बस्तर: छत्तीसगढ़ के नारायणपुर में अबूझमाड़ ऐसा इलाका है. जिसकी पहेली आज तक हर किसी के लिए अबूझ ही है. कहा जाता है कि, इस इलाके में करीब 200 गांव मौजूद हैं. हालांकि अभी तक इसका सर्वे नहीं हुआ है.
फिर चर्चा में क्यों है अबूझमाड़ का इलाका: इस अबूझ पहेली वाले जंगल में आदिवासी पिछले 11 महीनों से आंदोलन कर रहे हैं. आदिवासियों के मुताबिक वे लोग अपनी संस्कृति बचाने के लिए आंदोलन कर रहे हैं. इनका कहना है कि, जो जिम्मेदार हैं वो पिछले 11 महीनों में इनकी सुध लेने नहीं पहुंचे. ग्रामीणों का कहना है कि, सुरक्षाबलों ने आंदोलन कर रहे लोगों की बेरहमी से पिटाई की. 21 तारीख को बुधवार के दिन शराब के नशे में DRG और बस्तर फाइटर्स के जवान आंदोलन स्थल पर पहुंचे थे. और बिना कुछ बोले तोड़ फोड़ करने लगे. करीब 70 से अधिक आदिवासियों के साथ बेहरहमी से मारपीट की है. जिसमें कुछ आदिवासी घायल हुए.
"करीब 70 से अधिक लोगों के साथ मारपीट हुई. और 21 लोगों को थाना ले गए थे. जिनके साथ भी बेहरहमी से मारपीट की गई. पुरुष और महिलाओं को गंभीर चोट आई है. जो बिस्तर में पड़े हुए हैं. मारपीट के बाद जब घायलों को उपचार के लिए अस्पताल ले जाया गया. तो अस्पताल में भी पुलिस के डर से डॉक्टरों ने ना ही भर्ती किया.और ना ही उनका इलाज किया." रानूराम पोडियामी, आंदोलनकारी
पुलिस ने किया आरोपों को खारिज: हालांकि पुलिस का कहना कुछ और ही है.
"जिले में धारा 144 लागू है. और सुरक्षाबल के जवानों के द्वारा धरना स्थल पर लोगों को समझाइश दी गई. उसी दौरान भीड़ उग्र होकर पुलिस से झुमाझटकी करने लगी. जिससे पुलिस के जवान घायल हुए. पुलिस ने किसी से मारपीट या दुर्व्यवहार नहीं किया.पुलिस पर घटित घटना को लेकर ओरछा थाने में प्राथमिकी दर्ज की गई है." हेमसागर सिदार,अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक, नारायणपुर
क्या है आदिवासियों की मांग: माड़ बचाओ मंच के तहत 23 फरवरी से आंदोलन हो रहा है. हजारों की संख्या में अबूझमाड़ के इलाकों से ग्रामीण पहुंचे हैं.आंदोलन ओरछा के नदी पारा में हो रहा है.ग्रामीणों का कहना है कि, ग्राम सभा की अनुमति के बिना ही अबूझमाड़ में 2 नवीन कैम्प और सड़क चौड़ीकरण का काम प्रस्तावित है. ये लोग उसी का विरोध कर रहे हैं. आदिवासियों की मानें तो करीब 10 आवेदन जिला कलेक्टर को दिया गया,लेकिन आज तक कुछ नहीं हुआ. इतना ही नहीं आदिवासियों का कहना है कि, अबूझमाड़ में संविधान का अधिकार नहीं मिल रहा. ये लोग एक समान रहने के अधिकार की मांग कर रहे हैं. साथ ही इनलोगों ने कहा है कि, जिन जवानों ने इनके साथ गलत व्यवहार और मारपीट की घटना को अंजाम दिया, उसके खिलाफ कार्रवाई हो.
प्रशासन दे रहा है विकास का हवाला: बस्तर आईजी सुंदरराज पी का कहना है कि, नक्सलियों की ओर से ग्रामीणों को भड़काया जा रहा है. विकास के विरोधी नक्सली रहे हैं. लिहाजा वे लोग ग्रामीणों का इस्तेमाल हथियार के तौर पर कर रहे हैं. बस्तर आईजी के मुताबिक, चार-पांच सालों में बस्तर के अलग-अलग जगह में 65 से ज्यादा नवीन सुरक्षा कैंप लगाये गये हैं. कैंप की वजह से नक्सलियों का इलाका सिमट रहा है. उसी की बौखलाहट का नतीजा है. पुलिस के खिलाफ माहौल बनाने का काम नक्सली कर रहे हैं. हालांकि वे ये भी कहते हैं कि, धीरे धीरे अब ग्रामीण भी इस बात को समझ रहे हैं.