मुंगेली: कहते हैं कि प्रतिभा किसी परिचय की मोहताज नहीं होती. मुंगेली के एक बहुत ही साधारण परिवार में जन्मे स्वप्निल सोनी ने यह बात साबित करके दिखाया है. मुंगेली के स्वप्निल सोनी ने ऐसा काम किया है, जिससे न सिर्फ मुंगेलीवासियों का बल्कि पूरे छत्तीसगढ़ प्रदेश का सिर गर्व से ऊंचा हो गया है.
स्वप्निल सोनी ने भारत सरकार के 20 रुपए के सिक्के को डिजाइन किया है. स्वप्निल अहमदाबाद के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ डिजाइन से ग्रेजुएट हैं. उनके डिजाइन किया हुआ 20 रुपए का सिक्का रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने सेलेक्ट किया. क्वॉइन टकसाल से ढलकर बाजार में चलने के लिए उतारा जा चुका है.
आईआईटी के बाद एनआईडी से ली शिक्षा
स्वप्निल ने काफी अभावों के बीच मुंगेली में कक्षा 1 से 10वीं तक शिशु मंदिर में पढ़ाई की. इसके बाद बिलासपुर के ग्लोबल पब्लिक स्कूल से हायर सेकंडरी की पढ़ाई पूरी की. इसके बाद उन्होंने केरल से आईआईटी कर अहमदाबाद एनआईडी से अभी ढाई वर्ष की डिजाइनिंग का कोर्स कर अपने कुछ मित्रों के साथ मिलकर स्वयं का बिजनेस डिजाइनिंग स्टूडियो की शुरूआत की है.
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क्यों खास है 20 रुपए का नया सिक्का
20 रुपए के नए सिक्के में देश के कृषि प्रधान होने की पहचान गेहूं के बाली के निशान से झलक रही है. साथ ही सिक्के में 12 कोने के अलावा ऐसा डिजाइन किया गया है जिससे दृष्टिबाधित भी आसानी से पहचान सकेंगे. साथ ही सिक्के के वजन पर भी विशेष ध्यान दिया गया है. सिक्के के निर्माण में निकल और कॉपर धातु का प्रयोग किया गया है. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के हाथों 20 रुपए के सिक्के के लोकार्पण के बाद स्वप्निल को एक लाख रुपए का नगद पुरस्कार भारत सरकार की ओर दिया गया है. इससे परिवार समेत पूरा मुंगेली गौरवांवित हो रहा है.
वेंटिलेटर का भी किया निर्माण
स्वप्निल सोनी ने 20 रुपए के सिक्के के अलावा स्वास्थ्य के क्षेत्र में गंभीर बीमारी से जूझ रहे मरीजों के लिए जटिल लगने वाले वेंटिलेटर का भी निर्माण किया है. इसके अलावा पर्यावरण के क्षेत्र में गाय के गोबर से बर्ड हाऊस के डिजाइन पर भी स्वप्निल ने काम किया है.
स्वप्निल के बड़े भाई भी हैं इंजीनियर
अपने छोटे बेटे स्वप्निल की ओर से 20 रुपए का सिक्का डिजाइन किए जाने से उनके पिता वीरेंद्र सोनी काफी खुश हैं. आबकारी विभाग में ड्राइवर रहे स्वप्निल सोनी के पिता वीरेंद्र सोनी बताते हैं कि उनके बेटी की पढ़ाई में उनके विभाग के अधिकारियों के अलावा, रिश्तेदारों का विशेष सहयोग रहा है. वीरेंद्र सोनी के बड़े बेटे भी इंजीनियर है. वे भी अभी खैरागढ़ संगीत विश्वविद्यालय के लिए एप का निर्माण किया है. जिससे संगीत की शिक्षा लेने में विद्यार्थियों को आसानी हो. वर्तमान में वीरेन्द्र सोनी रिटायरमेंट के बाद काली माई वार्ड में एक किराए के मकान में निवास करते हैं. स्वप्निल की मेहनत का परिणाम है कि आज पूरा प्रदेश उनपर गौरवान्वित महसूस कर रहा है.