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रायगढ़: कोरोना ने रोके रथ यात्रा के पहिये, 115 साल पुरानी परंपरा टूटी

कोरोना के कारण रायगढ़ में चली आ रही 115 साल पुरानी परंपरा टूट गई है. बता दें कि जिले में बीते 115 साल से रथ यात्रा निकालने की प्रथा चली आ रही है. जो कोरोना महामारी के कारण इस बार नहीं निकाली जाएगी.

115 year old tradition of rath yatra will not be celebrated in raigarh
रायगढ़ में 115 साल पुरानी परंपरा टूटी
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Published : Jun 20, 2020, 9:08 PM IST

रायगढ़: जिले में बीते 115 साल से रथ यात्रा को धूमधाम से मनाने की प्रथा चली आ रही है, लेकिन इस बार कोरोना वायरस के प्रकोप ने भगवान जगन्नाथ के रथ के पहियों को रोक दिया है. दरअसल कोरोना वायरस के संक्रमण से बचाव के लिए जिले में धारा 144 लागू है, जिसके मुताबिक कहीं भी कोई भी सामाजिक या धार्मिक कार्यक्रम करने की अनुमति नहीं है. ऐसे में स्थानीय जिला प्रशासन ने रायगढ़ में होने वाले इस ऐतिहासिक जगन्नाथ रथ यात्रा को अनुमति नहीं दी है, जिसकी वजह से इस बार शहर में जगन्नाथ भगवान की रथ यात्रा नहीं निकाली जाएगी.

भगवान जगन्नाथ अभी शहर के जगन्नाथ मंदिर में अपनी बहन सुभद्रा और दाऊ बलराम के साथ 17 दिनों के लिए आसन पर हैं. इस दौरान भगवान को विभिन्न जड़ी बूटियों का काढ़ा बनाकर सेवन कराया जाता है. वहीं इस दौरान लोगों के मंदिर जाने पर पूरी तरह से रोक लगा दिया जाता है. सामान्य भाषा में कहें तो भगवान 17 दिनों के लिए होम आइसोलेट हो जाते हैं.

115 year old tradition of rath yatra will not be celebrated in raigarh
रायगढ़ में इस साल नहीं निकाली जाएगी रथ यात्रा

कोरोना के कारण 115 साल पूरानी परंपरा टूटी

वहीं 17 दिनों के बाद भगवान को आसान से उठाया जाता है. जबकि अगले दिन रथ महोत्सव करके पूरे शहर में परंपरा के अनुसार भगवान को घुमाया जाता था, जिसके बाद तृतीया के दिन भगवान अपनी मौसी के घर जाने के लिए नगर से रवाना किया जाता है. वहीं दशमी के दिन बहुड़ा रथ यात्रा करके भगवान को उनकी मौसी के घर से वापस मंदिर लाया जाता है. फिर अगले दिन एकादशी के दिन भगवान का विशेष श्रृंगार होता है. इस दिन भगवान राजा के वेश में होते हैं और अपने समस्त अनुयायियों को दर्शन देते हैं. वहीं छत्तीसगढ़ सरकार के नियमों और शर्तों के कारण इस साल 22 और 23 तारीख को यह सब नहीं किया जाएगा.

इस साल नहीं होगी रथ यात्रा

इस दिन विशेष पूजा होती है, जिसके बाद भगवान 4 महीने के लिए विश्राम काल में चले जाते हैं. इस दिन के बाद सभी शुभ कार्यों के लिए मुहूर्त 4 महीनों के लिए रुक जाती है, लेकिन अब कोरोना की वजह से न रथ यात्रा होगी और न ही कोई विशेष कार्यक्रम किया जाएगा.

राजा भूपदेव सिंह ने कराया था जगन्नाथ मंदिर का निर्माण

राजपरिवार से जुड़े कुमार देवेंद्र प्रताप सिंह बताते हैं कि महाराजा भूपदेव सिंह के एक बेटे थे. कुमार देवेंद्र प्रताप सिंह ने बताया कि राजा नटवर सिंह राज परिवार में ऐसी मान्यता थी कि महाराजा को उनके बड़े बेटे मुखाग्नि नहीं दे सकते थे. इसलिए राजा ने दूसरे पुत्र की कामना की, जिसके बाद जगन्नाथ भगवान की कृपा से उनको दूसरा पुत्र गणेश चतुर्थी के दिन चक्रधर सिंह प्राप्त हुए. पुत्र प्राप्ति के बाद 1905 के उस दौर में महाराजा भूपदेव सिंह ने जगन्नाथ भगवान के लिए मंदिर का निर्माण कराया और तब से रायगढ़ में यह विशेष पूजा चली आ रही है.

