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12 साल बाद भी अचानकमार टाइगर रिजर्व का कोर एरिया नहीं हुआ सुरक्षित

अचानकमार टाइगर रिजर्व का कोर एरिया पूरी तरह से सुरक्षित नहीं है. कोर एरिया का 5 जगहों से इलाका पूरी तरह से खुला हुआ है. कोर एरिया का इस तरह खुले रहना वन विभाग की व्यवस्था पर सवाल खड़ा करता है.

core area of ​​achanakmar tiger reserve is not safe for wildlife
अचानकमार टाइगर रिजर्व
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Published : Mar 14, 2021, 5:19 PM IST

मुंगेली: लोरमी के अचानकमार टाइगर रिजर्व में एक बड़ी गंभीर लापरवाही सामने आई है. लापरवाही भी कुछ ऐसी जो ATR के जंगली जानवरों की सुरक्षा पर एक बड़ा सवाल खड़ा कर रही है. लोरमी के मैकल पर्वत श्रृंखला में बसा अचानकमार टाइगर रिजर्व जैव विविधता और जंगली जानवरों के नाम से मशहूर है. यहां तरह-तरह के वन्य जीव और वनस्पत्तियां पाई जाती है. लेकिन इस टाइगर रिजर्व का विवादों से भी गहरा नाता रहा है.

अचानकमार टाइगर रिजर्व

करीब 553.286 वर्ग किलोमीटर में फैले इस टाइगर रिजर्व का गठन साल 2009 में किया गया था. किसी भी टाइगर रिजर्व के गठन के बाद उसे दो जोन में बांटा जाता है. बीच का एरिया कोर जोन जबकि बाहरी इलाका बफर जोन कहलाता है. कोर जोन वो एरिया होता है जो जानवरों के लिए पूरी तरह से सुरक्षित होता है. लेकिन लोरमी के अचानकमार टाइगर रिजर्व का कोर एरिया पूरी तरह से सुरक्षित नहीं है. कोर एरिया का 5 जगहों से इलाका पूरी तरह से खुला हुआ है. सीधे शब्दों में कहें तो कोर 5 स्थानों से पूरी तरह ओपन है. इसके बाहर बफर जोन का निर्माण ही नहीं किया गया है.

वन मंडल कोरबा के जंगलों में भीषण आग, ग्राउंड जीरो पर पहुंचा ETV भारत

कोर का ये एरिया असुरक्षित

जो एरिया खुले हुए हैं उनमें दो जगहों से मरवाही वनमंडल से बिलासपुर वनमंडल, जबकि दो जगह पर मुंगेली वनमंडल का फॉरेस्ट एरिया आता है. ATR का छपरवा रेंज दो जगहों से जबकि लमनी, सुरही और कटामी एक-एक जगह से कोर का एरिया ओपन है. ऐसे में इन इलाकों में बफर जोन नहीं बनने से तस्करों की सीधे आवाजाही बनी हुई है. साथ ही साथ वन्यजीवों की सुरक्षा को लेकर खतरा भी बना रहता है.

जिम्मेदार कर रहे प्रस्ताव भेजने की बात

ATR के डिप्टी डायरेक्टर सत्यदेव शर्मा से जब ETV भारत ने बात की तो वो जल्द ही प्रशासन को बफर के लिए एरिया अधिग्रहित करने और प्रस्ताव भेजने की बात कह रहे हैं.

मुंगेली: लोरमी के अचानकमार टाइगर रिजर्व में एक बड़ी गंभीर लापरवाही सामने आई है. लापरवाही भी कुछ ऐसी जो ATR के जंगली जानवरों की सुरक्षा पर एक बड़ा सवाल खड़ा कर रही है. लोरमी के मैकल पर्वत श्रृंखला में बसा अचानकमार टाइगर रिजर्व जैव विविधता और जंगली जानवरों के नाम से मशहूर है. यहां तरह-तरह के वन्य जीव और वनस्पत्तियां पाई जाती है. लेकिन इस टाइगर रिजर्व का विवादों से भी गहरा नाता रहा है.

अचानकमार टाइगर रिजर्व

करीब 553.286 वर्ग किलोमीटर में फैले इस टाइगर रिजर्व का गठन साल 2009 में किया गया था. किसी भी टाइगर रिजर्व के गठन के बाद उसे दो जोन में बांटा जाता है. बीच का एरिया कोर जोन जबकि बाहरी इलाका बफर जोन कहलाता है. कोर जोन वो एरिया होता है जो जानवरों के लिए पूरी तरह से सुरक्षित होता है. लेकिन लोरमी के अचानकमार टाइगर रिजर्व का कोर एरिया पूरी तरह से सुरक्षित नहीं है. कोर एरिया का 5 जगहों से इलाका पूरी तरह से खुला हुआ है. सीधे शब्दों में कहें तो कोर 5 स्थानों से पूरी तरह ओपन है. इसके बाहर बफर जोन का निर्माण ही नहीं किया गया है.

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कोर का ये एरिया असुरक्षित

जो एरिया खुले हुए हैं उनमें दो जगहों से मरवाही वनमंडल से बिलासपुर वनमंडल, जबकि दो जगह पर मुंगेली वनमंडल का फॉरेस्ट एरिया आता है. ATR का छपरवा रेंज दो जगहों से जबकि लमनी, सुरही और कटामी एक-एक जगह से कोर का एरिया ओपन है. ऐसे में इन इलाकों में बफर जोन नहीं बनने से तस्करों की सीधे आवाजाही बनी हुई है. साथ ही साथ वन्यजीवों की सुरक्षा को लेकर खतरा भी बना रहता है.

जिम्मेदार कर रहे प्रस्ताव भेजने की बात

ATR के डिप्टी डायरेक्टर सत्यदेव शर्मा से जब ETV भारत ने बात की तो वो जल्द ही प्रशासन को बफर के लिए एरिया अधिग्रहित करने और प्रस्ताव भेजने की बात कह रहे हैं.

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