रायगढ़: छात्रों को कोरोना संक्रमण से बचाने के लिए राज्य सरकार ने ऑनलाइन परीक्षा ले ली, लेकिन अब आंसर शीट जमा करने के लिए छात्रों को जद्दोजहद करना पड़ रहा है. प्रदेश के सरकारी कॉलेज के छात्र-छात्राएं उत्तर पुस्तिका जमा करने पोस्ट ऑफिस पहुंच रहे हैं. जिसके चलते पोस्ट ऑफिस में लंबी कतारें देखने को मिल रही है. इस दौरान सोशल डिस्टेंसिगं का भी कोई पालन नहीं किया जा रहा है. इस वजह से कोरोना फैलने का खतरा और भी बढ़ गया है.
सारंगढ़ पोस्ट ऑफिस में भी छात्र-छात्राओं की भारी भीड़ देखने को मिल रही है. सैकड़ों की संख्या में छात्र आसंर शीट जमा करने को मजबूर हैं. राज्य सरकार ने ऑनलाइन परीक्षा तो आयोजित कर ली, लेकिन छात्रों के लिए यह परेशानी का सबब बनता नजर आ रहा है. इन दिनों महाविद्यालय की परीक्षाएं घर बैठें दी जा रही हैं. उसके बाद उत्तर पुस्तिका को डाक के माध्यम से संबंधित महाविद्यालयों में भेजा जा रहा है. बड़ी संख्या में छात्र डब्ल्यूसीएल गेवरा पोस्ट ऑफिस पहुंच रहे हैं. जिससे कोरोना संक्रमण का डर बढ़ रहा है.
पढ़ें- उत्तर पुस्तिका जमा करने पोस्ट ऑफिस पहुंचे छात्र, सोशल डिस्टेंसिंग की उड़ी धज्जियां
छत्तीसगढ़ में कोरोना का आकंड़ा लगातार बढ़ता जा रहा है. वहीं सारंगढ़ में भी कोरोना का ग्राफ तेजी से बढ़ रहा है. इलाके में कई लोगों की कोरोना से मौत भी हो चुकी है. लेकिन छात्र जान जोखिम में डालकर उत्तर पुस्तिका जमा करने पोस्ट ऑफिस पहुंच रहे हैं. विश्वविद्यालय और कॉलेज प्रशासन ने आंसर शीट जमा करने के लिए कोई उचित व्यवस्था नहीं की है. जिसके चलते छात्रों को संक्रमण काल में पोस्ट ऑफिस पहुंचना पड़ रहा है. हालांकि छात्र अपने स्तर पर सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने की कोशिश कर रहे हैं. लेकिन हजारों की संख्या में भीड़ जुटने के कारण सोशल डिस्टेंसिंग का पालन अच्छे से नहीं हो पा रहा है
आंसर शीट जमा करने का समय बढ़ाया गया
अटल बिहारी वाजपेयी विश्वविद्यालय, बिलासपुर छत्तीसगढ़ ने अधिसूचना जारी करते हुए परीक्षा समाप्ति के पांच दिन के अंदर आंसर शीट जमा करने की अधिसूचना जारी की थी. लेकिन पोस्ट ऑफिस की भीड़ को देखते हुए आंसर शीट जमा करने की तारीख 10 दिन और बढ़ा दी गई है.
छात्राओं ने कॉलेज प्रशासन पर लगाए आरोप
वहीं छात्रों ने कॉलेज प्रशासन पर आरोप लगाए हैं कि परीक्षा फीस उनसे ली जा चुकी है. साथ ही उत्तर पुस्तिका भी उन्होंने खुद खरीदा है. छात्रों ने मांग की है कि कॉलेज उनके पैसे वापस करें या फिर आने वाले सत्र में फीस में छूट दे.