ETV Bharat / state

Ram Van Gaman Padyatra: राम वन गमन पदयात्रा पर निकले मनोज चतुर्वेदी का सोनहत में किया गया स्वागत, इसलिए खास है सीतामढ़ी

Ram Van Gaman Padyatra:राम वन गमन पदयात्रा पर निकले मनोज चतुर्वेदी का सोनहत में भव्य स्वागत किया गया. भरतरपुर विधायक गुलाब कमरो भी कुछ देर तक उनके साथ पदयात्रा में शामिल हुए. आइए जानते हैं कि सीतामढ़ी हरचौका क्यों खास है.

Manoj Chaturvedi on Ram Van Gaman Padyatra
राम वन गमन पदयात्रा पर निकले मनोज चतुर्वेदी
author img

By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Sep 10, 2023, 5:48 PM IST

Updated : Sep 10, 2023, 6:33 PM IST

मनोज चतुर्वेदी का सोनहत में किया गया स्वागत

मनेद्रगढ़ चिरमिरी भरतपुर: जिले में राम वन गमन पथ पदयात्रा पर निकले हैं रेलवे कर्मचारी मनोज चतुर्वेदी सोनहत पहुंचे हैं. पिछले 6 दिनों से ये पदयात्रा कर रहे हैं. सीतामढ़ी हरचौका से शुरू हुई इनकी पदयात्रा रामाराम सुकमा में खत्म होगी. सोनहत में कांग्रेस विधायक गुलाब कमरो भी कुछ देर तक मनोज चतुर्वेदी की पदयात्रा में शामिल हुए. इस दौरान सोनहत में इनका भव्य स्वागत किया गया.

राम के वनवास का पहला पड़ाव: आइए आपको हम बताते हैं कि सीतामढ़ी क्यों खास है. दरअसल, जिले के विकासखंड भरतपुर सांस्कृतिक विविधताओं और पुरातात्विक अवशेषों से भरा हुआ है. इस भू भाग को राम वन गमन पथ के तौर पर विकसित किया जा रहा है. यहां भगवान राम ने वनवास के दौरान भगवान शिव की आराधना की थी. भगवान शिव के शिवलिंग की भी स्थापना की थी. एमसीबी जिला मुख्यालय से लगभग 150 किलोमीटर दूर कठौतिया केल्हारी जनकपुर होकर पहुंचा जाता है.सीतामढ़ी हरचौका जहां, भगवान रामचंद्र जी का दक्षिण कौशल (छत्तीसगढ़) में प्रथम पड़ाव हुआ था.

5 सितंबर 2023 को रामवनगमन सीतामढ़ी हरचौका से पदयात्रा की शुरुआत की है. सीतामढ़ी हर चौका मनेन्द्रगढ़ चिरमिरी भरतपुर जिला के अंतर्गत पड़ता है. बगल में ही मध्य प्रदेश की सीमा है. मवई नदी के तट पर सीतामढ़ी है. ये भगवान राम के वनवास के दौरान का प्रथम पड़ाव था. मैं अपनी यात्रा यहीं से शुरू कर रामाराम कोंटा में खत्म करूंगा. -मनोज चतुर्वेदी, राम वन गमन, पदयात्री

Manendragarh Chirmiri Bharatpur: एमसीबी का सीतामढ़ी, जहां बीता था भगवान राम के वनवास का पहला चौमासा
Ram Vanagaman Path: सीतामढ़ी हरचौका में भगवान राम की विशाल मूर्ति बनकर तैयार, सीएम करेंगे उद्घाटन
Ram Navami 2023 कोरबा के सीतामढ़ी में वनवास के दौरान आए थे प्रभु श्रीराम लक्ष्मण और माता सीता !

