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धरमजयगढ़ : दंतैल हाथी ने फिर ली एक की जान, वन विभाग ने साधी चुप्पी

छाल रेंज के अंतर्गत ग्राम चुहकीमार के जंगल में दंतैल हाथी ने फिर एक महिला की जान ले ली. महिला की मौत के बाद वन विभाग के प्रति ग्रामीणों में खासा आक्रोश है. लगातार जनहानि होने के बावजूद वन विभाग हाथी प्रभावित क्षेत्र में तेंदूपत्ता तोड़ने का काम बंद नहीं करवा रहा है.

हाथी ने ली महिला की जान
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Published : May 16, 2019, 11:51 PM IST

धरमजयगढ़: छाल रेंज के अंतर्गत ग्राम चुहकीमार के जंगल में दंतैल हाथी ने फिर एक महिला की जान ले ली है. गजराज के तांडव से यहां के ग्रामीणों का जीना दूभर हो गया है. बताया जाता है कि कुटेली नाले के पास तेंदूपत्ता तोड़ने गई महिला कंचन यादव (21) पर हाथी ने हमला कर दिया, जिससे मौके पर ही उसकी मौत हो गई.

दंतैल हाथी ने फिर ली एक की जान

बताया जा रहा है कि अभी भी 9 हाथियों का दल जंगल में विचरण कर रहा है. महिला की मौत के बाद वन विभाग के प्रति ग्रामीणों में खासा आक्रोश है.

आधा दर्जन से भी अधिक की मौत
बता दें कि मई में ही लगभग आधे दर्जन से भी अधिक लोगों को हाथी ने कुचलकर मौत के घाट उतार दिया है. लगातार हो रहे हादसों के बाद भी प्रशासन हरकत में नहीं आ रहा है. घना जंगल होने के कारण इस क्षेत्र के तेंदूपत्ते को बेहतर माना जाता है. शायद यही वजह है कि लगातार जनहानि होने के बावजूद वन विभाग हाथी प्रभावित क्षेत्र में तेंदूपत्ता तोड़ने का काम बंद नहीं करवा रहा है.

ग्रामीणों को नहीं दी कोई सूचना
इस मामले पर छाल प्रभारी रेंजर त्रिलोचन प्रसाद डनसेना ने बताया कि सभी मुंशी और मैनेजर को सूचित कर दिया गया है कि केवल राजस्व क्षेत्र में ही तेंदूपत्ता तोड़ने का काम किया जाए और ग्रामीणों को जंगल की ओर जाने से रोका जाए. साथ ही सभी कर्मचारियों को गांवों में इससे संबंधित मुनादी कराए जाने के निर्देश दिए गए हैं. हालांकि उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि तेंदूपत्ता तोड़ने का काम बंद नहीं किया जा सकता. वहीं ग्रामीणों का कहना है कि वन विभाग द्वारा उन्हें कोई सूचना नहीं दी गई है.

धरमजयगढ़: छाल रेंज के अंतर्गत ग्राम चुहकीमार के जंगल में दंतैल हाथी ने फिर एक महिला की जान ले ली है. गजराज के तांडव से यहां के ग्रामीणों का जीना दूभर हो गया है. बताया जाता है कि कुटेली नाले के पास तेंदूपत्ता तोड़ने गई महिला कंचन यादव (21) पर हाथी ने हमला कर दिया, जिससे मौके पर ही उसकी मौत हो गई.

दंतैल हाथी ने फिर ली एक की जान

बताया जा रहा है कि अभी भी 9 हाथियों का दल जंगल में विचरण कर रहा है. महिला की मौत के बाद वन विभाग के प्रति ग्रामीणों में खासा आक्रोश है.

आधा दर्जन से भी अधिक की मौत
बता दें कि मई में ही लगभग आधे दर्जन से भी अधिक लोगों को हाथी ने कुचलकर मौत के घाट उतार दिया है. लगातार हो रहे हादसों के बाद भी प्रशासन हरकत में नहीं आ रहा है. घना जंगल होने के कारण इस क्षेत्र के तेंदूपत्ते को बेहतर माना जाता है. शायद यही वजह है कि लगातार जनहानि होने के बावजूद वन विभाग हाथी प्रभावित क्षेत्र में तेंदूपत्ता तोड़ने का काम बंद नहीं करवा रहा है.

ग्रामीणों को नहीं दी कोई सूचना
इस मामले पर छाल प्रभारी रेंजर त्रिलोचन प्रसाद डनसेना ने बताया कि सभी मुंशी और मैनेजर को सूचित कर दिया गया है कि केवल राजस्व क्षेत्र में ही तेंदूपत्ता तोड़ने का काम किया जाए और ग्रामीणों को जंगल की ओर जाने से रोका जाए. साथ ही सभी कर्मचारियों को गांवों में इससे संबंधित मुनादी कराए जाने के निर्देश दिए गए हैं. हालांकि उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि तेंदूपत्ता तोड़ने का काम बंद नहीं किया जा सकता. वहीं ग्रामीणों का कहना है कि वन विभाग द्वारा उन्हें कोई सूचना नहीं दी गई है.

Intro:रायगढ़ /धर्मजयगढ़
धरमजयगढ़ के छाल रेंज अंतर्गत चूहकीमार जंगल में फिर हाँथी ने ली एक महिला की जान.....कुटेली नाला के पास तेंदूपत्ता तोड़ने गई महिला कंचना यादव पर हाथी ने किया हमला मौके पर हुई मौत ..... बताया जा रहा है महिला के शव के पास अभी भी 9 हाँथियों का दल कर रहा है विचरण.....महिला की मौत के बाद वन विभाग के प्रति ग्रामीणों में ख़ासा आक्रोश देखा जा रहा है।

Byte01 ग्रामीण
Byte02 त्रिलोचन प्रसाद डनसेना छाल प्रभारी रेंजर Body:
धरमजयगढ़ और छाल रेंज में जिस तरह से गजराज का तांडव देखा जा रहा उससे यही लगता है ग्रामीणों का जीवन जीना बेहद दूभर हो गया है....और वन विभाग है कि लगातार जनहानि होने के बावजूद प्रभावित क्षेत्र में तेंदूपत्ता तोड़ाई का काम बंद नहीं करा रही है....इससे लगता है विभाग को अपने फायदे की पड़ी है लोगों की जीवन का कोई मोल नहीं....शायद ग्रामीणों के प्रति विभाग की संवेदना अब चन्द मुआवजा राशि में सिमटकर रह गई है.. बता दें की मई माह में ही लगभग आधा दर्जन से भी अधिक लोगों को हाथी ने कुचल कर मौत के घाट उतार दिया है... लगातार मौत के बाद भी प्रशासन हरकत में नहीं आ रही है और मासूम लोगों की जान जा रही है... घना जंगल होने के कारण इस क्षेत्र के तेंदू पत्ते को बेहतर माना जाता है शायद यही वजह है कि वन विभाग तेंदूपत्ता की तुलना में लोगों की जान को सस्ती समझ रही है..Conclusion:
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