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कोरोना काल में ऑटो रिक्शा चालकों की कमाई प्रभावित, घर चलाना हो रहा मुश्किल - Auto rickshaw drivers are not earning

कोरोना के कारण ऑटो रिक्शा चालकों को सवारी नहीं मिल रही है. जिसकी वजह से उनको परिवार चलाना मुश्किल हो रहा है. इसके लिए उन्होंने प्रशासन से मदद की गुहार लगाई है.

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कोरोना के कारण ऑटो रिक्शा चालकों की नहीं हो रही कमाई
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Published : Oct 21, 2020, 1:56 PM IST

Updated : Oct 27, 2020, 8:56 PM IST

रायगढ़: कोरोना के शुरुआती दौर में पूरे देश में लॉकडाउन लागू किया गया था, जिसके चलते बस, ट्रेनों का संचालन प्रभावित हुआ था , लेकिन केंद्र सरकार ने कुछ नियमों के साथ पूरे देश को अनलॉक कर दिया और राज्य में लॉकडाउन लागू करने का फैसला प्रदेश सरकार पर छोड़ दिया, जिसके बाद प्रदेश सरकार ने कोरोना के बढ़ते आंकड़ों को देखते हुए समय-समय पर लॉकडाउन किया था, जिसे अब अनलॉक कर दिया गया है. लेकिन इसके बाद भी ऑटो रिक्शा चालकों को सवारी नहीं मिल रही है.

कोरोना के कारण ऑटो रिक्शा चालकों की कमाई प्रभावित

रोजगार नहीं मिलने से इन लोगों को परिवार चलाना मुश्किल हो रहा है. सैकड़ों ऑटो चालक रोजाना दर-दर भटक रहे हैं, लेकिन परिवार चलाने के लिए पर्याप्त आय नहीं मिल रहा है. ऐसे में उन्होंने अब प्रशासन से मदद की गुहार लगाई हैं. कोरोना के डर से लोग घरों से निकलने से बच रहे हैं और सार्वजनिक परिवहन में यात्रा पूरी तरह से ठप पड़ी है.

कोरोना के कारण नहीं हो रही कमाई

इसे लेकर ETV भारत की टीम ने ऑटो चालकों से जब बात किया तब उन्होंने बताया कि कोरोना की वजह से उनकी जिंदगी तबाह हो गई है. कभी दिन में हजार रुपए तक की कमाई हो जाती थी, लेकिन आज परिवार चलाने के लिए 100 रुपए भी नहीं मिल रहा है. ऊपर से ऑटो का किराया सिर पर अतिरिक्त बोझ साबित हो रहा है. जब तक लोग सार्वजनिक परिवहन में यात्रा नहीं करेंगे तब तक ऑटो रिक्शा चालकों को रोजगार नहीं मिलेगा.

पढ़ें: SPECIAL: कुम्हारों के रोजगार पर कोरोना का असर, दिवाली के दीपों से किस्मत चमकने का कर रहे इंतजार

कोरोना महामारी के प्रकोप को देखते हुए यह दिन अब दूर दिखाई दे रहा है, क्योंकि लोग ज्यादा से ज्यादा अपने निजी वाहनों में सफर करना सुरक्षित मान रहे हैं और गिनती के ही बस-ट्रेन चल रही है. उसमें भी लोग यात्रा करने से बच रहे हैं. लगातार पेट्रोल और डीजल की बढ़ती कीमत भी ऑटो रिक्शा चालकों पर अतिरिक्त बोझ साबित हो रही हैं, क्योंकि उन्हें रोजगार नहीं मिल रहा है, जिसकी वजह से उनके पास पैसे नहीं आ रहे, लेकिन अतिरिक्त खर्चे बढ़ते जा रहे हैं. ऑटो चालकों का कहना है कि सैनिटाइजर, साबुन, और फेसमास्क जैसे अतिरिक्त खर्चे उनके लिए पहाड़ साबित हो रहे हैं.

पढ़ें: पटरी पर वापस लौट रहा ऑटोमोबाइल सेक्टर

ऑटो चालकों का कहना हैं कि शहर के एक कोने से दूसरे कोने तक जाने वाले यात्रियों से ही किराया मिलता था, क्योंकि रेलवे स्टेशन बस स्टेशन से शहर के अंदर या शहर से रेलवे स्टेशन बस स्टेशन तक जाने वाले लोगों से पर्याप्त रुपए मिल जाते थे. जिसमें अपने परिवार का और ऑटो का किराया सब कुछ निकाल कर कुछ बच भी जाता था, लेकिन आज हालात यह हो गई है कि अपना घर चलाना तो मुश्किल हो जा रहा है. ऊपर से ऑटो का किराया और मास्क, सैनिटाइजर और बढ़ते पेट्रोल-डीजल की कीमत का अतिरिक्त बोझ ऑटो चालकों के लिए दोहरी मार साबित हो रही है.

