ETV Bharat / state

नारायणपुर: किसान आंदोलन से सैकड़ों किलोमीटर दूर अपने 'हक' के लिए डटे आदिवासी

नारायणपुर में सैकड़ों की संख्या में ग्रामीण सरकार के खिलाफ मोर्चा खोले हुए हैं. नारायणपुर जिले के आमादई खदान को लीज पर सरकार ने दिया है. निक्को कंपनी जल्द ही खदान शुरू करने की तैयारी कर रही है. जल-जंगल और जमीन को भारी नुकसान से बचाने के लिए आदिवासी प्रदर्शन कर रहे हैं.

Tribal movement in narayanpur
आदिवासियों का आंदोलन
author img

By

Published : Dec 4, 2020, 11:06 AM IST

Updated : Dec 4, 2020, 1:12 PM IST

नारायणपुर: एक तरफ दिल्ली में किसान जहां कृषि कानून के विरोध में डटे हुए हैं, तो वहीं छत्तीसगढ़ में जल, जंगल और जमीन के लिए सैकड़ों आदिवासी सड़क पर हैं. नारायणपुर में सैकड़ों की संख्या में ग्रामीण सरकार के खिलाफ मोर्चा खोले हुए हैं. गांववाले 6 लोगों को नक्सली मामले में फंसाने का आरोप लगा रहे हैं. वे सभी 6 लोगों को छोड़ने की मांग कर रहे हैं, इसके साथ ही आमादई खदान को लीज पर देने का विरोध कर रहे हैं. आदिवासी पुलिस कैंप खोले जाने के भी खिलाफ हैं.

आदिवासियों का आंदोलन

आदिवासियों ने आंदोलन आगामी 17 दिसंबर तक जारी रखने की बात कही है. 13 नवंबर से ये आदिवासी कढ़िहामेटा में आंदोलनरत थे. वहां कोई फायदा नहीं हुआ, तो सभी नारायणपुर के धौड़ाई पहुंचे और विरोध शुरू कर दिया है. आंदोलन में गुरुवार को लगभग 6 हजार से अधिक की संख्या में आदिवासी मौजूद रहे. घने जंगलों के बीच पारंपरिक हथियारों के साथ महिला और पुरुष आदिवासी धरने पर बैठे हैं.

पढ़ें- अवैध रेत उत्खनन: परेशान मोहल्लेवासियों ने बंद किया रास्ता

  • आदिवासियों ने धौड़ाई के पास सड़क जाम कर दिया है, जिसके कारण नारायणपुर से आने वाले लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.
  • आदिवासियों का कहना कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं हो जाती, वे जंगल से नहीं हटेंगे.
  • इतना ही नहीं वे 17 दिसंबर तक के लिए आदिवासी राशन-पानी भी अपने साथ लेकर आए हैं.
  • आदिवासियों ने कहा कि जरूरी सेवाओं को छोड़कर किसी भी प्रकार के दोपहिया और अन्य वाहनों का आवागमन बर्दाश्त नहीं करेंगे.
  • विरोध के साथ ही साप्ताहिक छोटेडोंगर बाजार भी पूरी तरह बंद रहा.
  • इस दौरान आदिवासियों ने केवल एंबुलेंस को जाने का रास्ता दिया.
  • आदिवासी आमादई खदान कैंप का भी विरोध कर रहे हैं.
    tribals-are-on-strike-against-government-in-amadai-mine-case-in-narayanpur
    आदिवासियों का आंदोलन

प्रशासन के समझाने पर नहीं माने

हालांकि प्रशासन ने इन्हें गांव में वापस लौटने की समझाइश दी, लेकिन ग्रामीण किसी से भी चर्चा करने को राजी नहीं हैं. राशन, पानी लेकर बीच जंगल में आदिवासियों ने डेरा डाल दिया है. अबूझमाड़ इलाके के छोटे डोंगर से शुरू हुई ग्रामीणों की रैली मुख्य मार्ग से होते हुए धौड़ाई तक पहुंची है. सभी ग्रामीण धौड़ाई के जंगलों में धरने पर बैठ गए हैं. आंदोलन में महिला, बुजुर्ग, बच्चे आगामी 17 दिसंबर तक धरने पर बैठे हैं. आदिवासियों का कहना है कि हमारी मांगें पूरी नहीं होतीं, तब तक हम हजारों की संख्या में धरना देंगे, रास्ता रोकेंगे और आगे बढ़ते जाएंगे.

tribals-are-on-strike-against-government-in-amadai-mine-case-in-narayanpur
आदिवासियों का आंदोलन

किसान संगठनों की बड़ी बैठक आज, सरकार के साथ शनिवार को होगी अगली वार्ता

सरकार ने लीज पर दी है खदान

नारायणपुर जिले के आमादई खदान को लीज पर सरकार ने दी है. निक्को कंपनी जल्द ही खदान शुरू करने की तैयारी कर रही है. ऐसे में आदिवासियों ने खदान शुरू होने से इलाके को नुकसान होने का अंदेशा जाहिर किया है. आंदोलनरत आदिवासियों का कहना है कि खदान के शुरू होने से उनके जल, जंगल और जमीन को भारी नुकसान होगा. वे अपनी धरती को भगवान की तरह मानते हैं. ऐसे में निजी कंपनी के दखल से उनका इलाका सुरक्षित नहीं रहेगा.

