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आदिवासी आंदोलन का दूसरा दिन, मांगों को लेकर हजारों की संख्या में डटे प्रदर्शनकारी

निक्को खदान को हटाने की मांग को लेकर आदिवासी दूसरे दिन भी प्रदर्शन करते रहे. ग्रामीणों ने 17 दिसंबर तक प्रदर्शन जारी रखने की बात कही है. उनका कहना है कि जब तक प्रशासन मौके पर नहीं पहुचेगा, वे रास्ता नहीं छोड़ेंगे.

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निक्को हटाओ बस्तर बचाओ
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Published : Dec 4, 2020, 10:51 PM IST

Updated : Dec 4, 2020, 11:01 PM IST

नारायणपुर : निक्को खदान को हटाने की मांग को लेकर आदिवासियों का प्रदर्शन दूसरे दिन भी जारी रहा. आंदोलन कर रहे आदिवासियों से तहसीलदार आशुतोष शर्मा बात करने पहुंचे, तो उन्हें लौटा दिया. तहसीलदार ने आदिवासियों से लिखित में समस्या मांगी और हल करने का आश्वासन दिया. साथ ही तहसीलदार ने कहा कि 10 लोग जाकर जिला मुख्यालय बात कर सकते हैं. इस पर आदिवासियों ने सभी के जाने पर अड़े रहे. ग्रामीणों ने कहा कि वे अधिकारियों को लिखकर थक गए हैं. यहां जनप्रतिनिधि, विधायक, सांसद या मंत्री आएंगे तभी बात बनेगी. इसी बीच आदिवासियों से मिलने अरविंद नेताम पहुंचे.

आदिवासी आंदोलन का दूसरा दिन

हजारों की संख्या में ग्रामीण शुक्रवार को ओरछा मार्ग पर डटे रहे. पारंपरिक हथियार लहराते आदिवासियों ने निक्को हटाओ बस्तर बचाओ का नारा देते हुए आंदोलन कर रहे हैं. आंदोलनकारी प्रदर्शन में निक्को कंपनी को खदान की लीज निरस्त करने की मांग कर रहे हैं. वहीं नक्सलियों के नाम से गिरफ्तार 6 आदिवासियों की जेल से रिहाई की भी मांग है. बड़ी संख्या में महिलाएं और बच्चे भी शामिल हैं. ग्रामीणों ने 17 दिसंबर तक प्रदर्शन जारी रखने की बात कही है. उनका कहना है कि जब तक प्रशासन मौके पर नहीं पहुचेगा, वे रास्ता नहीं छोड़ेंगे.

Tribal movement continued to second day of nikko hatao bastar bachao
आदिवासी आंदोलन का दूसरा दिन

नारायणपुर ओरछा मार्ग पूरी तरह से बंद

बस्तर संभाग समेत सैकड़ों गांवों के आदिवासी ग्रामीण आंदोलन करने के लिए लामबंद हुए हैं. आंदोलन के दूसरे दिन बड़ी रैली निकाली गई. जिसमें बच्चे, महिलाएं, बुजुर्ग, युवा बड़ी संख्या में शामिल हुए. आदिवासी नेताओं ने भी इलाके में चल रहे हैं आंदोलन को समर्थन कर दिया है. इसी सिलसिले में बस्तर के बड़े आदिवासी नेता नारायणपुर के दौड़ाई पहुंचे जहां उन्होंने आदिवासी आंदोलन को समर्थन देते हुए इलाके में निक्को कंपनी को लीज पर दिए गए खदानों को गैरकानूनी करार किया है. आंदोलन के चलते नारायणपुर ओरछा मार्ग पूरी तरह से बंद है.

पढ़ें : आंदोलन कर रहे आदिवासियों पर सीएम ने उठाए सवाल, 'पुलिस कैंप का विरोध कौन करता है ?'

