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भरतपुर सोनहत ने फिर से दोहराया इतिहास, नहीं टूट सका मिथक का तिलिस्म

Myth of Bharatpur Sonhat Assembly छत्तीसगढ़ के भरतपुर सोनहत में गुलाब कमरो और रेणुका सिंह की जुबानी जंग पूरे चुनाव के दौरान छाई रही.अब जब चुनाव खत्म हो गए हैं.कांग्रेस हार के वजहों को तलाश रही है.वहीं ईटीवी भारत ने क्षेत्र में जाकर वहां की जनता से कांग्रेस के हारने का कारण जानने की कोशिश की.जिसमें चौंकाने वाले तथ्य सामने आए. Chhattisgarh Election Results 2023

Myth of Bharatpur Sonhat Assembly
भरतपुर सोनहत ने फिर से दोहराया इतिहास
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Dec 6, 2023, 9:20 PM IST

मनेंद्रगढ़ चिरमिरी भरतपुर : छत्तीसगढ़ में जैसे ही सत्ता का परिवर्तन हुआ. अच्छे-अच्छे नेताओं की धोती ढीली हो गई.क्योंकि चुनाव से पहले नेताओं के बयानबाजी ने चुनावी माहौल की आग में घी डालने का काम किया था.ऐसी ही एक जंग भरतपुर सोनहत में देखने को मिली.जहां गुलाब कमरो ने एक ओर बाहरी बनाम स्थानीय के नाम पर चुनाव लड़ा.वहीं दूसरी ओर रेणुका सिंह ने भरे मंच में बीजेपी कार्यकर्ताओं को हाथ लगाने वालों के हाथ उखाड़ लेने की धमकी तक दे डाली.यही नहीं कई मौकों पर बयानों की तीर एक दूसरे पर छोड़े गए. परिवार को लेकर भी छीटाकशी की गई. वहीं जब अब भरतपुर सोनहत की जनता ने अपना फैसला सुना दिया है तो दौर है मंथन का की चूक कहां हुई. कोई इसे पुराना मिथक मान रहा है.तो कोई इसे कागजों में काम गिनाने वाले विधायक का अंजाम.वहीं किसी ने विकास को देखकर अपना मत दे दिया आईए जानते हैं ऐसे ही कुछ पहलू जो भरतपुर सोनहत विधानसभा में छाए हुए हैं.

क्यों हारी कांग्रेस ? : जितने मुंह उतनी बातें जी हां ऐसा ही कुछ इस विधानसभा में चल रहा है.यदि कांग्रेस जीतती तो दावे होते विकास नरवा गुरुवा घुरुवा बाड़ी की.अब क्योंकि हार गई है तो गलियों के राजनेता टपरी में बैठकर ज्ञान फैला रहे है. ऐसे ही कई ज्ञान की बातें हमनें भी जिसमें ये कहा जा रहा है कि विधायक महोदय 13 सौ करोड़ के विकास की बात करते थे.लेकिन पूरे विधानसभा में विकास दिखता नहीं था.ज्यादातर समय मनेंद्रगढ़ में गुजरता इसलिए लोग भरतपुर का कम और मनेंद्रगढ़ का विधायक उन्हें ज्यादा कहने लगे.जिला मुख्यालय 100 किमी दूर बना जिसका लाभ ना तो सोनहत को हुआ और ना ही चिरमिरी को.

गलती बताने वालों पर भड़कते थे विधायक : जनता के बीच से चुना गया नेता जनता के लिए होता है.लेकिन पद मिलने के बाद नेताओं को शॉर्ट टाइम मेमोरी लॉस की बीमारी ज्यादा लगती है.लोगों की माने तो विधायक महोदय से जब भी किसी ने विकास की बात करनी चाही तो सोशल मीडिया में विकास दिखा दिया गया.सिर्फ चमचों की मौज रही, जनता की फौज को दरकिनार कर दिया गया.सोनहत जैसी जगह में रेत माफिया ने सिर उठाया तो किसी का मुंह नहीं खुला.

सालों पुराना मिथक भी कायम : भरतपुर सोनहत में हसदेव उद्गम से भी जुड़ा एक मिथक है.ऐसा कहा जाता है कि जिस नेता ने इस जगह पर निर्माण कार्य कराया वो दोबारा चुनाव नहीं जीत सका. पूर्व सांसद डॉ. चरणदास महंत ने उद्गम स्थल में शिवमंदिर का जीर्णोद्धार करवाया था.इसके बाद वो सांसद का चुनाव हार गए .इसके बाद पूर्व विधायक चंपा देवी पावले ने भी निर्माण कार्य करवाया. उन्हें भी हार का सामना करना पड़ा. पर्यटन संभावनाओं को देखकर गुलाब कमरों ने यहां काफी काम करवाया.लेकिन नतीजा आपके सामने हैं.

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गलती बताने वालों पर भड़कते थे विधायक : जनता के बीच से चुना गया नेता जनता के लिए होता है.लेकिन पद मिलने के बाद नेताओं को शॉर्ट टाइम मेमोरी लॉस की बीमारी ज्यादा लगती है.लोगों की माने तो विधायक महोदय से जब भी किसी ने विकास की बात करनी चाही तो सोशल मीडिया में विकास दिखा दिया गया.सिर्फ चमचों की मौज रही, जनता की फौज को दरकिनार कर दिया गया.सोनहत जैसी जगह में रेत माफिया ने सिर उठाया तो किसी का मुंह नहीं खुला.

सालों पुराना मिथक भी कायम : भरतपुर सोनहत में हसदेव उद्गम से भी जुड़ा एक मिथक है.ऐसा कहा जाता है कि जिस नेता ने इस जगह पर निर्माण कार्य कराया वो दोबारा चुनाव नहीं जीत सका. पूर्व सांसद डॉ. चरणदास महंत ने उद्गम स्थल में शिवमंदिर का जीर्णोद्धार करवाया था.इसके बाद वो सांसद का चुनाव हार गए .इसके बाद पूर्व विधायक चंपा देवी पावले ने भी निर्माण कार्य करवाया. उन्हें भी हार का सामना करना पड़ा. पर्यटन संभावनाओं को देखकर गुलाब कमरों ने यहां काफी काम करवाया.लेकिन नतीजा आपके सामने हैं.

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