मुंगेली: नर्मदा जयंती के मौके पर छत्तीसगढ़ के लोरमी में स्थित प्रसिद्ध नर्मदा मंदिर में आरती का महाआयोजन किया गया. श्रद्धालुओं ने मां नर्मदा के दर्शन कर आशीर्वाद लिया. लोरमी के प्रसिद्द शिवघाट स्थित नर्मदा माता के मंदिर पर महाआरती में बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए. नर्मदा जयंती पर सुबह से ही भक्त मां नर्मदा के दर्शन के लिए पहुंच रहे थे. माता नर्मदा के भक्त नर्मदा कुंड में डुबकी लगाकर मनोकामना पूरी करने के लिए मन्नत मांग रहे थे.
ऐसी है मान्यता
मान्यता है कि आज के दिन जो इस कुंड में डुबकी लगाता है, मां नर्मदा उसकी सभी मुराद पूरी करती है. इस आयोजन को गौरकापा आश्रम के श्री महन्त विवेकगिरी जी महराज की उपस्थिति में हर साल किया जाता है. जिसमें शामिल होने के लिए दूरदराज से बड़ी संख्या में लोग यहां पहुंचते हैं.
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तप से प्रसन्न होकर प्रकट हुई थी मां नर्मदा
वरिष्ठ पत्रकार सौरभ दुबे बताते है कि लगभग 110 साल पहले यहां विख्यात संत झिथरा बाबा के कठोर तप से प्रसन्न होकर मां नर्मदा यहां प्रकट हुई थी. जिसके बाद से ही अमरकंटक के पहाड़ियों से विलुप्त प्रवाह के रूप में प्रवाहित मां नर्मदा लोरमी के इस पावन स्थल में मंदिर के सामने कुंड से अविरल धार के रूप में प्रवाहित हो रही हैं. मां नर्मदा की ये धारा कुंड के नीचे स्थित लोरमी की जीवनदायिनी मनियारी नदी में मिलकर उसे भी पवित्र कर रही है.
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मनियारी में समाहित होती नर्मदा
जिले की सबसे बड़ी नदी में शामिल लोरमी के वनांचल से निकलने वाली मनियारी नदी को जीवनदायिनी नदी के रूप में जाना जाता है. लोरमी के शिव घाट में नर्मदा मंदिर के पास बने कुंड में नर्मदा का जल अविरल प्रवाहित होते रहता है. कुंड से निकला यह जल मनियारी नदी में यहीं पर मिल जाता है. ऐसे में लोगों की ऐसी मान्यता है कि नर्मदा का जल मनियारी में मिलने से मनियारी नदी भी मां नर्मदा की तरह ही पवित्र हो जाती है. इसलिए इलाके के लोग मनियारी नदी को भी बेहद पवित्र और ममतामयी नदी की मान्यता देते हैं.