मुंगेली: जिले के अचानकमार टाइगर रिजर्व (achanakmar tiger reserve) में बीते दिनों घायल अवस्था में मिली बाघिन (injured tigress) की सेहत में अब धीरे-धीरे सुधार हो रहा है. घायल बाघिन का इलाज बिलासपुर स्थित कानन पेंडारी-जू (Kanan Pendari Zoological Garden, Bilaspur) में चल रहा है. जहां पर विशेषज्ञों की निगरानी में घायल बाघिन को रखा गया है. टाइगर रिजर्व प्रबंधन अब बाघिन को कॉलर आईडी लगाने पर विचार कर रहा है. यदि ऐसा होता है तो किसी बाघिन को प्रदेश में कॉलर आईडी लगाने का ये पहला मामला होगा.
बाघिन पर कॉलर आईडी लगाने का विचार
अचानकमार टाइगर रिजर्व के डिप्टी डायरेक्टर सत्यदेव शर्मा ने बताया कि यदि बाघिन जल्द ही पूरी तरह से ठीक हो जाती है तो उसे एक बार फिर से जंगल में छोड़ दिया जाएगा. छोड़ने से पहले कॉलर आईडी लगाने पर विचार किया जा रहा है. हालांकि पकड़ी गई बाघिन को कॉलर आईडी लगाना है या नहीं इस बारे में अंतिम फैसला वाइल्ड लाइफ के आला अधिकारी लेंगे. उन्होंने बताया कि जिस परिस्थिति से एटीआर के जंगलों में घायल बाघिन मिली है. उससे ये कयास लगाए जा रहे हैं कि बाघिन के मूवमेंट पर नजर रखने के लिए उस पर कॉलर आईडी प्लांट किया जा सकता है.
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घायल अवस्था मे मिली थी बाघिन
गौरतलब है कि बीते दिनों 8 जून को लोरमी एरिया में गंभीर रुप से घायल बाघिन छपरवा इलाके में मिली थी. बाघिन की पीठ और पैर में चोट लगी थी. चोट के निशान शिकार की संभावनाओं की और इशारा कर रहे थे. हालांकि एटीआर प्रबंधन अपने बचाव में शिकार जैसी बात से साफ तौर पर इनकार किया था. फिलहाल बाघिन का इलाज जारी है.
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कॉलर आईडी को लेकर जानिए एक्सपर्ट की राय
वर्ल्ड वाइल्ड लाइफ फंड फॉर नेचर (WWF India) के सीनियर प्रोजेक्ट ऑफिसर उपेंद्र दुबे ने बताया कि किसी भी बाघ को कॉलर आईडी लगाने का एक नियम है. इसमे फील्ड डायरेक्टर प्रपोजल बनाकर चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन (CWLW) को भेजेंगे. CWLW वह प्रस्ताव नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी (NTCA) नागपुर के रीजनल हेड को भेजेंगे. उसके बाद भारत सरकार की एक्सपर्ट टीम विजिट करके ये फैसला लेगी की बाघिन को कालर आईडी लगाना है या नहीं. ये बाघिन के स्वास्थ पर भी निर्भर करेगा.