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SPECIAL: कोरोना के कारण बेरंग हुई बकरीद - etv bharat

कोरोना वायरस के कारण इस साल पड़ने वाले लगभग सभी त्योहार फीके ही पड़ गए हैं. ऐसे में बकरीद कैसे इससे अछूता रहता. रायगढ़ में कुर्बानी का पर्व माना जाने वाला बकरीद इस बार बेरंग हो गया है.

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बकरीद
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Published : Jul 31, 2020, 3:27 PM IST

रायगढ़: कुर्बानी का पर्व माना जाने वाला बकरीद, इस बार बेरंग हो गया है. कोरोना संक्रमण की वजह से पिछले कई साल से चली आ रही बकरे की बलि देने की परंपरा भी थम सी गई है. रायगढ़ जिले में भी बकरीद का त्योहार इस बार फीका ही नजर आ रहा है.

कोरोना के कारण बेरंग हुई बकरीद

कोरोना वायरस ने इस साल के कई त्योहार को प्रभावित किया है. लिहाजा मुस्लिम समाज के लिए कुर्बानी का पर्व मानी जाने वाली बकरीद इस बार फीकी ही हो गई है. लॉकडाउन की वजह से बाजार बंद हो गए हैं. इसके कारण कुर्बानी के बकरे नहीं मिल रहे हैं. मस्जिद और मदरसों में भीड़ न हो इसके लिए लोगों से घर से ही नमाज पढ़ने और वहीं से सजदा करने की हिदायत दी गई है. मुस्लिम समाज के लोग प्रशासन के नियम कायदों को मान रहे हैं और शासन के निर्देशानुसार शांतिपूर्ण अपने घरों में ईद मनाने की बात कह रहे हैं.

पढ़ें: SPECIAL: कोरोना के कहर से राखी की रौनक पड़ी फीकी, बहनें मायूस, दुकानदार परेशान

बकरीद पर बकरे की देते हैं बलि
इस बार शनिवार 1 अगस्त को बकरीद का त्योहार मनाया जाएगा. इसे ईद-उल-जुहा या ईद अल अजहा भी कहते हैं. बकरीद को लेकर मुस्लिम समुदाय के लोग अपने घर में पल रहे बकरे की बलि देते हैं और जिनके घर में बकरा नहीं होता है. वह इससे कुछ दिन पहले बकरा खरीद कर लाते हैं और उसकी बलि देते हैं. इसे कुर्बानी कहा जाता है.

हजरत इब्राहिम की कुर्बानी की याद में मनाते हैं बकरीद

कुर्बानी को लेकर स्थानीय बताते हैं कि यह त्योहार को पैगंबर और हजरत मोहम्मद के पूर्वज हजरत इब्राहिम की दी गई कुर्बानी के याद के तौर पर मनाया जाता है. जब हजरत इब्राहिम अल्लाह की इबादत कर रहे थे तो उनकी इबादत से खुश होकर दुआ कुबूल की गई थी. जिसके बाद अल्लाह ने उनकी परीक्षा ली. इस परीक्षा में इब्राहिम से उसकी सबसे कीमती और प्यारी चीज की बलि देने की मांग की. इब्राहिम ने अल्लाह की बात मानकर अपने सबसे प्यारे बेटे हजरत इस्माइल की कुर्बानी देने का निर्णय लिया. जब इब्राहिम अपने बेटे की बलि देने जा रहा थे, इतने में अल्लाह ने उसके बेटे की जगह एक बकरे को रख दिया, जिसके बाद इब्राहिम परीक्षा में सफल हो गए. तब से इस दिन को बकरा ईद के रूप में मनाया जाने लगा.

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लॉकडाउन की वजह से बाजार बंद

पढ़ें: राखी बाजार में कोरोना का साया,नहीं पहुंच रहे ग्राहक

लॉकडाउन और कोरोना के कारण फीकी हुई बकरीद

बकरीद के दिन लोग सुबह उठकर नमाज पढ़ते हैं. जिसके बाद अपने घर पर पल रहे बकरे की बलि देते हैं और आपस में गले मिलकर लोग ईद मुबारक कह कर इस त्योहार को मनाते हैं. इस बार कोरोना महामारी के कारण प्रशासन ने भीड़-भाड़ ना करने और बाजार ना लगाने की सख्त हिदायत दी है, जिसके बाद बाजारों में बकरे भी नहीं मिल रहे हैं, जिससे इस बार बकरीद की रौनक फीकी पड़ गई है.

