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SPECIAL: कोरोना काल में वीरान हुई फूलों की बगिया, किसानों को हुआ लाखों का नुकसान

कोरोना महामारी ने हर क्षेत्र को अपनी चपेट में ले लिया है. इस दौरान फूल की खेती करने वाले किसान भी निराश और मायूस हैं. मार्च 2020 से लेकर आज की तारीख तक फूलों की डिमांड घटी है. किसानों ने बताया कि उन्हें लाखों का नुकसान हुआ है.

raigarh flower farming news
फूल की खेती करने वालों को हुआ नुकसान
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Published : Sep 13, 2020, 5:59 PM IST

रायगढ़: आज ऐसा कोई भी क्षेत्र नहीं है, जो कोरोना महामारी की चपेट में न आया हो. खेती-किसानी भी इस संकट से अछूता नहीं रहा है. रायगढ़ जिले में कुछ किसान धान की खेती छोड़कर फूल की खेती कर रहे हैं, जिन्हें लाखों का नुकसान हुआ है. कोरोना संक्रमण की मार से फूल भी मुरझा गए.

फूल की खेती करने वालों को हुआ नुकसान

किसानों के मुताबिक इस बार फूलों की खपत नहीं हो पाई, जिससे उन्हें नुकसान हुआ है. वे अब बड़ी मात्रा में फूलों की खेती करने की सोच भी नहीं रहे हैं. वे कहते हैं कि कोरोना संक्रमण के मद्देनजर किए गए लॉकडाउन के दौरान कई बड़े त्योहार, शादी-ब्याह और कई कार्यक्रम निकल गए. इस बीच न फूलों की मांग हुई और न ही किसी ने डेकोरेशन या अन्य किसी उपयोग के लिए फूलों का ऑर्डर दिया. यहीं वजह है कि फूल व्यापारियों ने भी फूल किसानों से फूलों की खरीदी नहीं की.

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कोरोना ने छीनी फूलों की महक

किसानों को हुआ लाखों का नुकसान

ETV भारत ने फूलों की खेती के लिए राष्ट्रीय कृषि मेले में मुख्यमंत्री के हाथों सम्मानित हो चुके रायगढ़ जिले के बरमकेला ब्लॉक के नावापाली गांव के किसान मुकेश चौधरी से बात की. दो साल से फूल की खेती करने वाले किसान ने बताया कि इस बार वे लॉकडाउन की वजह से फूलों की फसलें नहीं ले पाए. दो एकड़ खेत में रजनीगंधा, गेंदा और केलैन्डयुला सहित कई फूल लगाए थे, जिसमें करीब दो लाख का नुकसान हो गया. एक अन्य किसान ने बताया कि खेती की लागत राशि भी नहीं मिल पाई.

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रजनीगंधा की खेती भी ठप
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राष्ट्रीय कृषि मेला में सम्मानित हो चुके हैं किसान मुकेश चौधरी

किसानों का कहना है कि 1 एकड़ फूल की खेती के लिए लगभग 45 से 50 हजार रुपए की जरूरत होती है. जिसमें डेढ़ से 2 लाख रुपए का मुनाफा होता है. किसानों के मुताबिक धान की खेती करने से ज्यादा पैसा नहीं मिल पाता, उसमें मेहनत भी ज्यादा है, लेकिन फूल की खेती से ज्यादा पैसे कमाए जा सकते हैं.

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गेंदा फूल की खेती

छत्तीसगढ़ के साथ ही दूसरे राज्यों में भेजे जाते हैं फूल

किसान बताते हैं कि उनके खेतों के फूल छत्तीसगढ़ के अलावा ओडिशा के भुवनेश्वर के लिए भी जाते हैं. कोलकाता से आए गेंदे के फूलों की क्वालिटी सबसे अच्छी होती है, जिन्हें 7 दिनों तक रखा जा सकता है. ये फूल 6 से 8 दिन तक खराब नहीं होते. वे कहते हैं कि अब फूलों की खेती करने के लिए सोचना पड़ रहा है, क्योंकि मार्केट में फूल की मांग घट चुकी है. किसानों ने बताया कि उन्होंने फूलों की खेती के लिए बीमा भी कराया था, जिसके बारे में उन्हें अभी जानकारी नहीं है.

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फूलों की खेती के लिए पहले भी मिल चुके हैं पुरस्कार

किसानों ने बताया कि फूल के बीज बचाने के लिए उन्होंने कम जगह पर फसल उगाई है. किसान बताते हैं कि हर दिन उनके पास फूल की मांग लेकर लोग पहुंचते थे. क्योंकि ताजे फूल की मांग हर जगह होती है. लेकिन कोरोना संकट काल की वजह से अब कोई उन्हें पूछने भी नहीं आता.

