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मुंगेली: अचानकमार टाइगर रिजर्व में सैटेलाइट के जरिए पानी की निगरानी - मुंगेली

अचानकमार टाइगर रिजर्व प्रबंधन ने जंगल में पानी की कमी से निपटने के लिए नई पहल की है. पूरे जंगल क्षेत्र में सैटेलाइट की मदद से पानी की उपलब्धता पर निगरानी रखी जा रही है. सैटेलाइट के जरिए पानी की निगरानी करने की प्रदेश में ये पहली कोशिश है, जिसके अच्छे परिणाम भी देखने को मिल रहे हैं.

monitoring of water sources in achanakmar
अचानकमार टाइगर रिजर्व
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Published : Jun 4, 2020, 6:01 PM IST

Updated : Jun 4, 2020, 8:54 PM IST

मुंगेली: जिले के अचानकमार टाइगर रिजर्व में जंगली जानवरों को पीने के पानी की कमी न हो, इसके लिए टेक्नोलॉजी के जरिए मॉनिटरिंग की जा रही है. गर्मी आते ही जंगलों में पानी की कमी हो जाती है. इस वजह से अक्सर जंगली जानवार पानी गांवों और शहरों का रुख करते हैं. ऐसे में देखा जाता है कि कई जानवर हादसे का शिकार हो जाते हैं. इस परेशानी से निपटने के लिए अचानकमार टाइगर रिजर्व प्रबंधन ने नई पहल की है. जिसके तहत गर्मियों में सैटेलाइट के जरिए जंगल में पानी के सोर्स की निगरानी की जा रही है.

सैटेलाइट के जरिए पानी की निगरानी

सैटेलाइट में तस्वीरों के जरिए प्रबंधन को ये जानकारी मिल जाती है कि जंगल के किस कंपार्टमेंट में पानी की उपलब्धता है और कहां कमी है. जिन क्षेत्रों में पानी की कमी होती है, वहां टैंकर की मदद से पानी पहुंचाया जाता है. सैटेलाइट के जरिए पानी की निगरानी करने का प्रदेश में ये पहला मामला है, जिसके अच्छे परिणाम भी देखने को मिल रहे हैं.

monitoring of water sources in achanakmar
अचानकमार टाइगर रिजर्व में मोर

वन विभाग करेगा पानी की व्यवस्था

ATR की डिप्टी डायरेक्टर विजया कुर्रे के मुताबिक इस साल लगातार हुई बारिश की वजह से जंगलों में पानी की पर्याप्त उपलब्धता है. वहीं कहीं भी पानी की कमी होने की जानकारी मिलती है, तो वन विभाग वहां पानी की व्यवस्था करेगा.

monitoring of water sources in achanakmar
अचानकमार के जंगलों में हिरण

पढ़ें- कानन पेंडारी जू में लाए गए मादा चीतल की मौत, प्रशासन पर उठे सवाल
मैकल पर्वत श्रेणी में स्थित लोरमी का अचानकमार टाइगर रिजर्व प्रदेश के सबसे बड़े टाइगर रिजर्व में शुमार है. 914 वर्ग किमी में फैले इस टाइगर रिजर्व का कोर एरिया 649 वर्गकिमी, जबकि बफर एरिया 265 वर्ग किमी तक फैला हुआ है. ये टाइगर रिजर्व अपने अंदर कई जैव विविधता समेटे हुए है. यहां पर बाघ, हाथी, तेंदुआ, भालू, हीरण, बारहसिंघा, गौर, वनभैंसा, मोर और चीतल जैसे 50 से ज्यादा स्तनधारी जीव और अलग-अलग प्रकार के 200 से ज्यादा पक्षियों की प्रजाति पाई जाती है.

मुंगेली: जिले के अचानकमार टाइगर रिजर्व में जंगली जानवरों को पीने के पानी की कमी न हो, इसके लिए टेक्नोलॉजी के जरिए मॉनिटरिंग की जा रही है. गर्मी आते ही जंगलों में पानी की कमी हो जाती है. इस वजह से अक्सर जंगली जानवार पानी गांवों और शहरों का रुख करते हैं. ऐसे में देखा जाता है कि कई जानवर हादसे का शिकार हो जाते हैं. इस परेशानी से निपटने के लिए अचानकमार टाइगर रिजर्व प्रबंधन ने नई पहल की है. जिसके तहत गर्मियों में सैटेलाइट के जरिए जंगल में पानी के सोर्स की निगरानी की जा रही है.

सैटेलाइट के जरिए पानी की निगरानी

सैटेलाइट में तस्वीरों के जरिए प्रबंधन को ये जानकारी मिल जाती है कि जंगल के किस कंपार्टमेंट में पानी की उपलब्धता है और कहां कमी है. जिन क्षेत्रों में पानी की कमी होती है, वहां टैंकर की मदद से पानी पहुंचाया जाता है. सैटेलाइट के जरिए पानी की निगरानी करने का प्रदेश में ये पहला मामला है, जिसके अच्छे परिणाम भी देखने को मिल रहे हैं.

monitoring of water sources in achanakmar
अचानकमार टाइगर रिजर्व में मोर

वन विभाग करेगा पानी की व्यवस्था

ATR की डिप्टी डायरेक्टर विजया कुर्रे के मुताबिक इस साल लगातार हुई बारिश की वजह से जंगलों में पानी की पर्याप्त उपलब्धता है. वहीं कहीं भी पानी की कमी होने की जानकारी मिलती है, तो वन विभाग वहां पानी की व्यवस्था करेगा.

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अचानकमार के जंगलों में हिरण

पढ़ें- कानन पेंडारी जू में लाए गए मादा चीतल की मौत, प्रशासन पर उठे सवाल
मैकल पर्वत श्रेणी में स्थित लोरमी का अचानकमार टाइगर रिजर्व प्रदेश के सबसे बड़े टाइगर रिजर्व में शुमार है. 914 वर्ग किमी में फैले इस टाइगर रिजर्व का कोर एरिया 649 वर्गकिमी, जबकि बफर एरिया 265 वर्ग किमी तक फैला हुआ है. ये टाइगर रिजर्व अपने अंदर कई जैव विविधता समेटे हुए है. यहां पर बाघ, हाथी, तेंदुआ, भालू, हीरण, बारहसिंघा, गौर, वनभैंसा, मोर और चीतल जैसे 50 से ज्यादा स्तनधारी जीव और अलग-अलग प्रकार के 200 से ज्यादा पक्षियों की प्रजाति पाई जाती है.

Last Updated : Jun 4, 2020, 8:54 PM IST
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