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रायगढ़: गौठान निर्माण कार्य में रूकावट, अधिकारियों ने तहसीलदार को लिखा पत्र

पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष पुरूषोत्तम अजेश अग्रवाल पर राज्य शासन की ओर से मनरेगा योजना के तहत कराए जा रहे गौठान निर्माण के कार्य में बाधा डालने का आरोप है. इस मामले को लेकर अधिकारियों ने तहसीलदार को पत्र लिखा है. साथ ही कार्रवाई की मांग की है.

Former District Panchayat President stopped Gaothan construction work in Raigarh
गौठान निर्माण कार्य में पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष ने डाला बाधा
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Published : Aug 25, 2020, 10:04 AM IST

रायगढ़: पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष और क्षेत्र के चर्चित पाखड़ कांड के आरोपी पुरूषोत्तम अजेश अग्रवाल पर राज्य शासन की ओर से मनरेगा योजना के तहत कराए जा रहे गौठान निर्माण कार्य में बाधा डालने का आरोप है. बता दें कि राज्य शासन ने सालर ग्राम पंचायत में गौठान निर्माण करने के लिए 19 लाख रुपए की स्वीकृति दी है. जहां पर सरकारी जमीन को चिन्हित कर ग्राम पंचायत ने गौठान निर्माण का काम शुरू कर दिया था, लेकिन पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष ने प्रस्तावित जमीन पर चल रहे निर्माण कार्य को बंद करा दिया. प्रस्तावित जमीन को अपना निजी जमीन बता रहे हैं.

Former District Panchayat President stopped Gaothan construction work in Raigarh
गौठान निर्माण कार्य में पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष ने डाला बाधा

उन्होंने वहां पर मनरेगा के तहत कार्य कर रहे मजदूरों को भी भगा दिया. कांग्रेस के धाकड़ नेता और जिला कांग्रेस अध्यक्ष अरूण मालाकार के जनपद क्षेत्र में हुए इस घटना से क्षेत्रवासी काफी परेशान है. जनपद पंचायत सीईओ ने इस मामले मे तहसीलदार जे.आर.सतरंज को पत्र लिखकर सीमांकन का कार्य करने को कहा है, ताकि पूरा मामला स्पष्ट हो सकें, लेकिन महीने भर होने के बाद भी तहसीलदार किसी कार्रवाई को लेकर अलर्ट नहीं दिख रहे.

पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष पर गौठान निर्माण के कार्य में बाधा डालने का आरोप

छत्तीसगढ़ सरकार की महत्वाकांक्षी नरुवा, गरुवा घुरुवा और बाड़ी योजना के तहत नेशनल हाईवे पर बसे सालर गांव में भी गौठान बनाने के लिए 19 लाख रुपए की स्वीकृति मनरेगा के माध्यम से बीते दिनों दी गई है. इस योजना के तहत शेड का निर्माण पहले करना था, जिसमें स्व सहायता समूह के द्वारा कार्य किया जा सके. इसके लिए सालर ग्राम पंचायत के सरपंच और सचिव की ओर से क्षेत्र के पटवारी से मिलकर सरकारी जमीन का चयन किया गया था. साथ ही संबंधित दस्तावेज के साथ फाइल पुटअप कर निमार्ण कार्य शुरू किया गया था, लेकिन इस सरकारी जमीन पर हो रहा निर्माण कार्य पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष पुरूषोत्तम अजेश अग्रवाल को रास नहीं आई और पहले ही दिन कार्य कर रहे मनरेगा के मजदूरों को वहां से भगा दिया. साथ ही निर्माण कार्य को बंद करा दिया.

