नारायणपुर: कोरोना वायरस लगातार अपने पैर पसार रहा है. देश में अब वायरस गंभीर रूप ले चुका है. ऐसे में इससे बचाव के लिए शासन-प्रशासन के साथ ही आम लोग नए-नए प्रयास कर रहे हैं. इसी क्रम में जिले के समाजसेवी संस्था के युवाओं ने मिलकर हैंड्स फ्री हैंडवॉश सिस्टम बनाया है. इसके लिए युवाओं ने 15 दिनों तक मेहनत करके एक मॉडल तैयार किया है. तैयार किए गए हैंडवॉश सिस्टम में हाथों की बजाए पैरों का उपयोग होता है.
सुरक्षित तरीके से हाथ धोने के लिए पैरों का सहारा लेकर पैनल को दबाना होता है, जिससे हैंडवॉश के लिए लिक्विड निकलेगा और दूसरा हैंडल दबाने से हाथ धोने के लिए पानी निकलेगा. इससे बहुत ही सुरक्षित तरीके से कम पानी से हाथ धोया जा सकता है.
बता दें कि देश में लॉकडाउन का तीसरा चरण चल रहा है. कोरोना से बचाव के लिए लोगों को मुंह पर मास्क लगाने, सामाजिक दूरी का पालन करने और समय-समय पर हाथ धोते रहने को कारगर बताया गया है. ऐसे में इस हैंड्स फ्री हैंडवॉश सिस्टम की काफी सराहना हो रही है.
स्थानीय संसाधनों से तैयार
युवाओं ने लॉकडाउन के दौरान स्थानीय संसाधनों के जुगाड़ से इसे तैयार किया है. मॉडल हैंड्स फ्री हैंडवॉश सिस्टम में पैर के सहारे हाथों की धुलाई की जाती है. महामारी से लड़ने के लिए स्वच्छता के प्रति अपने ज्ञान का प्रयोग कर समाजसेवी संस्था के युवाओं ने 15 दिनों की मेहनत के बाद मॉडल तैयार किया.
इसमें आवश्यकतानुसार साबुन रखने की सुविधा के लिए जगह बनाए गए हैं. हाथ सुखाने के लिए पंखा लगाया गया है. इस मॉडल में एक साथ चार लोग आराम से हाथ धो सकेंगे. इसमें 100 लीटर का प्लास्टिक सिंटेक्स अटैच है और उसमें पानी के लिए पाइप लगा हुआ है.
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सहायक परियोजना समन्वयक प्रमोद पोटाई ने बताया कि कोरोना वायरस के इस संकट काल में हम लॉकडाउन के तीसरे चरण में हैं. इसी समय का उपयोग हैंडवॉश के लिए नया तरीका ईजाद करने में लगाया और हैड्स फ्री हैंडवॉश सिस्टम का आविष्कार किया है. WHO ने अपनी गाइडलाइन में बताया था कि संक्रमण से बचने के लिए घर से बाहर निकलने और घर आने पर साबुन से हाथ धोना और बार-बार हाथ धोना है.
आदिवासी अंचल में जागरूकता
बता दें कि नारायणपुर आदिवासी अंचल है, यहां जागरूकता की कमी भी है, साथ ही साक्षरता दर भी काफी कम है, जिसे देखते हुए अधिक से अधिक लोगों को स्वच्छता से जोड़ने के लिए हैंड्स फ्री हैंडवॉश मॉडल तैयार किया गया है.
दैनिक दिनचर्या में स्वच्छता के प्रति सजगता लाने के लिए मॉडल कारगर साबित हो सकता है. आने वाले समय में इससे बेहतर परिणाम मिलने की संभावना है.