एमसीबी: वनांचल क्षेत्र जनकपुर में बारिश के मौसम में घरों में सांप निकलने और सर्पदंश की समस्या बनी ही रहती है. एक ऐसे ही मामले में रविवार को जनकपुर के घाघरा गांव में रहने वाली 12 साल की बच्ची को जहरीले करैत सांप ने डस लिया. आनन-फानन में परिजन जब बच्ची को लेकर अस्पताल पहुंचे तो वहां एंटी स्नेक वेनम ही नहीं था. बाहर की दवा दुकानों पर भी मां बाप ने दौड़ लगाई, लेकिन कामयाबी नहीं मिली और थोड़ी ही देर बाद बच्ची की जान चली गई. इसे लेकर ग्रामीणों में अस्पताल प्रबंधन को लेकर गुस्सा है.
पिता को बताई बिस्तर में सांप होने की बात: उषा पनिका (12) और पिता रामदास पनिका दोनों घर के अंदर जमीन पर ही मच्छरदानी लगा कर सोए हुए थे. सुबह उषा पनिका ने जब बिस्तर पर सांप को देखा तो उसने पिता को बताया कि बिस्तर में सांप है. रामदास पानिका ने बिस्तर में करैत सांप को देखते ही मार दिया. इसके बाद उषा पनिका ने बताया कि सांप ने उसे काट लिया है. जानकारी मिलने के बाद 108 की मदद से उषा को जनकपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में लाया गया. जब उषा अस्पताल पहुंची तब तक उसकी स्थिति गंभीर हो चुकी थी. पिता रामदास पनिका का आरोप है कि उषा पनिका को अस्पताल में भर्ती करा दिया गया, लेकिन दवाई के अभाव में उसकी मौत हो गई.
डॉक्टरों ने मुझे एक पर्ची में इंजेक्शन का नाम लिख कर दिया. जो न ही अस्पताल में था और न ही मार्केट में मिला. इंजेक्शन मिल जाता तो मेरी बिटिया बच जाती. -रामदास पनिका, पिता
बीएमओ ने आरोपों को नकारा, देर से लाने की कही बात: इस मामले में ईटीवी भारत ने जनकपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के बीएमओ डॉक्टर राजीव कुमार रमन से बातचीत की. उन्होंने आरोपों को सिरे से नकार दिया. उन्होंने हाॅस्पिटल में एंटी स्नेक वेनम इंजेक्शन उपलब्ध होने की बात कही. साथ ही परिजनों की ओर से लड़की को हाॅस्पिटल लाने में देर करने का दावा किया.
हमारे पास स्टॉक में 300 एंटी स्नेक वेनम का इंजेक्शन पड़ा हुआ है. अस्पताल के वार्ड में भी एंटी वेनम का इंजेक्शन रखा हुआ है. लड़की को अस्पताल लाने में उसके परिजनों ने बहुत देर कर दी थी. समय रहते आ गई होती तो हम उसे बचा लेते. -डाॅ राजीव कुमार रमन, बीएमओ, जनकपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र
बंद रहता है घाघरा स्वास्थ्य केंद्र, इसलिए जनकपुर लाना मजबूरी: मामले की जानकारी मिलते ही जनकपुर पुलिस भी अस्पताल पहुंची और पोस्टमार्टम के बाद शव परिजनों को सौंप दिया. घाघरा के सरपंच ज्ञानेंद्र सिंह के मुताबिक घाघरा में उप स्वास्थ्य केंद्र है, लेकिन कर्मचारियों के हड़ताल पर होने की वजह से वह बंद ही रहता है. वहां दवाई नहीं होती है. इसलिए जनकपुर जाना मजबूरी है.
हाॅस्पिटल में एंटी स्नेक वेनम की उपलब्धता और मरीज का समय पर अस्पताल पहुंचना, दोनों ही निहायत जरूरी है. घाघरा गांव की बच्ची के मामले में पिता के आरोप सही हैं या बीएमओ के दावे, ये तो जांच का विषय है. लेकिन बारिश के मौसम में इस तरक के केस में बिना समय गंवाए हाॅस्पिटल पहुंचना ही जान बचाने का एकमात्र रास्ता है.