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किसानों को हुआ लाखों का नुकसान

पढ़ें- SPECIAL : लॉकडाउन ने छीनी फूलों की महक, मायूस हैं फूल व्यवसायी

किसानों को उम्मीद है कि जल्द ही सब ठीक होगा और फिर से उनके फूलों की बगिया महकेगी.

रायगढ़: आज ऐसा कोई भी क्षेत्र नहीं है, जो कोरोना महामारी की चपेट में न आया हो. खेती-किसानी भी इस संकट से अछूता नहीं रहा है. रायगढ़ जिले में कुछ किसान धान की खेती छोड़कर फूल की खेती कर रहे हैं, जिन्हें लाखों का नुकसान हुआ है. कोरोना संक्रमण की मार से फूल भी मुरझा गए.

फूल की खेती करने वालों को हुआ नुकसान

किसानों के मुताबिक इस बार फूलों की खपत नहीं हो पाई, जिससे उन्हें नुकसान हुआ है. वे अब बड़ी मात्रा में फूलों की खेती करने की सोच भी नहीं रहे हैं. वे कहते हैं कि कोरोना संक्रमण के मद्देनजर किए गए लॉकडाउन के दौरान कई बड़े त्योहार, शादी-ब्याह और कई कार्यक्रम निकल गए. इस बीच न फूलों की मांग हुई और न ही किसी ने डेकोरेशन या अन्य किसी उपयोग के लिए फूलों का ऑर्डर दिया. यहीं वजह है कि फूल व्यापारियों ने भी फूल किसानों से फूलों की खरीदी नहीं की.

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कोरोना ने छीनी फूलों की महक

किसानों को हुआ लाखों का नुकसान

ETV भारत ने फूलों की खेती के लिए राष्ट्रीय कृषि मेले में मुख्यमंत्री के हाथों सम्मानित हो चुके रायगढ़ जिले के बरमकेला ब्लॉक के नावापाली गांव के किसान मुकेश चौधरी से बात की. दो साल से फूल की खेती करने वाले किसान ने बताया कि इस बार वे लॉकडाउन की वजह से फूलों की फसलें नहीं ले पाए. दो एकड़ खेत में रजनीगंधा, गेंदा और केलैन्डयुला सहित कई फूल लगाए थे, जिसमें करीब दो लाख का नुकसान हो गया. एक अन्य किसान ने बताया कि खेती की लागत राशि भी नहीं मिल पाई.

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रजनीगंधा की खेती भी ठप
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राष्ट्रीय कृषि मेला में सम्मानित हो चुके हैं किसान मुकेश चौधरी

किसानों का कहना है कि 1 एकड़ फूल की खेती के लिए लगभग 45 से 50 हजार रुपए की जरूरत होती है. जिसमें डेढ़ से 2 लाख रुपए का मुनाफा होता है. किसानों के मुताबिक धान की खेती करने से ज्यादा पैसा नहीं मिल पाता, उसमें मेहनत भी ज्यादा है, लेकिन फूल की खेती से ज्यादा पैसे कमाए जा सकते हैं.

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गेंदा फूल की खेती

छत्तीसगढ़ के साथ ही दूसरे राज्यों में भेजे जाते हैं फूल

किसान बताते हैं कि उनके खेतों के फूल छत्तीसगढ़ के अलावा ओडिशा के भुवनेश्वर के लिए भी जाते हैं. कोलकाता से आए गेंदे के फूलों की क्वालिटी सबसे अच्छी होती है, जिन्हें 7 दिनों तक रखा जा सकता है. ये फूल 6 से 8 दिन तक खराब नहीं होते. वे कहते हैं कि अब फूलों की खेती करने के लिए सोचना पड़ रहा है, क्योंकि मार्केट में फूल की मांग घट चुकी है. किसानों ने बताया कि उन्होंने फूलों की खेती के लिए बीमा भी कराया था, जिसके बारे में उन्हें अभी जानकारी नहीं है.

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फूलों की खेती के लिए पहले भी मिल चुके हैं पुरस्कार

किसानों ने बताया कि फूल के बीज बचाने के लिए उन्होंने कम जगह पर फसल उगाई है. किसान बताते हैं कि हर दिन उनके पास फूल की मांग लेकर लोग पहुंचते थे. क्योंकि ताजे फूल की मांग हर जगह होती है. लेकिन कोरोना संकट काल की वजह से अब कोई उन्हें पूछने भी नहीं आता.

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किसानों को हुआ लाखों का नुकसान

पढ़ें- SPECIAL : लॉकडाउन ने छीनी फूलों की महक, मायूस हैं फूल व्यवसायी

किसानों को उम्मीद है कि जल्द ही सब ठीक होगा और फिर से उनके फूलों की बगिया महकेगी.

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