सरकार से चाहते हैं बातचीत

आंदोलनरत आदिवासियों को तहसीलदार और टीआई लेवल के अधिकारी समझाने पहुंचे थे. ग्रामीणों का कहना है कि जब तक सरकार का कोई प्रतिनिधि उनसे बात करने नहीं आएगा, तब तक उनका आंदोलन जारी रहेगा. आदिवासियों की मांग है कि निक्को कंपनी को खदान न दिया जाए. साथ ही जिन 6 लोगों को नक्सली बताकर जेल में डाला गया है, उन्हें तत्काल रिहा किया जाए. मांग पूरी नहीं होने पर आंदोलन जारी रहेगा.

नारायणपुर: एक तरफ दिल्ली में किसान जहां कृषि कानून के विरोध में डटे हुए हैं, तो वहीं छत्तीसगढ़ में जल, जंगल और जमीन के लिए सैकड़ों आदिवासी सड़क पर हैं. नारायणपुर में सैकड़ों की संख्या में ग्रामीण सरकार के खिलाफ मोर्चा खोले हुए हैं. गांववाले 6 लोगों को नक्सली मामले में फंसाने का आरोप लगा रहे हैं. वे सभी 6 लोगों को छोड़ने की मांग कर रहे हैं, इसके साथ ही आमादई खदान को लीज पर देने का विरोध कर रहे हैं. आदिवासी पुलिस कैंप खोले जाने के भी खिलाफ हैं.

आदिवासियों का आंदोलन

आदिवासियों ने आंदोलन आगामी 17 दिसंबर तक जारी रखने की बात कही है. 13 नवंबर से ये आदिवासी कढ़िहामेटा में आंदोलनरत थे. वहां कोई फायदा नहीं हुआ, तो सभी नारायणपुर के धौड़ाई पहुंचे और विरोध शुरू कर दिया है. आंदोलन में गुरुवार को लगभग 6 हजार से अधिक की संख्या में आदिवासी मौजूद रहे. घने जंगलों के बीच पारंपरिक हथियारों के साथ महिला और पुरुष आदिवासी धरने पर बैठे हैं.

पढ़ें- अवैध रेत उत्खनन: परेशान मोहल्लेवासियों ने बंद किया रास्ता

  • आदिवासियों ने धौड़ाई के पास सड़क जाम कर दिया है, जिसके कारण नारायणपुर से आने वाले लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.
  • आदिवासियों का कहना कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं हो जाती, वे जंगल से नहीं हटेंगे.
  • इतना ही नहीं वे 17 दिसंबर तक के लिए आदिवासी राशन-पानी भी अपने साथ लेकर आए हैं.
  • आदिवासियों ने कहा कि जरूरी सेवाओं को छोड़कर किसी भी प्रकार के दोपहिया और अन्य वाहनों का आवागमन बर्दाश्त नहीं करेंगे.
  • विरोध के साथ ही साप्ताहिक छोटेडोंगर बाजार भी पूरी तरह बंद रहा.
  • इस दौरान आदिवासियों ने केवल एंबुलेंस को जाने का रास्ता दिया.
  • आदिवासी आमादई खदान कैंप का भी विरोध कर रहे हैं.
    tribals-are-on-strike-against-government-in-amadai-mine-case-in-narayanpur
    आदिवासियों का आंदोलन

प्रशासन के समझाने पर नहीं माने

हालांकि प्रशासन ने इन्हें गांव में वापस लौटने की समझाइश दी, लेकिन ग्रामीण किसी से भी चर्चा करने को राजी नहीं हैं. राशन, पानी लेकर बीच जंगल में आदिवासियों ने डेरा डाल दिया है. अबूझमाड़ इलाके के छोटे डोंगर से शुरू हुई ग्रामीणों की रैली मुख्य मार्ग से होते हुए धौड़ाई तक पहुंची है. सभी ग्रामीण धौड़ाई के जंगलों में धरने पर बैठ गए हैं. आंदोलन में महिला, बुजुर्ग, बच्चे आगामी 17 दिसंबर तक धरने पर बैठे हैं. आदिवासियों का कहना है कि हमारी मांगें पूरी नहीं होतीं, तब तक हम हजारों की संख्या में धरना देंगे, रास्ता रोकेंगे और आगे बढ़ते जाएंगे.

tribals-are-on-strike-against-government-in-amadai-mine-case-in-narayanpur
आदिवासियों का आंदोलन

किसान संगठनों की बड़ी बैठक आज, सरकार के साथ शनिवार को होगी अगली वार्ता

सरकार ने लीज पर दी है खदान

नारायणपुर जिले के आमादई खदान को लीज पर सरकार ने दी है. निक्को कंपनी जल्द ही खदान शुरू करने की तैयारी कर रही है. ऐसे में आदिवासियों ने खदान शुरू होने से इलाके को नुकसान होने का अंदेशा जाहिर किया है. आंदोलनरत आदिवासियों का कहना है कि खदान के शुरू होने से उनके जल, जंगल और जमीन को भारी नुकसान होगा. वे अपनी धरती को भगवान की तरह मानते हैं. ऐसे में निजी कंपनी के दखल से उनका इलाका सुरक्षित नहीं रहेगा.

सरकार से चाहते हैं बातचीत

आंदोलनरत आदिवासियों को तहसीलदार और टीआई लेवल के अधिकारी समझाने पहुंचे थे. ग्रामीणों का कहना है कि जब तक सरकार का कोई प्रतिनिधि उनसे बात करने नहीं आएगा, तब तक उनका आंदोलन जारी रहेगा. आदिवासियों की मांग है कि निक्को कंपनी को खदान न दिया जाए. साथ ही जिन 6 लोगों को नक्सली बताकर जेल में डाला गया है, उन्हें तत्काल रिहा किया जाए. मांग पूरी नहीं होने पर आंदोलन जारी रहेगा.

Last Updated : Dec 4, 2020, 1:12 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.