पटेल इस सीट से जीत हासिल किए थे. साल 1990, 1993, 1998, 2003 और 2008 में नंद पटेल ने यहां से जीत हासिल की थी. इसके बाद नदं पटेल के बेटे उमेश पटेल दो बार इस सीट से चुनाव जीते. उमेश पटेल ने साल 2013 और 2018 में यहां से जीत हासिल की थी. इस बार भी इस सीट से उमेश पटेल को कांग्रेस ने टिकट दिया है.