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Narayanpur latest news : आमदई माइंस ने बढ़ाई लोगों की परेशानी, छोटेडोंगर सड़क भारी वाहनों से बदहाल

आमदई माइंस के कारण नारायणपुर के छोटेडोंगर क्षेत्रवासियों का जीना इन दिनों मुहाल हो चुका है. माइंस में भारी वाहनों की आवाजाही लगी रहती है. जिसके कारण ग्रामीणों सड़कों का हाल बेहाल है. डामर की सड़कें उखड़ चुकी है. धूल और गंदगी से ग्रामीणों समेत बच्चों के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ने लगा है.

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निको प्रबंधन के कारण सड़क बदहाल
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Published : Feb 6, 2023, 12:34 PM IST

नारायणपुर : छोटेडोंगर मार्ग में आमदई माइंस के भारी वाहनों का खामियाजा क्षेत्रवासियों को भुगतना पड़ रहा. माइंस के भारी वाहन जिस सड़क पर चलते हैं उसका बुरा हाल है. इस सड़क का इस्तेमाल आम जनता से लेकर अधिकारी तक करते हैं. लेकिन सड़क को देखकर जरा भी नहीं लगता कि ये जिला मुख्यालय की सड़क है. इस सड़क का हाल ऐसा है कि जो भी दोपहिया वाहन सवार इस पर चलता है वो कभी भी दुर्घटना का शिकार हो सकता है. जो भी व्यक्ति इस सड़क पर चलता है या अपनी दोपहिया वाहन से जाता है, वो पूरी तरह से मिट्टी में सराबोर हो जाता है.

दुकानदार परेशान, प्रबंधन भी मौन : आमदई माइंस रोड के आसपास मौजूद दुकानों का भी बुरा हाल है, क्योंकि धूल के कारण खाने पीने की वस्तुएं खराब हो जाती हैं. प्रबंधन इस रोड में पानी का छिड़काव तो करता है, लेकिन पानी सूखने के बाद फिर से धूल का बड़ा गुबार उड़ने लगता है. जिससे लोगों का स्वास्थ्य भी खराब हो रहा है. पहले यह सड़क डामरीकृत थी. लेकिन जब आमदई में लौह अयस्क खनन का कार्य शुरू हुआ, तो सैकड़ों वाहनों का आना जाना होने लगा है. इससे सड़क से डामर पूरी तरह से गायब हो गया. और तो और सड़क में गड्ढे बन गए हैं.

मुरुम और गिट्टी से परेशानी :इन गड्ढों को पाटने के लिए निको प्रबंधन ने मुरुम और गिट्टी का सहारा लिया. लेकिन ये गिट्टी और मुरुम अब जानलेवा बनती जा रही है. नारायणपुर-छोटेडोंगर मार्ग में सड़क हादसे से कई लोगों की जान भी जा चुकी है. लेकिन जिम्मेदार मौन हैं. सड़क की बदहाल स्थिति को लेकर ग्रामीणों ने कई बार आंदोलन किया. उच्च अधिकारियों ने हर बार आश्वासन दिया है. इससे ग्रामीण अपने आप को ठगा महसूस कर रहे हैं.

ये भी पढ़ें- नारायणपुर में अंजरेल माइंस का ग्रामीणों ने किया विरोध

स्कूली बच्चों के स्वास्थ्य पर बुरा असर : ग्रामीणों का कहना है कि ''सुबह हमारे बच्चे नहा धोकर साफ सुथरी स्कूल ड्रेस पहनकर स्कूल जाते हैं. लेकिन सड़क में धूल उड़ने से बच्चों का ड्रेस लाल होकर गंदा हो जाता है. साथ ही धूल के कण बच्चों के शरीर में प्रवेश कर रहा है. इससे हमारे बच्चों के स्वास्थ्य में बुरा असर पड़ सकता है. सड़क से ग्रामीण त्रस्त हो चुके हैं. पहले दो पहिए से मुख्यालय पहुंचने के लिए एक घंटे का समय लगता था. लेकिन अब मुख्यालय पहुंचने के लिए दो घंटे लगते हैं, इससे ग्रामीणों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.''

नारायणपुर : छोटेडोंगर मार्ग में आमदई माइंस के भारी वाहनों का खामियाजा क्षेत्रवासियों को भुगतना पड़ रहा. माइंस के भारी वाहन जिस सड़क पर चलते हैं उसका बुरा हाल है. इस सड़क का इस्तेमाल आम जनता से लेकर अधिकारी तक करते हैं. लेकिन सड़क को देखकर जरा भी नहीं लगता कि ये जिला मुख्यालय की सड़क है. इस सड़क का हाल ऐसा है कि जो भी दोपहिया वाहन सवार इस पर चलता है वो कभी भी दुर्घटना का शिकार हो सकता है. जो भी व्यक्ति इस सड़क पर चलता है या अपनी दोपहिया वाहन से जाता है, वो पूरी तरह से मिट्टी में सराबोर हो जाता है.

दुकानदार परेशान, प्रबंधन भी मौन : आमदई माइंस रोड के आसपास मौजूद दुकानों का भी बुरा हाल है, क्योंकि धूल के कारण खाने पीने की वस्तुएं खराब हो जाती हैं. प्रबंधन इस रोड में पानी का छिड़काव तो करता है, लेकिन पानी सूखने के बाद फिर से धूल का बड़ा गुबार उड़ने लगता है. जिससे लोगों का स्वास्थ्य भी खराब हो रहा है. पहले यह सड़क डामरीकृत थी. लेकिन जब आमदई में लौह अयस्क खनन का कार्य शुरू हुआ, तो सैकड़ों वाहनों का आना जाना होने लगा है. इससे सड़क से डामर पूरी तरह से गायब हो गया. और तो और सड़क में गड्ढे बन गए हैं.

मुरुम और गिट्टी से परेशानी :इन गड्ढों को पाटने के लिए निको प्रबंधन ने मुरुम और गिट्टी का सहारा लिया. लेकिन ये गिट्टी और मुरुम अब जानलेवा बनती जा रही है. नारायणपुर-छोटेडोंगर मार्ग में सड़क हादसे से कई लोगों की जान भी जा चुकी है. लेकिन जिम्मेदार मौन हैं. सड़क की बदहाल स्थिति को लेकर ग्रामीणों ने कई बार आंदोलन किया. उच्च अधिकारियों ने हर बार आश्वासन दिया है. इससे ग्रामीण अपने आप को ठगा महसूस कर रहे हैं.

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स्कूली बच्चों के स्वास्थ्य पर बुरा असर : ग्रामीणों का कहना है कि ''सुबह हमारे बच्चे नहा धोकर साफ सुथरी स्कूल ड्रेस पहनकर स्कूल जाते हैं. लेकिन सड़क में धूल उड़ने से बच्चों का ड्रेस लाल होकर गंदा हो जाता है. साथ ही धूल के कण बच्चों के शरीर में प्रवेश कर रहा है. इससे हमारे बच्चों के स्वास्थ्य में बुरा असर पड़ सकता है. सड़क से ग्रामीण त्रस्त हो चुके हैं. पहले दो पहिए से मुख्यालय पहुंचने के लिए एक घंटे का समय लगता था. लेकिन अब मुख्यालय पहुंचने के लिए दो घंटे लगते हैं, इससे ग्रामीणों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.''

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