रायगढ़: कुर्बानी का पर्व माना जाने वाला बकरीद, इस बार बेरंग हो गया है. कोरोना संक्रमण की वजह से पिछले कई साल से चली आ रही बकरे की बलि देने की परंपरा भी थम सी गई है. रायगढ़ जिले में भी बकरीद का त्योहार इस बार फीका ही नजर आ रहा है.

कोरोना के कारण बेरंग हुई बकरीद

कोरोना वायरस ने इस साल के कई त्योहार को प्रभावित किया है. लिहाजा मुस्लिम समाज के लिए कुर्बानी का पर्व मानी जाने वाली बकरीद इस बार फीकी ही हो गई है. लॉकडाउन की वजह से बाजार बंद हो गए हैं. इसके कारण कुर्बानी के बकरे नहीं मिल रहे हैं. मस्जिद और मदरसों में भीड़ न हो इसके लिए लोगों से घर से ही नमाज पढ़ने और वहीं से सजदा करने की हिदायत दी गई है. मुस्लिम समाज के लोग प्रशासन के नियम कायदों को मान रहे हैं और शासन के निर्देशानुसार शांतिपूर्ण अपने घरों में ईद मनाने की बात कह रहे हैं.

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बकरीद पर बकरे की देते हैं बलि
इस बार शनिवार 1 अगस्त को बकरीद का त्योहार मनाया जाएगा. इसे ईद-उल-जुहा या ईद अल अजहा भी कहते हैं. बकरीद को लेकर मुस्लिम समुदाय के लोग अपने घर में पल रहे बकरे की बलि देते हैं और जिनके घर में बकरा नहीं होता है. वह इससे कुछ दिन पहले बकरा खरीद कर लाते हैं और उसकी बलि देते हैं. इसे कुर्बानी कहा जाता है.

हजरत इब्राहिम की कुर्बानी की याद में मनाते हैं बकरीद

कुर्बानी को लेकर स्थानीय बताते हैं कि यह त्योहार को पैगंबर और हजरत मोहम्मद के पूर्वज हजरत इब्राहिम की दी गई कुर्बानी के याद के तौर पर मनाया जाता है. जब हजरत इब्राहिम अल्लाह की इबादत कर रहे थे तो उनकी इबादत से खुश होकर दुआ कुबूल की गई थी. जिसके बाद अल्लाह ने उनकी परीक्षा ली. इस परीक्षा में इब्राहिम से उसकी सबसे कीमती और प्यारी चीज की बलि देने की मांग की. इब्राहिम ने अल्लाह की बात मानकर अपने सबसे प्यारे बेटे हजरत इस्माइल की कुर्बानी देने का निर्णय लिया. जब इब्राहिम अपने बेटे की बलि देने जा रहा थे, इतने में अल्लाह ने उसके बेटे की जगह एक बकरे को रख दिया, जिसके बाद इब्राहिम परीक्षा में सफल हो गए. तब से इस दिन को बकरा ईद के रूप में मनाया जाने लगा.

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लॉकडाउन की वजह से बाजार बंद

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लॉकडाउन और कोरोना के कारण फीकी हुई बकरीद

बकरीद के दिन लोग सुबह उठकर नमाज पढ़ते हैं. जिसके बाद अपने घर पर पल रहे बकरे की बलि देते हैं और आपस में गले मिलकर लोग ईद मुबारक कह कर इस त्योहार को मनाते हैं. इस बार कोरोना महामारी के कारण प्रशासन ने भीड़-भाड़ ना करने और बाजार ना लगाने की सख्त हिदायत दी है, जिसके बाद बाजारों में बकरे भी नहीं मिल रहे हैं, जिससे इस बार बकरीद की रौनक फीकी पड़ गई है.

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