नारायणपुर: कृषि विज्ञान केंद्र नारायणपुर में पुर्नगठित राष्ट्रीय बांस मिशन के तहत किसानों को खेती का प्रशिक्षण दिया गया. प्रशिक्षण में मुख्य अतिथि के रूप में डॉ. रत्ना नशीने अधिष्ठाता कृषि महाविद्यालय एवं अनुसंधान केन्द्र, नारायणपुर एवं मुख्य प्रशिक्षक के रूप में डॉ आर के प्रजापति, प्राध्यापक वानिकी इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर उपस्थित रहे. कृषि विज्ञान केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ दिब्येंदु दास द्वारा अतिथियों का स्वागत किया गया.
वैज्ञानिकों द्वारा किसानों को दिया गया प्रशिक्षण: वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ दिब्येंदु दास ने अपने भाषण में पूरे प्रशिक्षण के संबंध विस्तृत जानकारी दी. साथ ही बांस की उपयोगिता पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने बांस की खेती करने हेतु किसानों से आग्रह किया. डॉ आर के प्रजापति द्वारा उपस्थित ग्रामीणों को बांस की महत्ता, प्रजाति, रोपण की विधि, भंडारण, उपलब्धता एवं लाभ के बारे में विस्तार पूर्वक जानकारी दी गई.
बांस की हस्तकला की जानकारी भी साझा की: डॉ आर के प्रजापति द्वारा उपस्थित ग्रामीणों को बांस की विभिन्न हस्तकला से निर्मित कुर्सी, टेबल, खाट, दरवाजा व अन्य उपयोगी वस्तुओं के संबंध में विस्तार से बताया गया.डॉ. रत्ना नशीने ने बांस जिविका उपार्जन के महत्व पर विस्तार पूर्वक जानकारी दी.
यह भी पढ़ें: Generic Medicine Vs Branded Medicine : जेनेरिक मेडिसिन कितनी सुरक्षित, क्यों फैली हैं भ्रांतियां, जानें
किसानों को दिया जायेंगे उन्नत बांस प्रजाति के पौधे: नारायणपुर के 15 गांव से 172 कृषक और वन विभाग के कर्मचारी प्रशिक्षण में शामिल हुए. इस दौरान 95 किसानों ने प्रशिक्षण से प्रेरित होकर बांस की खेती करने की इच्छा जाहिर की. इच्छुक कृषकों को इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय द्वारा उन्नत बांस प्रजाति के पौधे कृषि विज्ञान केन्द्र नारायणपुर के माध्यम से प्रदाय किया जाएगा.
अबूझमाड़ के जंगलों में है लघु वनोपज का भंडार: नारायणपुर जिला अबूझमाड़ के घने जंगलों और पहाड़ों से घिरा हुआ है. यह ऐसा इलाका है, जहां तक पहुंचना आसान नहीं है. जंगलों में लघु वनोपज, औषधि, फूल झाडू इत्यादि भरपूर मात्रा में उपलब्ध है. किसान खाली भूमि पर अब बांस की खेती कर अधिक लाभ कमा सकेंगे.
बांस से निर्मित वस्तुओं की बाजार में है डिमांड: बांस की खपच्चियों से तरह तरह की चटाइयां, कुर्सी, टेबल, चारपाई और अन्य वस्तुएं बनाने के काम में लाया जाता है. मछली पकड़ने का कांटा, शादी ब्याह के सजावटी समान, डालियां आदि बांस से ही बनाए जाते हैं. मकान बनाने तथा पुल बांधने के लिए यह अत्यंत उपयोगी है. इससे तरह तरह की दर्जनों वस्तुएं बनाई जाती हैं. जैसे चम्मच, चाकू, चावल पकाने का बरतन इत्यादि. जिसकी मांग स्थानीय लोगों के साथ ही शहरों में भी है.