पढ़ें: रायपुर: नहीं दिखेगी रथयात्रा की रौनक, मंदिर में नहीं लगेगा श्रद्धालुओं का तांता

भगवान जगन्नाथ के रथ यात्रा का यह त्यौहार एक महोत्सव के रूप में मनाया जा रहा है. बता दें कि रायगढ़ में दिनों की महोत्सव होती है, जिसमें 22 तारीख को विशेष पूजा और 23 तारीख को रथ यात्रा होना था, लेकिन कोरोना के कारण इस साल रथ यात्रा नहीं हो पाएगा.

रायगढ़: जिले में बीते 115 साल से रथ यात्रा को धूमधाम से मनाने की प्रथा चली आ रही है, लेकिन इस बार कोरोना वायरस के प्रकोप ने भगवान जगन्नाथ के रथ के पहियों को रोक दिया है. दरअसल कोरोना वायरस के संक्रमण से बचाव के लिए जिले में धारा 144 लागू है, जिसके मुताबिक कहीं भी कोई भी सामाजिक या धार्मिक कार्यक्रम करने की अनुमति नहीं है. ऐसे में स्थानीय जिला प्रशासन ने रायगढ़ में होने वाले इस ऐतिहासिक जगन्नाथ रथ यात्रा को अनुमति नहीं दी है, जिसकी वजह से इस बार शहर में जगन्नाथ भगवान की रथ यात्रा नहीं निकाली जाएगी.

भगवान जगन्नाथ अभी शहर के जगन्नाथ मंदिर में अपनी बहन सुभद्रा और दाऊ बलराम के साथ 17 दिनों के लिए आसन पर हैं. इस दौरान भगवान को विभिन्न जड़ी बूटियों का काढ़ा बनाकर सेवन कराया जाता है. वहीं इस दौरान लोगों के मंदिर जाने पर पूरी तरह से रोक लगा दिया जाता है. सामान्य भाषा में कहें तो भगवान 17 दिनों के लिए होम आइसोलेट हो जाते हैं.

115 year old tradition of rath yatra will not be celebrated in raigarh
रायगढ़ में इस साल नहीं निकाली जाएगी रथ यात्रा

कोरोना के कारण 115 साल पूरानी परंपरा टूटी

वहीं 17 दिनों के बाद भगवान को आसान से उठाया जाता है. जबकि अगले दिन रथ महोत्सव करके पूरे शहर में परंपरा के अनुसार भगवान को घुमाया जाता था, जिसके बाद तृतीया के दिन भगवान अपनी मौसी के घर जाने के लिए नगर से रवाना किया जाता है. वहीं दशमी के दिन बहुड़ा रथ यात्रा करके भगवान को उनकी मौसी के घर से वापस मंदिर लाया जाता है. फिर अगले दिन एकादशी के दिन भगवान का विशेष श्रृंगार होता है. इस दिन भगवान राजा के वेश में होते हैं और अपने समस्त अनुयायियों को दर्शन देते हैं. वहीं छत्तीसगढ़ सरकार के नियमों और शर्तों के कारण इस साल 22 और 23 तारीख को यह सब नहीं किया जाएगा.

इस साल नहीं होगी रथ यात्रा

इस दिन विशेष पूजा होती है, जिसके बाद भगवान 4 महीने के लिए विश्राम काल में चले जाते हैं. इस दिन के बाद सभी शुभ कार्यों के लिए मुहूर्त 4 महीनों के लिए रुक जाती है, लेकिन अब कोरोना की वजह से न रथ यात्रा होगी और न ही कोई विशेष कार्यक्रम किया जाएगा.

राजा भूपदेव सिंह ने कराया था जगन्नाथ मंदिर का निर्माण

राजपरिवार से जुड़े कुमार देवेंद्र प्रताप सिंह बताते हैं कि महाराजा भूपदेव सिंह के एक बेटे थे. कुमार देवेंद्र प्रताप सिंह ने बताया कि राजा नटवर सिंह राज परिवार में ऐसी मान्यता थी कि महाराजा को उनके बड़े बेटे मुखाग्नि नहीं दे सकते थे. इसलिए राजा ने दूसरे पुत्र की कामना की, जिसके बाद जगन्नाथ भगवान की कृपा से उनको दूसरा पुत्र गणेश चतुर्थी के दिन चक्रधर सिंह प्राप्त हुए. पुत्र प्राप्ति के बाद 1905 के उस दौर में महाराजा भूपदेव सिंह ने जगन्नाथ भगवान के लिए मंदिर का निर्माण कराया और तब से रायगढ़ में यह विशेष पूजा चली आ रही है.

पढ़ें: रायपुर: नहीं दिखेगी रथयात्रा की रौनक, मंदिर में नहीं लगेगा श्रद्धालुओं का तांता

भगवान जगन्नाथ के रथ यात्रा का यह त्यौहार एक महोत्सव के रूप में मनाया जा रहा है. बता दें कि रायगढ़ में दिनों की महोत्सव होती है, जिसमें 22 तारीख को विशेष पूजा और 23 तारीख को रथ यात्रा होना था, लेकिन कोरोना के कारण इस साल रथ यात्रा नहीं हो पाएगा.

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