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SPECIAL: अनलॉक के बाद भी नहीं बढ़ी ठेले वालों की कमाई, ट्रेन-बस चलने का इंतजार - chhattisgarh news

लॉकडाउन में ठहरी हुई जिंदगी आगे बढ़ने का नाम ही नहीं ले रही है. सड़क से गुजरने वाले लोगों को अपने ठेले पर बने गरम-गरम समोसे और चाय की खुशबू से रोक लेने वाले फुटकर व्यापारी आज अपने ग्राहकों के आने का इंतजार कर रहे हैं.

waiting for customer
ग्राहक के आने का इंतजार
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Published : Jun 27, 2020, 1:45 PM IST

Updated : Jun 27, 2020, 5:31 PM IST

रायगढ़: सड़क के किनारे ठेले पर चाय-नाश्ता बेचकर अपनी जिंदगी की गाड़ी चलाने वाले फुटकर व्यापारी लॉकडाउन के बाद भी नहीं उबर पा रहे हैं. अनलॉक के बाद इन फुटकर व्यापारियों ने अपने ठेले सड़क के किनारे लगाने तो शुरू कर दिए हैं, लेकिन इनकी कमाई पहले जैसे नहीं हो पा रही है.

नहीं बढ़ी ठेले वालों की कमाई

लोगों तक नहीं पहुंच पा रही समोसे की सुगंध

अब ना तो दोस्त-यार और ना ही घर से भूखे निकलने वाले लोग इनके ठेले पर पहुंच रहे हैं. जिससे इनका धंधा मंदा पड़ा हुआ है. इन दुकानदारों को ग्राहकों का इंतजार है, लेकिन बस और लोकल ट्रेन नहीं चलने से इनके सामान की बिक्री नहीं हो पा रही है, क्योंकि इनके ज्यादातर ग्राहक बाहर से आने वाले लोग हैं, जिससे इनका बिजनेस चलता है. दरअसल जिले के आसपास के कई इलाकों से लोग या तो काम करने शहर आते हैं या फिर इलाज कराने, ऐसे में बड़ी संख्या में ये लोग ठेले पर बने चाय-नाश्ते से ही अपना पेट भरते हैं, लेकिन कोरोना वायरस के डर की वजह से लोग अब बाहर खाने में सोचने लगे हैं, जिसका सीधा असर इन फुटकर खाने-पीने की चीजें बेचने वालों पर पड़ रहा है.

SPECIAL: खाली हुए हॉस्टलों के कमरे, हॉस्टल संचालकों की बढ़ी परेशानी

ETV भारत ने ठेले वालों से की बात

ETV भारत ने रायगढ़ के सतीगुड़ी चौक का जायजा लिया, जहां ठेले वालों ने बताया कि लॉकडाउन से पहले तक दिनभर में 500 से हजार रुपए तक वे कमा लेते थे, लेकिन अब दिनभर में सिर्फ 250 से 300 रुपए ही कमा पा रहे हैं. दुकानदारों ने बताया कि अब धंधा केवल 25 प्रतिशत ही रह गया है. बहुत कम लोग ही चाय-नाश्ता करने ठेले पर पहुंच रहे हैं, हालांकि ये दुकानदार इस बात पर सुकून महसूस कर रहे हैं कि कम से कम उन्हें ठेले लगाने की परमिशन तो मिली.

लॉकडाउन इफेक्ट्स: सेकंड हैंड गाड़ी विक्रेताओं के सामने रोजी-रोटी का संकट

लॉकडाउन में पेट भरने की हुई मुसीबत

ठेला लगाने वालों की मानें तो लॉकडाउन के दौरान उनके सामने भूखे मरने तक की नौबत खड़ी हो गई. लॉकडाउन से पहले कमाए हुए पैसे ही उस मुश्किल समय में उनके घर चलाने के काम आए. इनकी मानें तो अगर सरकार ठेले लगाने की अनुमति नहीं देती, तो इनका और इनके बाल-बच्चों का पेट भरना काफी मुश्किल हो जाता.

