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14वीं शताब्दी की मूर्तियों के साथ छेड़खानी, हाईकोर्ट के निर्देशों का उल्लंघन,SECL के खिलाफ पुलिस ने दर्ज की FIR - SECL के खिलाफ पुलिस ने दर्ज की FIR

SECL tampered with 14th century statues मनेंद्रगढ़ चिरमिरी भरतपुर जिले के चिरमिरी कोलफिल्ड में सदियों पुराना सती मंदिर है.जिसके विस्थापन को लेकर हाईकोर्ट ने दिशा निर्देश जारी किए थे.लेकिन एसईसीएल कर्मियों ने हाईकोर्ट के निर्देशों का पालन किए बिना ही मंदिर से अति प्राचीन मूर्तियां विस्थापित कर दी.जिसके खिलाफ रहवासियों ने मोर्चा खोला है.वहीं जिला प्रशासन ने एसईसीएल के खिलाफ पुलिस में एफआईआर दर्ज कराई है.

SECL tampered with 14th century statues
14वीं शताब्दी की मूर्तियों के साथ SECL ने की छेड़छाड़
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Nov 27, 2023, 9:04 PM IST


मनेन्द्रगढ़ चिरमिरी भरतपुर : चिरमिरी में पुरातात्विक रहस्यों को समेटे बरतुंगा सती मंदिर में 14वीं शताब्दी की मूर्तियों के साथ छेड़छाड़ की गई है. जिसे लेकर स्थानीय लोगों में गुस्सा है.लोग यहां धरने पर बैठकर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. लोगों का कहना है कि जिसने भी मूर्तियों के साथ तोड़फोड़ कर विस्थापन का प्रयास किया है,उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए.

एसईसीएल पर है आरोप : आपको बता दें कि बिलासपुर हाईकोर्ट ने एक आदेश जारी किया है. जिसमें 2 महीने के अंदर जिला प्रशासन उपस्थिति में मंदिर के स्मारकों को जिला संग्रहालय में स्थापित किया जाना है. लेकिन चिरमिरी ओपनकास्ट की सीमा से लगे सती मंदिर के विस्थापन प्रक्रिया के तहत एसईसीएल प्रबंधन सावधानी नहीं बरती. कुछ अवशेषों को प्रशासनिक अधिकारियों की गैर मौजूदगी में हटाने की प्रक्रिया शुरू कर दी.जिसके बाद स्थानीय लोगों ने विरोध करना शुरु किया.

SECL tampered with 14th century statues
स्थानीय लोगों का प्रशासन के खिलाफ गुस्सा


एसईसीएल अफसर के खिलाफ शिकायत दर्ज : इस मामले में हाई कोर्ट के आदेश का उल्लंघन करने पर चिरमिरी एसडीएम बीएस मरकाम ने शिकायत की है.जिसके बाद चिरमिरी पुलिस ने एसईसीएल के सब एरिया मैनेजर और एक अन्य के खिलाफ धार्मिक भावनाओं को भड़काने का केस दर्ज किया है. इधर लोगों में एसईसीएल के प्रति आक्रोश का माहौल बना हुआ है. आपको बता दें कि सती मंदिर में 14वीं शताब्दी की प्राचीन मूर्तियां स्थापित हैं. जिन्हें एसईसीएल ने मंदिर से हटाकर आजाद नगर के भवन में रखवाया है.

वही मामले में एसडीएम चिरमिरी ने बताया कि माननीय हाई कोर्ट ने एक आदेश दिया है. 2 महीने के अंदर मंदिर के अवशेषों को स्थापित किया जाना है.जिसके लिए एक बैठक भी रखी गई थी. जिसमें एसईसीएल के अधिकारी मौजूद थे.इसके बाद 11 नवंबर तय किया गया था. लेकिन जिला प्रशासन की मौजूदगी के बिना एसईसीएल के अधिकारी कर्मचारियों ने मूर्तियां हटाई हैं.

''मेरी गैर मौजूदगी में एसईसीएल के अधिकारियों ने वहां के अवशेषों को हटाया और लेकर चले गए.इसको लेकर लोग में आक्रोश है. मेरे द्वारा चिरमिरी थाने में एफआईआर दर्ज कराई है. आगे की प्रक्रिया में वहां के स्थानीय लोगों को समझाईश दी गई है क्योंकि हाई कोर्ट के निर्देश का पालन करना है.'' बीएस मरकाम, एसडीएम

एसईसीएल अफसरों की मनमानी : वहीं चिरमिरी थाना के जांच अधिकारी चेतन राजवाड़े ने बताया कि माननीय उच्च न्यायालय छत्तीसगढ़ बिलासपुर के पारित आदेश के अनुरूप सती मंदिर का विस्थापन एसडीएम महोदय चिरमिरी के उपस्थिति में किया जाना था. लेकिन एसईसीएल के अधिकारी मनीष सिंह और राजेश्वर श्रीवास्तव ने ऐसा ना कर अपने मनमानी ढंग से विस्थापन की कार्रवाई की.एसडीएम चिरमिरी बीएस मरकाम की रिपोर्ट पर 403 धारा 255 ए भादवि के तहत मामला दर्ज कर विवेचना की जा रही है.


