केंद्रीय मंत्री और रायगढ़ सांसद के गोद लिए गांव में बुनियादी सुविधाओं की कमी है. एक गांव को आदर्श बनाने के लिए गांव में जनभागीदारी से विकास उसके लिए सांसद निधि से राशि का प्रावधान, अंत्योदय योजना का ठीक से क्रियान्वयन, महिलाओं का सम्मान जैसी कुछ मूलभूत जरूरतें होती है. जब ईटीवी भारत की टीम गांव पहुंची तो दिखा, गांव में उच्च शिक्षा के लिए कोई व्यवस्था नहीं है. स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए गांव में एक भी अस्पताल नहीं है. पीने के पानी के लिए हैंडपंप तो हैं, लेकिन पानी कभी-कभी ही आता है. प्राथमिक स्कूल है, जिसकी बाउंड्री बांस की बल्लियों से बंधी हुई है. स्कूल के ऊपर से ही बिजली के जर्जर तार गुजर रहे हैं. बरसात में प्राथमिक स्कूल में दीवारों में करंट आ जाता है, इसके कारण परिजन बच्चों को स्कूल नहीं भेजते. गांव में एक पंचायत भवन भी है जो जर्जर हो चुका है. सांसद ने स्कूल, अस्पताल के लिए तो कुछ नहीं किया, हां पंचायत भवन की बाहर से मरम्मत जरूर करा दी गई है.
ग्रामीणों की शिकायत सिर्फ बुनियादी सुविधाओं तक नहीं है. उनका कहना है कि, मनरेगा के तहत गांव में एक तालाब के गहरीकरण के साथ डबरी खुदवाने का काम उनसे कराया गया था, लेकिन साल बीत गए आज तक उनके मजदूरी का भुगतान नहीं हुआ है. सांसद तो गांव आते नहीं हैं और जब वे लोग खुद अपनी समस्या को लेकर उनके पास जाते हैं, तो आश्वासन के सिवा और कुछ नहीं मिलता है. गांव की ज्यादातर आबादी अपने सांसद को पहचानती भी नहीं है. पहचानेगी भी कैसे उनके सांसद तो सिर्फ सरस्वती पूजा में हवन करने आते हैं. बाकी दिन तो उनका दिल्ली में गुजरता है.