सरपंच और सचिव को धमकी देने का आरोप

मौके पर पहुंचे सरपंच और सचिव के साथ क्षेत्रवासियों ने जब इस निर्माण को बंद कराने का कारण पूछा तो उन्होंने इस प्रस्तावित भूमि को अपना निजी जमीन होना बताया. इस संबंध मे मौके पर ही सरपंच और सचिव ने इस जमीन के सरकारी होने और पटवारी के द्वारा स्थल और खसरा नंबर की जानकारी देने की बात कहते हुए पूरा फाइल बताया. साथ ही पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष से आग्रह भी किया कि इस संबंध में उनके पास स्वामित्व संबंधी कोई दस्तावेज है तो उसे वे प्रस्तुत करें, ताकि मौके पर ही पटवारी और राजस्व निरीक्षक को बुलाकर समस्या का समाधान किया जाए, लेकिन इस सवाल के जवाब ने पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष ने कोई भी दस्तावेज दिखाने से इंकार करते हुए साफ तौर पर जवाब दिया कि यहां पर गौठान का निर्माण नहीं होगा. साथ ही धमकी दी कि वे सालर ग्राम पंचायत इस स्थान को छोड़कर कोई दूसरे जगह पर गौठान का निमार्ण कराएं.

सरपंच और सचिव ने रोजगार सहायक से की शिकायत

सरपंच और सचिव ने पूरी बात रोजगार सहायक के द्वारा मनरेगा के पीओ युवराज पटेल को बताया और शासन के गौठान योजना पर पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष के द्वारा बाधा डालते हुए काम बंद कराए जाने की शिकायत की. इस पर मनरेगा के पीओ युवराज पटेल ने पूरे मामले में जनपद पंचायत सारंगढ़ के सीईओ अभिषेक बनर्जी को बताया और सरपंच और सचिव के द्वारा दी गई लिखित शिकायत की कॉपी को आगे भेजा. इसके बाद जनपद पंचायत सीईओ और मनरेगा के पीओ के द्वारा तहसीलदार सारंगढ़ को 24 जुलाई 2020 को पत्र लिखते हुए पूरे मामले की जानकारी दी गई. इसके साथ ही भूमि का सीमांकन करने का आग्रह किया, लेकिन एक महीने होने के बाद भी सारंगढ़ तहसीलदार की ओर से भूमि का सीमांकन नहीं किया गया है, जिसके कारण गौठान निर्माण के तहत बनने वाला शेड कार्य ठप पड़ा हुआ है.

कहा का हैं जमीन मामला?

सारंगढ़-सराईपाली नेशनल हाईवे पर सालर के पास सहकारी समिति मर्यादित दानसरा के द्वारा धान खरीदी का उपकेन्द्र बनाया गया है. इसी जमीन के पीछे लगभग 20 एकड़ से अधिक जमीन राजस्व रिकार्ड में सरकारी भूमि है. इस भूमि के पास कुछ मात्रा में भूमि पुरूषोत्तम नंदकिशोर और राजेश के नाम पर है. भूमि से ही लगा हुआ सरकारी भूमि काफी बहुमूल्य है और एक लंबे अर्से से भू-माफिया की नजर इस सरकारी जमीन पर हैं.

चार साल पहले भी हुआ था विवाद

चार साल इस सरकारी भूमि को तबादला नियमों के तहत अदला-बदली करने के लिए सारंगढ़ तहसीलदार को भू-स्वामियों के द्वारा आवेदन भी दिया गया था. इसके साथ ही बदले में बटाऊपाली में निजी जमीन प्रदान कर सरकारी भूमि को अपने अन्य भूमि के साथ जोड़ने का कयावद भी शुरू किया गया था, लेकिन उस समय ग्रामीणों के विरोध के कारण और काफी ज्यादा आपत्ति होने के कारण उनका यह प्लान कामयाब नहीं हो पाया था.

पढ़ें: राजनांदगांव: कांग्रेस पार्षद पर सरकारी जमीन पर कब्जा करने का लगा आरोप

वर्तमान में सरकारी जमीन पर शेड कार्य और 19 लाख रुपए की स्वीकृति मिलने के बाद इस जमीन को हथियाने के लिए पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष सभी हथकंड़े अपना रहे है. किसी भी तरह से बाधा उत्पन्न कर इस जमीन पर गौठान निर्माण पर बाधा डाल रहे है. कांग्रेस के धाकड़ नेता अरूण मालाकार का जनपद क्षेत्र होने के बाद भी भाजपा नेता का रूतबा चलने से क्षेत्रवासी काफी हताहत है.