रायगढ़: कोरोना के शुरुआती दौर में पूरे देश में लॉकडाउन लागू किया गया था, जिसके चलते बस, ट्रेनों का संचालन प्रभावित हुआ था , लेकिन केंद्र सरकार ने कुछ नियमों के साथ पूरे देश को अनलॉक कर दिया और राज्य में लॉकडाउन लागू करने का फैसला प्रदेश सरकार पर छोड़ दिया, जिसके बाद प्रदेश सरकार ने कोरोना के बढ़ते आंकड़ों को देखते हुए समय-समय पर लॉकडाउन किया था, जिसे अब अनलॉक कर दिया गया है. लेकिन इसके बाद भी ऑटो रिक्शा चालकों को सवारी नहीं मिल रही है.

कोरोना के कारण ऑटो रिक्शा चालकों की कमाई प्रभावित

रोजगार नहीं मिलने से इन लोगों को परिवार चलाना मुश्किल हो रहा है. सैकड़ों ऑटो चालक रोजाना दर-दर भटक रहे हैं, लेकिन परिवार चलाने के लिए पर्याप्त आय नहीं मिल रहा है. ऐसे में उन्होंने अब प्रशासन से मदद की गुहार लगाई हैं. कोरोना के डर से लोग घरों से निकलने से बच रहे हैं और सार्वजनिक परिवहन में यात्रा पूरी तरह से ठप पड़ी है.

कोरोना के कारण नहीं हो रही कमाई

इसे लेकर ETV भारत की टीम ने ऑटो चालकों से जब बात किया तब उन्होंने बताया कि कोरोना की वजह से उनकी जिंदगी तबाह हो गई है. कभी दिन में हजार रुपए तक की कमाई हो जाती थी, लेकिन आज परिवार चलाने के लिए 100 रुपए भी नहीं मिल रहा है. ऊपर से ऑटो का किराया सिर पर अतिरिक्त बोझ साबित हो रहा है. जब तक लोग सार्वजनिक परिवहन में यात्रा नहीं करेंगे तब तक ऑटो रिक्शा चालकों को रोजगार नहीं मिलेगा.

पढ़ें: SPECIAL: कुम्हारों के रोजगार पर कोरोना का असर, दिवाली के दीपों से किस्मत चमकने का कर रहे इंतजार

कोरोना महामारी के प्रकोप को देखते हुए यह दिन अब दूर दिखाई दे रहा है, क्योंकि लोग ज्यादा से ज्यादा अपने निजी वाहनों में सफर करना सुरक्षित मान रहे हैं और गिनती के ही बस-ट्रेन चल रही है. उसमें भी लोग यात्रा करने से बच रहे हैं. लगातार पेट्रोल और डीजल की बढ़ती कीमत भी ऑटो रिक्शा चालकों पर अतिरिक्त बोझ साबित हो रही हैं, क्योंकि उन्हें रोजगार नहीं मिल रहा है, जिसकी वजह से उनके पास पैसे नहीं आ रहे, लेकिन अतिरिक्त खर्चे बढ़ते जा रहे हैं. ऑटो चालकों का कहना है कि सैनिटाइजर, साबुन, और फेसमास्क जैसे अतिरिक्त खर्चे उनके लिए पहाड़ साबित हो रहे हैं.

पढ़ें: पटरी पर वापस लौट रहा ऑटोमोबाइल सेक्टर

ऑटो चालकों का कहना हैं कि शहर के एक कोने से दूसरे कोने तक जाने वाले यात्रियों से ही किराया मिलता था, क्योंकि रेलवे स्टेशन बस स्टेशन से शहर के अंदर या शहर से रेलवे स्टेशन बस स्टेशन तक जाने वाले लोगों से पर्याप्त रुपए मिल जाते थे. जिसमें अपने परिवार का और ऑटो का किराया सब कुछ निकाल कर कुछ बच भी जाता था, लेकिन आज हालात यह हो गई है कि अपना घर चलाना तो मुश्किल हो जा रहा है. ऊपर से ऑटो का किराया और मास्क, सैनिटाइजर और बढ़ते पेट्रोल-डीजल की कीमत का अतिरिक्त बोझ ऑटो चालकों के लिए दोहरी मार साबित हो रही है.

Last Updated : Oct 27, 2020, 8:56 PM IST
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