नारायणपुर: अबूझमाड़िया जनजाति के लोग सरकारी नौकरी नहीं मिलने की वजह से परेशान हो रहे हैं. अबूझमाड़िया एक विशेष पिछड़ी जनजाति है. छत्तीसगढ़ में विशेष पिछड़ी जनजाति के युवाओं को सरकारी नौकरी में प्राथमिकता दी जा रही है. सरगुजा संभाग के सभी जिलों और दूसरे जिलों में भर्ती प्रक्रिया पूरी भी हो चुकी है. लेकिन नारायणपुर जिले में अबूझमाड़िया जनजाति के लोगों को इसका लाभ नहीं मिल रहा है. सरकारी नौकरी नहीं मिलने से विशेष पिछड़ी अबुझमाड़िया जनजाति वर्ग के युवा निराश हैं.
अबूझमाड़िया जनजाति के युवा परेशान: अबूझमाड़िया को मेटाभूम (भूमि पर मर मिटने वाला) कहा जाता है. इनकी जनसंख्या करीब 22,000 है. साक्षरता दर भी कम है. ज्यादातर अबूझमाड़िया लोग नारायणपुर जिले में रहते हैं. अबूझमाड़िया जनजाति के युवाओं का कहना है कि सरकारी नौकरी नहीं मिलने से बहुत परेशानी हो रही है.
''मैं अबूझमाड़िया हूं. भर्तियां निकलती है. फार्म भरते हैं लेकिन हमारा नंबर नहीं आता.'' -हितेश कुमार पोटाई, अबूझमाड़िया युवक
अबूझमाड़िया जनजाति के युवाओं की चेतावनी: दरअसल छत्तीसगढ़ शासन के आदेश के मुताबिक नारायणपुर जिले में निवासरत विशेष पिछड़ी जनजाति का सर्वे कराकर तृतीय, चतुर्थ श्रेणी के पद पर भर्ती किया जाने का प्रावधान है. इसके तहत नक्सल प्रभावित क्षेत्रों के अबूझमाड़िया युवाओं को सरकारी नौकरी दी जानी है, जिसका फायदा नहीं मिल रहा है. अबूझमाड़िया जनजाति के युवाओं ने सरकारी नौकरी नहीं मिलने पर आंदोलन की चेतावनी भी दी है.
''नारायणपुर जिले में भर्तियां नहीं निकलने से युवा परेशान हैं. मुख्यमंत्री के नाम कलेक्टर अजीत वसंत को ज्ञापन दिया गया है. मांगें पूरी नहीं होने पर उग्र प्रदर्शन करेंगे.'' - रामकुमार, अबूझमाड़िया युवक
भूमि के रक्षक हैं अबूझमाड़िया: अबूझमाड़िया जनजाति के लोग आज भी प्राकृतिक परिवेश यानी जंगल और पहाड़ों में रहते हैं. अबूझमाड़िया जनजाति गोंड जनजाति की ही उप जनजाति हैं. अबूझमाड़िया जनजाति ने पुरातन परंपरा को सहेज कर रखा है. अबूझमाड़िया को भूमि का रक्षक भी कहा जाता है. अबूझमाड़िया स्थानांतरित कृषि करते हैं. वह बूढ़ादेव, बूढ़ीमाई, ठाकुरदेव और लिंगोपेन की आराधना करते हैं.