पूर्व में भी हो चुकी है बड़ी कार्रवाई

नेशनल हाईवे रोड के किनारे खाली पड़ी इस बहुमूल्य सरकारी भूमि पर भू-माफिया की काफी दिनों से नजर जमी हुई है. 2010 में इस सरकारी भूमि पर कब्जा करने की नियत से लगभग 1000 से ज्यादा पेड़ों को काट दिया गया था. भूमि को समतल कर मैदान बना दिया गया था, जिसकी शिकायत होने पर तत्काल कार्रवाई करते हुए तात्कालिक एसडीएम ने इस भूमि को संरक्षित करते हुए सुरक्षित किया गया था. बेजा कब्जा करने वालों के मंशा पर पानी फेर दिया था. 2012 में इस सरकारी जमीन से लगा हुआ कुछ निजी जमीन को ओडिशा के सुमित इंटरप्राईजेस ने खरीद कर यहां पर फर्नेस प्लांट लगाने का कार्य शुरु कर दिया था, लेकिन भूमि का व्यावसायिक डायवर्सन नहीं करने और गोमर्डा अभ्यारण्य से सटा हुआ क्षेत्र होने के कारण उन पर सरकारी भूमि पर कब्जा करने का आरोप लगा था. मामले की जांच के बाद सुमित इंटरप्राईजेस को यहां से अपना बोरिया बिस्तर समेट का भागना पड़ा था.

पूरे क्षेत्र के जमीन का सीमांकन जरूरी

सालर के नेशनल हाईवे रोड के ऊपर खाली पड़ा हुआ बहुमूल्य सरकारी भूमि का सीमांकन बहुत जरूरी हो गया है. इस जमीन पर कुछ सालों पहले ओडिशा के पूर्व मेसर्स सुमित इंटरप्राईजेस ने उद्योग लगाने के नाम पर स्टम्प ड्यूटी से कंपनी के द्वारा छूट लिया था, लेकिन न तो उद्योग लगाया गया और न ही स्टाम्प ड्यूटी दिया गया, बल्कि बाद में इस जमीन को दूसरों को बेच दिया गया था. वहीं इस क्षेत्र मे काफी मात्रा में सरकारी भूमि स्थित है, जिस पर कई लोगों के द्वारा कब्जा कर लिया गया है. जबकि कई लोगों ने फार्म हाऊस बना लिया है. ऐसे में इस पूरे क्षेत्र के सरकारी जमीन का सीमांकन किया जाना जरूरी है. इस सरकारी जमीन के सीमांकन से अवैध कब्जा करने वाले भू-माफिया का हौसला पस्त हो जाएगा.

रायगढ़: पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष और क्षेत्र के चर्चित पाखड़ कांड के आरोपी पुरूषोत्तम अजेश अग्रवाल पर राज्य शासन की ओर से मनरेगा योजना के तहत कराए जा रहे गौठान निर्माण कार्य में बाधा डालने का आरोप है. बता दें कि राज्य शासन ने सालर ग्राम पंचायत में गौठान निर्माण करने के लिए 19 लाख रुपए की स्वीकृति दी है. जहां पर सरकारी जमीन को चिन्हित कर ग्राम पंचायत ने गौठान निर्माण का काम शुरू कर दिया था, लेकिन पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष ने प्रस्तावित जमीन पर चल रहे निर्माण कार्य को बंद करा दिया. प्रस्तावित जमीन को अपना निजी जमीन बता रहे हैं.

Former District Panchayat President stopped Gaothan construction work in Raigarh
गौठान निर्माण कार्य में पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष ने डाला बाधा

उन्होंने वहां पर मनरेगा के तहत कार्य कर रहे मजदूरों को भी भगा दिया. कांग्रेस के धाकड़ नेता और जिला कांग्रेस अध्यक्ष अरूण मालाकार के जनपद क्षेत्र में हुए इस घटना से क्षेत्रवासी काफी परेशान है. जनपद पंचायत सीईओ ने इस मामले मे तहसीलदार जे.आर.सतरंज को पत्र लिखकर सीमांकन का कार्य करने को कहा है, ताकि पूरा मामला स्पष्ट हो सकें, लेकिन महीने भर होने के बाद भी तहसीलदार किसी कार्रवाई को लेकर अलर्ट नहीं दिख रहे.

पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष पर गौठान निर्माण के कार्य में बाधा डालने का आरोप

छत्तीसगढ़ सरकार की महत्वाकांक्षी नरुवा, गरुवा घुरुवा और बाड़ी योजना के तहत नेशनल हाईवे पर बसे सालर गांव में भी गौठान बनाने के लिए 19 लाख रुपए की स्वीकृति मनरेगा के माध्यम से बीते दिनों दी गई है. इस योजना के तहत शेड का निर्माण पहले करना था, जिसमें स्व सहायता समूह के द्वारा कार्य किया जा सके. इसके लिए सालर ग्राम पंचायत के सरपंच और सचिव की ओर से क्षेत्र के पटवारी से मिलकर सरकारी जमीन का चयन किया गया था. साथ ही संबंधित दस्तावेज के साथ फाइल पुटअप कर निमार्ण कार्य शुरू किया गया था, लेकिन इस सरकारी जमीन पर हो रहा निर्माण कार्य पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष पुरूषोत्तम अजेश अग्रवाल को रास नहीं आई और पहले ही दिन कार्य कर रहे मनरेगा के मजदूरों को वहां से भगा दिया. साथ ही निर्माण कार्य को बंद करा दिया.

सरपंच और सचिव को धमकी देने का आरोप

मौके पर पहुंचे सरपंच और सचिव के साथ क्षेत्रवासियों ने जब इस निर्माण को बंद कराने का कारण पूछा तो उन्होंने इस प्रस्तावित भूमि को अपना निजी जमीन होना बताया. इस संबंध मे मौके पर ही सरपंच और सचिव ने इस जमीन के सरकारी होने और पटवारी के द्वारा स्थल और खसरा नंबर की जानकारी देने की बात कहते हुए पूरा फाइल बताया. साथ ही पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष से आग्रह भी किया कि इस संबंध में उनके पास स्वामित्व संबंधी कोई दस्तावेज है तो उसे वे प्रस्तुत करें, ताकि मौके पर ही पटवारी और राजस्व निरीक्षक को बुलाकर समस्या का समाधान किया जाए, लेकिन इस सवाल के जवाब ने पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष ने कोई भी दस्तावेज दिखाने से इंकार करते हुए साफ तौर पर जवाब दिया कि यहां पर गौठान का निर्माण नहीं होगा. साथ ही धमकी दी कि वे सालर ग्राम पंचायत इस स्थान को छोड़कर कोई दूसरे जगह पर गौठान का निमार्ण कराएं.

सरपंच और सचिव ने रोजगार सहायक से की शिकायत

सरपंच और सचिव ने पूरी बात रोजगार सहायक के द्वारा मनरेगा के पीओ युवराज पटेल को बताया और शासन के गौठान योजना पर पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष के द्वारा बाधा डालते हुए काम बंद कराए जाने की शिकायत की. इस पर मनरेगा के पीओ युवराज पटेल ने पूरे मामले में जनपद पंचायत सारंगढ़ के सीईओ अभिषेक बनर्जी को बताया और सरपंच और सचिव के द्वारा दी गई लिखित शिकायत की कॉपी को आगे भेजा. इसके बाद जनपद पंचायत सीईओ और मनरेगा के पीओ के द्वारा तहसीलदार सारंगढ़ को 24 जुलाई 2020 को पत्र लिखते हुए पूरे मामले की जानकारी दी गई. इसके साथ ही भूमि का सीमांकन करने का आग्रह किया, लेकिन एक महीने होने के बाद भी सारंगढ़ तहसीलदार की ओर से भूमि का सीमांकन नहीं किया गया है, जिसके कारण गौठान निर्माण के तहत बनने वाला शेड कार्य ठप पड़ा हुआ है.

कहा का हैं जमीन मामला?

सारंगढ़-सराईपाली नेशनल हाईवे पर सालर के पास सहकारी समिति मर्यादित दानसरा के द्वारा धान खरीदी का उपकेन्द्र बनाया गया है. इसी जमीन के पीछे लगभग 20 एकड़ से अधिक जमीन राजस्व रिकार्ड में सरकारी भूमि है. इस भूमि के पास कुछ मात्रा में भूमि पुरूषोत्तम नंदकिशोर और राजेश के नाम पर है. भूमि से ही लगा हुआ सरकारी भूमि काफी बहुमूल्य है और एक लंबे अर्से से भू-माफिया की नजर इस सरकारी जमीन पर हैं.