10 से 12 दिन का राशन लेकर आए ग्रामीण

गुरुवार को हजारों की संख्या में छोटेडोंगर से जिला मुख्यालय नारायणपुर के लिए पायदान निकले थे, लेकिन पुलिस ने उन्हें ग्राम धौड़ाई में ही में रोक लिया था. आक्रोशित ग्रामीण धौड़ाई में ही डेरा डाल कर पूरे मार्ग को बंद कर दिया. कड़कड़ाती ठंड ने ग्रामीणों ने आग के सहारे रात बिताई. तकरीबन 10 हजार की संख्या में पहुंचे ग्रामीण अपने साथ 10 से 12 दिन का राशन लेकर आए हैं. ग्रामीणों ने बड़े-बड़े पेड़ काटकर सड़क पर रास्ता जाम कर भी दिया गया है. ग्रामीणों का आरोप है कि बिना ग्रामसभा के आखिर सरकार ने आमदाई की खदानों को लीज कैसे दे दिया. वहीं आंदोलन को समर्थन देने पहुंचे पूर्व केंद्रीय मंत्री और आदिवासी नेता अरविंद नेताम ने कहा है कि बस्तर में पेसा कानून लागू है. ऐसे में निक्को कंपनी को लीज कैसे दी गई.

पढ़ें : नारायणपुर: आंदोलन कर रहे आदिवासियों से शांति की अपील, मांगों पर ग्रामीणों के साथ हो सकती है बैठक

मांगों पर विचार करने की तैयारी

इस मामले पर बस्तर आईजी सुंदरराज पी का कहना है कि ओरछा मार्ग पर सड़क पर धरना पर बैठे ग्रामीणों को धरना खत्म करने की समझाइश देने की कोशिश की जा रही है. शासन-प्रशासन द्वारा भी ग्रामीणों के साथ बैठक कर उनकी मांगों पर विचार करने की तैयारी की जा रही है. आईजी ने कहा है कि फिलहाल उन्होंने नारायणपुर पुलिस के माध्यम से ग्रामीणों को शांति व्यवस्था बनाए रखने की अपील की है. वर्तमान में स्थिति सामान्य है. वहीं 6 ग्रामीणों के गिरफ्तारी के मामले में आईजी ने कहा कि यह एक कानूनी प्रक्रिया है जिस पर कार्रवाई जारी है.

सीएम का बयान

वहीं आंदोलन को लेकर सीएम भूपेश बघेल का भी बयान सामने आया है. सीएम भूपेश बघेल ने प्रदर्शन कर रहे आदिवासियों पर सवाल उठाए हैं. सीएम ने कहा कि, ' वो वहां कैंप लगाए जाने का विरोध कर रहें हैं और कैंप लगाए जाने का विरोध कौन करता है?'

नारायणपुर : निक्को खदान को हटाने की मांग को लेकर आदिवासियों का प्रदर्शन दूसरे दिन भी जारी रहा. आंदोलन कर रहे आदिवासियों से तहसीलदार आशुतोष शर्मा बात करने पहुंचे, तो उन्हें लौटा दिया. तहसीलदार ने आदिवासियों से लिखित में समस्या मांगी और हल करने का आश्वासन दिया. साथ ही तहसीलदार ने कहा कि 10 लोग जाकर जिला मुख्यालय बात कर सकते हैं. इस पर आदिवासियों ने सभी के जाने पर अड़े रहे. ग्रामीणों ने कहा कि वे अधिकारियों को लिखकर थक गए हैं. यहां जनप्रतिनिधि, विधायक, सांसद या मंत्री आएंगे तभी बात बनेगी. इसी बीच आदिवासियों से मिलने अरविंद नेताम पहुंचे.

आदिवासी आंदोलन का दूसरा दिन

हजारों की संख्या में ग्रामीण शुक्रवार को ओरछा मार्ग पर डटे रहे. पारंपरिक हथियार लहराते आदिवासियों ने निक्को हटाओ बस्तर बचाओ का नारा देते हुए आंदोलन कर रहे हैं. आंदोलनकारी प्रदर्शन में निक्को कंपनी को खदान की लीज निरस्त करने की मांग कर रहे हैं. वहीं नक्सलियों के नाम से गिरफ्तार 6 आदिवासियों की जेल से रिहाई की भी मांग है. बड़ी संख्या में महिलाएं और बच्चे भी शामिल हैं. ग्रामीणों ने 17 दिसंबर तक प्रदर्शन जारी रखने की बात कही है. उनका कहना है कि जब तक प्रशासन मौके पर नहीं पहुचेगा, वे रास्ता नहीं छोड़ेंगे.