बरतुंगा के रहने वाले गिरीश दुबे की याचिका पर हाई कोर्ट ने 19 सितंबर को आदेश पारित किया था. इसमें हाई कोर्ट ने मंदिर के अवशेषों को जिला प्रशासन की देखरेख में सुरक्षित और संग्रहित रखने का आदेश पारित किया था. सती मंदिर का विस्थापन जिला प्रशासन की देखरेख में होना है.

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एसईसीएल पर है आरोप : आपको बता दें कि बिलासपुर हाईकोर्ट ने एक आदेश जारी किया है. जिसमें 2 महीने के अंदर जिला प्रशासन उपस्थिति में मंदिर के स्मारकों को जिला संग्रहालय में स्थापित किया जाना है. लेकिन चिरमिरी ओपनकास्ट की सीमा से लगे सती मंदिर के विस्थापन प्रक्रिया के तहत एसईसीएल प्रबंधन सावधानी नहीं बरती. कुछ अवशेषों को प्रशासनिक अधिकारियों की गैर मौजूदगी में हटाने की प्रक्रिया शुरू कर दी.जिसके बाद स्थानीय लोगों ने विरोध करना शुरु किया.

SECL tampered with 14th century statues
स्थानीय लोगों का प्रशासन के खिलाफ गुस्सा


एसईसीएल अफसर के खिलाफ शिकायत दर्ज : इस मामले में हाई कोर्ट के आदेश का उल्लंघन करने पर चिरमिरी एसडीएम बीएस मरकाम ने शिकायत की है.जिसके बाद चिरमिरी पुलिस ने एसईसीएल के सब एरिया मैनेजर और एक अन्य के खिलाफ धार्मिक भावनाओं को भड़काने का केस दर्ज किया है. इधर लोगों में एसईसीएल के प्रति आक्रोश का माहौल बना हुआ है. आपको बता दें कि सती मंदिर में 14वीं शताब्दी की प्राचीन मूर्तियां स्थापित हैं. जिन्हें एसईसीएल ने मंदिर से हटाकर आजाद नगर के भवन में रखवाया है.

वही मामले में एसडीएम चिरमिरी ने बताया कि माननीय हाई कोर्ट ने एक आदेश दिया है. 2 महीने के अंदर मंदिर के अवशेषों को स्थापित किया जाना है.जिसके लिए एक बैठक भी रखी गई थी. जिसमें एसईसीएल के अधिकारी मौजूद थे.इसके बाद 11 नवंबर तय किया गया था. लेकिन जिला प्रशासन की मौजूदगी के बिना एसईसीएल के अधिकारी कर्मचारियों ने मूर्तियां हटाई हैं.

''मेरी गैर मौजूदगी में एसईसीएल के अधिकारियों ने वहां के अवशेषों को हटाया और लेकर चले गए.इसको लेकर लोग में आक्रोश है. मेरे द्वारा चिरमिरी थाने में एफआईआर दर्ज कराई है. आगे की प्रक्रिया में वहां के स्थानीय लोगों को समझाईश दी गई है क्योंकि हाई कोर्ट के निर्देश का पालन करना है.'' बीएस मरकाम, एसडीएम

एसईसीएल अफसरों की मनमानी : वहीं चिरमिरी थाना के जांच अधिकारी चेतन राजवाड़े ने बताया कि माननीय उच्च न्यायालय छत्तीसगढ़ बिलासपुर के पारित आदेश के अनुरूप सती मंदिर का विस्थापन एसडीएम महोदय चिरमिरी के उपस्थिति में किया जाना था. लेकिन एसईसीएल के अधिकारी मनीष सिंह और राजेश्वर श्रीवास्तव ने ऐसा ना कर अपने मनमानी ढंग से विस्थापन की कार्रवाई की.एसडीएम चिरमिरी बीएस मरकाम की रिपोर्ट पर 403 धारा 255 ए भादवि के तहत मामला दर्ज कर विवेचना की जा रही है.


बरतुंगा के रहने वाले गिरीश दुबे की याचिका पर हाई कोर्ट ने 19 सितंबर को आदेश पारित किया था. इसमें हाई कोर्ट ने मंदिर के अवशेषों को जिला प्रशासन की देखरेख में सुरक्षित और संग्रहित रखने का आदेश पारित किया था. सती मंदिर का विस्थापन जिला प्रशासन की देखरेख में होना है.

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