कोरिया में किया था प्रवेश: रामचंद्र जी को राजा दशरथ के वनवास का आदेश मिलते ही वह अयोध्या से प्रस्थान कर गए थे. अयोध्यावासी तमसा नदी के तट तक उनके साथ-साथ गए. वहीं उन्हें अंतिम विदाई दी थी. कहा जाता है कि वहां से भगवान राम तमसा नदी पार कर वाल्मीकि ऋषि आश्रम, निषाद राज से भेंट किए. फिर चित्रकूट, प्रयागराज होते हुए एमसीबी अविभाजित कोरिया जिले के मवई नदी के तट के किनारे होते हुए दंडकारणय में प्रवेश किया.

सीतामढी हरचौका में 17 कक्ष बनाए गए: इसके बाद दक्षिण कौशल (छत्तीसगढ़) में मवई नदी के तट को पार कर भरतपुर विकासखंड के सीतामढ़ी हरचौका पहुंचे. यह छत्तीसगढ़ के वनवास काल का पहला पड़ाव भगवान रामचंद्र जी माता सीता और भाई लक्ष्मण के साथ था. सीतामढ़ी हरचौका की प्राकृतिक गुफाओं को काटकर 17 कक्ष बनाए गए थे. इनमें द्वादश शिवलिंग के लिए अलग-अलग कक्ष बनाए गए. यहीं, माता सीता भगवान शिव का पूजा-अर्चना करती थी और प्रभु राम ने माता सीता और लक्ष्मण के साथ कुछ समय यहां गुजारा.

छत्तीसगढ़ में राम वन गमन पथ की कुल लंबाई 528 किलोमीटर: हरचौका यानी कि हरि का चौका. सीतामढ़ी यानी कि सीता की रसोई के नाम से यह स्थान सीतामढ़ी हरचौका के नाम से जाना जाता है. इसके बाद घाघरा कोटाडोल और छतोड़ा आश्रम होते हुए बैकुंठपुर, सूरजपुर, विश्रामपुर होते हुए अंबिकापुर पहुंचे. उन्होंने वनवास काल का समय बिताया और आगे की यात्रा की. राम वन गमन पथ का अधिकांश हिस्सा छत्तीसगढ़ से गुजर रहा है. इसमें अविभाजित कोरिया वर्तमान एमसीबी जिले के सीतामढ़ी हरचौका से लेकर रामाराम (सुकमा) तक का हिस्सा शामिल है. छत्तीसगढ़ में राम वन गमन पथ की कुल लंबाई 528 किलोमीटर है.

मनोज चतुर्वेदी का सोनहत में किया गया स्वागत

मनेद्रगढ़ चिरमिरी भरतपुर: जिले में राम वन गमन पथ पदयात्रा पर निकले हैं रेलवे कर्मचारी मनोज चतुर्वेदी सोनहत पहुंचे हैं. पिछले 6 दिनों से ये पदयात्रा कर रहे हैं. सीतामढ़ी हरचौका से शुरू हुई इनकी पदयात्रा रामाराम सुकमा में खत्म होगी. सोनहत में कांग्रेस विधायक गुलाब कमरो भी कुछ देर तक मनोज चतुर्वेदी की पदयात्रा में शामिल हुए. इस दौरान सोनहत में इनका भव्य स्वागत किया गया.

राम के वनवास का पहला पड़ाव: आइए आपको हम बताते हैं कि सीतामढ़ी क्यों खास है. दरअसल, जिले के विकासखंड भरतपुर सांस्कृतिक विविधताओं और पुरातात्विक अवशेषों से भरा हुआ है. इस भू भाग को राम वन गमन पथ के तौर पर विकसित किया जा रहा है. यहां भगवान राम ने वनवास के दौरान भगवान शिव की आराधना की थी. भगवान शिव के शिवलिंग की भी स्थापना की थी. एमसीबी जिला मुख्यालय से लगभग 150 किलोमीटर दूर कठौतिया केल्हारी जनकपुर होकर पहुंचा जाता है.सीतामढ़ी हरचौका जहां, भगवान रामचंद्र जी का दक्षिण कौशल (छत्तीसगढ़) में प्रथम पड़ाव हुआ था.

