मुंगेली : जिले में धान का उठाव नहीं होने के कारण करोड़ों का धान खराब होने की कगार पर आ पहुंचा है. दरअसल, बीते कई दिनों से लगातार बारिश हो रही है. वहीं धान खुले में रखे होने के कारण भीग रहा है. बावजूद इसके जिम्मेदार अफसर मुस्तैदी दिखाने के बजाए हाथ पर हाथ धरे बैठे हैं.
एक तरफ मानसून ने पूरे प्रदेश में दस्तक दे दी है. दूसरी तरफ मुंगेली जिले के खरीदी केंद्रों में 4 महीने बीत जाने के बावजूद धान का उठाव नहीं हो सका है. लिहाजा बारिश और रख-रखाव के अभाव के कारण करोड़ों रुपये के धान खराब होने की कगार पर आ पहुंचे हैं.
एक नजर आकड़ों पर
- जिले में इस साल 1 दिसंबर से 20 फरवरी तक 89 धान खरीदी केंद्रों में धान की खरीदी की गई.
- 93 हजार 337 पंजीकृत किसानों में से 70 हजार 73 किसानों से, 31 लाख 95 हजार 747 क्विंटल धान की खरीदी की गई.
- इन सभी धान खरीदी केंद्रों से 72 घंटों के अंदर प्रतिदिन खरीदे गए धान को उठाने का अनुबंध मार्कफेड से खरीदी केंद्र प्रभारियों के की ओर से किया गया.
- इस साल धान खरीदी बंद होने के चार महीने बाद भी इन धान खरीदी केंद्रों में लगभग 68 हजार क्विंटल धान खुले आसमान के नीचे रखा हुआ है.
- लगातार हो रही बरसात में करोड़ों का धान बर्बाद हो रहा है.
कोरोना का बना रहे बहाना
अधिकारी और कर्मचारी कोरोना के कारण लॉकडाउन का बहाना बना रहे हैं, जबकि लॉकडाउन में भी धान के उठाव को फ्री रखा गया था. इसके बावजूद धान का उठाव नहीं किया गया. इससे प्रदेश सरकार को अकेले मुंगेली जिला में लगभग 20 करोड़ का नुकसान होने का अनुमान लगाया जा रहा है.