चार साल पहले भी हुआ था विवाद

चार साल इस सरकारी भूमि को तबादला नियमों के तहत अदला-बदली करने के लिए सारंगढ़ तहसीलदार को भू-स्वामियों के द्वारा आवेदन भी दिया गया था. इसके साथ ही बदले में बटाऊपाली में निजी जमीन प्रदान कर सरकारी भूमि को अपने अन्य भूमि के साथ जोड़ने का कयावद भी शुरू किया गया था, लेकिन उस समय ग्रामीणों के विरोध के कारण और काफी ज्यादा आपत्ति होने के कारण उनका यह प्लान कामयाब नहीं हो पाया था.

पढ़ें: राजनांदगांव: कांग्रेस पार्षद पर सरकारी जमीन पर कब्जा करने का लगा आरोप

वर्तमान में सरकारी जमीन पर शेड कार्य और 19 लाख रुपए की स्वीकृति मिलने के बाद इस जमीन को हथियाने के लिए पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष सभी हथकंड़े अपना रहे है. किसी भी तरह से बाधा उत्पन्न कर इस जमीन पर गौठान निर्माण पर बाधा डाल रहे है. कांग्रेस के धाकड़ नेता अरूण मालाकार का जनपद क्षेत्र होने के बाद भी भाजपा नेता का रूतबा चलने से क्षेत्रवासी काफी हताहत है.

पूर्व में भी हो चुकी है बड़ी कार्रवाई

नेशनल हाईवे रोड के किनारे खाली पड़ी इस बहुमूल्य सरकारी भूमि पर भू-माफिया की काफी दिनों से नजर जमी हुई है. 2010 में इस सरकारी भूमि पर कब्जा करने की नियत से लगभग 1000 से ज्यादा पेड़ों को काट दिया गया था. भूमि को समतल कर मैदान बना दिया गया था, जिसकी शिकायत होने पर तत्काल कार्रवाई करते हुए तात्कालिक एसडीएम ने इस भूमि को संरक्षित करते हुए सुरक्षित किया गया था. बेजा कब्जा करने वालों के मंशा पर पानी फेर दिया था. 2012 में इस सरकारी जमीन से लगा हुआ कुछ निजी जमीन को ओडिशा के सुमित इंटरप्राईजेस ने खरीद कर यहां पर फर्नेस प्लांट लगाने का कार्य शुरु कर दिया था, लेकिन भूमि का व्यावसायिक डायवर्सन नहीं करने और गोमर्डा अभ्यारण्य से सटा हुआ क्षेत्र होने के कारण उन पर सरकारी भूमि पर कब्जा करने का आरोप लगा था. मामले की जांच के बाद सुमित इंटरप्राईजेस को यहां से अपना बोरिया बिस्तर समेट का भागना पड़ा था.

पूरे क्षेत्र के जमीन का सीमांकन जरूरी

सालर के नेशनल हाईवे रोड के ऊपर खाली पड़ा हुआ बहुमूल्य सरकारी भूमि का सीमांकन बहुत जरूरी हो गया है. इस जमीन पर कुछ सालों पहले ओडिशा के पूर्व मेसर्स सुमित इंटरप्राईजेस ने उद्योग लगाने के नाम पर स्टम्प ड्यूटी से कंपनी के द्वारा छूट लिया था, लेकिन न तो उद्योग लगाया गया और न ही स्टाम्प ड्यूटी दिया गया, बल्कि बाद में इस जमीन को दूसरों को बेच दिया गया था. वहीं इस क्षेत्र मे काफी मात्रा में सरकारी भूमि स्थित है, जिस पर कई लोगों के द्वारा कब्जा कर लिया गया है. जबकि कई लोगों ने फार्म हाऊस बना लिया है. ऐसे में इस पूरे क्षेत्र के सरकारी जमीन का सीमांकन किया जाना जरूरी है. इस सरकारी जमीन के सीमांकन से अवैध कब्जा करने वाले भू-माफिया का हौसला पस्त हो जाएगा.

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