Tribal movement continued to second day of nikko hatao bastar bachao
आदिवासी आंदोलन का दूसरा दिन

नारायणपुर ओरछा मार्ग पूरी तरह से बंद

बस्तर संभाग समेत सैकड़ों गांवों के आदिवासी ग्रामीण आंदोलन करने के लिए लामबंद हुए हैं. आंदोलन के दूसरे दिन बड़ी रैली निकाली गई. जिसमें बच्चे, महिलाएं, बुजुर्ग, युवा बड़ी संख्या में शामिल हुए. आदिवासी नेताओं ने भी इलाके में चल रहे हैं आंदोलन को समर्थन कर दिया है. इसी सिलसिले में बस्तर के बड़े आदिवासी नेता नारायणपुर के दौड़ाई पहुंचे जहां उन्होंने आदिवासी आंदोलन को समर्थन देते हुए इलाके में निक्को कंपनी को लीज पर दिए गए खदानों को गैरकानूनी करार किया है. आंदोलन के चलते नारायणपुर ओरछा मार्ग पूरी तरह से बंद है.

पढ़ें : आंदोलन कर रहे आदिवासियों पर सीएम ने उठाए सवाल, 'पुलिस कैंप का विरोध कौन करता है ?'

10 से 12 दिन का राशन लेकर आए ग्रामीण

गुरुवार को हजारों की संख्या में छोटेडोंगर से जिला मुख्यालय नारायणपुर के लिए पायदान निकले थे, लेकिन पुलिस ने उन्हें ग्राम धौड़ाई में ही में रोक लिया था. आक्रोशित ग्रामीण धौड़ाई में ही डेरा डाल कर पूरे मार्ग को बंद कर दिया. कड़कड़ाती ठंड ने ग्रामीणों ने आग के सहारे रात बिताई. तकरीबन 10 हजार की संख्या में पहुंचे ग्रामीण अपने साथ 10 से 12 दिन का राशन लेकर आए हैं. ग्रामीणों ने बड़े-बड़े पेड़ काटकर सड़क पर रास्ता जाम कर भी दिया गया है. ग्रामीणों का आरोप है कि बिना ग्रामसभा के आखिर सरकार ने आमदाई की खदानों को लीज कैसे दे दिया. वहीं आंदोलन को समर्थन देने पहुंचे पूर्व केंद्रीय मंत्री और आदिवासी नेता अरविंद नेताम ने कहा है कि बस्तर में पेसा कानून लागू है. ऐसे में निक्को कंपनी को लीज कैसे दी गई.

पढ़ें : नारायणपुर: आंदोलन कर रहे आदिवासियों से शांति की अपील, मांगों पर ग्रामीणों के साथ हो सकती है बैठक

मांगों पर विचार करने की तैयारी

इस मामले पर बस्तर आईजी सुंदरराज पी का कहना है कि ओरछा मार्ग पर सड़क पर धरना पर बैठे ग्रामीणों को धरना खत्म करने की समझाइश देने की कोशिश की जा रही है. शासन-प्रशासन द्वारा भी ग्रामीणों के साथ बैठक कर उनकी मांगों पर विचार करने की तैयारी की जा रही है. आईजी ने कहा है कि फिलहाल उन्होंने नारायणपुर पुलिस के माध्यम से ग्रामीणों को शांति व्यवस्था बनाए रखने की अपील की है. वर्तमान में स्थिति सामान्य है. वहीं 6 ग्रामीणों के गिरफ्तारी के मामले में आईजी ने कहा कि यह एक कानूनी प्रक्रिया है जिस पर कार्रवाई जारी है.

सीएम का बयान

वहीं आंदोलन को लेकर सीएम भूपेश बघेल का भी बयान सामने आया है. सीएम भूपेश बघेल ने प्रदर्शन कर रहे आदिवासियों पर सवाल उठाए हैं. सीएम ने कहा कि, ' वो वहां कैंप लगाए जाने का विरोध कर रहें हैं और कैंप लगाए जाने का विरोध कौन करता है?'

Last Updated : Dec 4, 2020, 11:01 PM IST
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