5 सितंबर 2023 को रामवनगमन सीतामढ़ी हरचौका से पदयात्रा की शुरुआत की है. सीतामढ़ी हर चौका मनेन्द्रगढ़ चिरमिरी भरतपुर जिला के अंतर्गत पड़ता है. बगल में ही मध्य प्रदेश की सीमा है. मवई नदी के तट पर सीतामढ़ी है. ये भगवान राम के वनवास के दौरान का प्रथम पड़ाव था. मैं अपनी यात्रा यहीं से शुरू कर रामाराम कोंटा में खत्म करूंगा. -मनोज चतुर्वेदी, राम वन गमन, पदयात्री

Manendragarh Chirmiri Bharatpur: एमसीबी का सीतामढ़ी, जहां बीता था भगवान राम के वनवास का पहला चौमासा
Ram Vanagaman Path: सीतामढ़ी हरचौका में भगवान राम की विशाल मूर्ति बनकर तैयार, सीएम करेंगे उद्घाटन
Ram Navami 2023 कोरबा के सीतामढ़ी में वनवास के दौरान आए थे प्रभु श्रीराम लक्ष्मण और माता सीता !

कोरिया में किया था प्रवेश: रामचंद्र जी को राजा दशरथ के वनवास का आदेश मिलते ही वह अयोध्या से प्रस्थान कर गए थे. अयोध्यावासी तमसा नदी के तट तक उनके साथ-साथ गए. वहीं उन्हें अंतिम विदाई दी थी. कहा जाता है कि वहां से भगवान राम तमसा नदी पार कर वाल्मीकि ऋषि आश्रम, निषाद राज से भेंट किए. फिर चित्रकूट, प्रयागराज होते हुए एमसीबी अविभाजित कोरिया जिले के मवई नदी के तट के किनारे होते हुए दंडकारणय में प्रवेश किया.

सीतामढी हरचौका में 17 कक्ष बनाए गए: इसके बाद दक्षिण कौशल (छत्तीसगढ़) में मवई नदी के तट को पार कर भरतपुर विकासखंड के सीतामढ़ी हरचौका पहुंचे. यह छत्तीसगढ़ के वनवास काल का पहला पड़ाव भगवान रामचंद्र जी माता सीता और भाई लक्ष्मण के साथ था. सीतामढ़ी हरचौका की प्राकृतिक गुफाओं को काटकर 17 कक्ष बनाए गए थे. इनमें द्वादश शिवलिंग के लिए अलग-अलग कक्ष बनाए गए. यहीं, माता सीता भगवान शिव का पूजा-अर्चना करती थी और प्रभु राम ने माता सीता और लक्ष्मण के साथ कुछ समय यहां गुजारा.

छत्तीसगढ़ में राम वन गमन पथ की कुल लंबाई 528 किलोमीटर: हरचौका यानी कि हरि का चौका. सीतामढ़ी यानी कि सीता की रसोई के नाम से यह स्थान सीतामढ़ी हरचौका के नाम से जाना जाता है. इसके बाद घाघरा कोटाडोल और छतोड़ा आश्रम होते हुए बैकुंठपुर, सूरजपुर, विश्रामपुर होते हुए अंबिकापुर पहुंचे. उन्होंने वनवास काल का समय बिताया और आगे की यात्रा की. राम वन गमन पथ का अधिकांश हिस्सा छत्तीसगढ़ से गुजर रहा है. इसमें अविभाजित कोरिया वर्तमान एमसीबी जिले के सीतामढ़ी हरचौका से लेकर रामाराम (सुकमा) तक का हिस्सा शामिल है. छत्तीसगढ़ में राम वन गमन पथ की कुल लंबाई 528 किलोमीटर है.

Last Updated : Sep 10, 2023, 6:33 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.