वैश्विक महामारी कोरोना वायरस ने कई बड़े उद्योग-धंधे बंद करवा दिए. ऐसे में रोज कमाने वालों पर इसका क्या प्रभाव पड़ा होगा, ये सोचकर भी रोंगटे खड़े हो जाते हैं.

SPECIAL: छत्तीसगढ़ में हर महीने 350 करोड़ के चाइनीज सामानों का व्यापार, रोकने की उठी मांग

रायगढ़: सड़क के किनारे ठेले पर चाय-नाश्ता बेचकर अपनी जिंदगी की गाड़ी चलाने वाले फुटकर व्यापारी लॉकडाउन के बाद भी नहीं उबर पा रहे हैं. अनलॉक के बाद इन फुटकर व्यापारियों ने अपने ठेले सड़क के किनारे लगाने तो शुरू कर दिए हैं, लेकिन इनकी कमाई पहले जैसे नहीं हो पा रही है.

नहीं बढ़ी ठेले वालों की कमाई

लोगों तक नहीं पहुंच पा रही समोसे की सुगंध

अब ना तो दोस्त-यार और ना ही घर से भूखे निकलने वाले लोग इनके ठेले पर पहुंच रहे हैं. जिससे इनका धंधा मंदा पड़ा हुआ है. इन दुकानदारों को ग्राहकों का इंतजार है, लेकिन बस और लोकल ट्रेन नहीं चलने से इनके सामान की बिक्री नहीं हो पा रही है, क्योंकि इनके ज्यादातर ग्राहक बाहर से आने वाले लोग हैं, जिससे इनका बिजनेस चलता है. दरअसल जिले के आसपास के कई इलाकों से लोग या तो काम करने शहर आते हैं या फिर इलाज कराने, ऐसे में बड़ी संख्या में ये लोग ठेले पर बने चाय-नाश्ते से ही अपना पेट भरते हैं, लेकिन कोरोना वायरस के डर की वजह से लोग अब बाहर खाने में सोचने लगे हैं, जिसका सीधा असर इन फुटकर खाने-पीने की चीजें बेचने वालों पर पड़ रहा है.

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ETV भारत ने ठेले वालों से की बात

ETV भारत ने रायगढ़ के सतीगुड़ी चौक का जायजा लिया, जहां ठेले वालों ने बताया कि लॉकडाउन से पहले तक दिनभर में 500 से हजार रुपए तक वे कमा लेते थे, लेकिन अब दिनभर में सिर्फ 250 से 300 रुपए ही कमा पा रहे हैं. दुकानदारों ने बताया कि अब धंधा केवल 25 प्रतिशत ही रह गया है. बहुत कम लोग ही चाय-नाश्ता करने ठेले पर पहुंच रहे हैं, हालांकि ये दुकानदार इस बात पर सुकून महसूस कर रहे हैं कि कम से कम उन्हें ठेले लगाने की परमिशन तो मिली.

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लॉकडाउन में पेट भरने की हुई मुसीबत

ठेला लगाने वालों की मानें तो लॉकडाउन के दौरान उनके सामने भूखे मरने तक की नौबत खड़ी हो गई. लॉकडाउन से पहले कमाए हुए पैसे ही उस मुश्किल समय में उनके घर चलाने के काम आए. इनकी मानें तो अगर सरकार ठेले लगाने की अनुमति नहीं देती, तो इनका और इनके बाल-बच्चों का पेट भरना काफी मुश्किल हो जाता.

वैश्विक महामारी कोरोना वायरस ने कई बड़े उद्योग-धंधे बंद करवा दिए. ऐसे में रोज कमाने वालों पर इसका क्या प्रभाव पड़ा होगा, ये सोचकर भी रोंगटे खड़े हो जाते हैं.

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Last Updated : Jun 27, 2020, 5:31 PM IST
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