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महासमुंद: कमरछठ पर कोरोना का कहर, फीकी पड़ी त्योहार की रौनक - कोरोना का असर

संतान की सुख-समृद्धि दीर्घायु की कामना के लिए महिलाओं ने रविवार को हलषष्ठी निर्जला व्रत रखा. व्रती महिलाओं ने षष्ठी मैया का पूजन किया. इसके साथ ही पूजन में कोरोना वायरस का खौफ भी देखने को मिला.

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कमरछठ त्योहार पर दिखा कोरोना का असर
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Published : Aug 10, 2020, 12:20 AM IST

Updated : Aug 10, 2020, 3:34 PM IST

महासमुंद: कोरोना का असर अब त्योहारों में भी दिखने लगा है. हलषष्ठी त्योहार में जहां मां अपने बच्चों के लिए उपवास रहकर व्रत रखती है. संतानों की दीर्घायु की कामना करती है. साथ ही महिलाओं के साथ एकत्रित होकर पूजा में शामिल होती थी, लेकिन इस बार कोरोना की डर से पूजा के दौरान महिलाओं की संख्या कम देखने को मिली. साथ ही पहले जिस पूजा विधि विधान से 4 से 5 घंटे लगते थे. उसे दो ढाई घंटे में ही खत्म कर दिया दिया.

Women wished for happiness and prosperity of their children
महिलाओं ने अपने बच्चों की सुख-समृद्धि की कामना की

दरअसल, संतान की सुख-समृद्धि दीर्घायु की कामना के लिए महिलाओं ने रविवार को हलषष्ठी निर्जला व्रत रखा. व्रती महिलाओं ने षष्ठी मैया का पूजन किया. धार्मिक मान्यता है कि हल षष्ठि का व्रत रखकर पूजन करने वाली महिलाओं के पुत्र समस्त विघ्नों से मुक्त हो जाते हैं. यह व्रत भगवान श्री कृष्ण के बड़े भाई बलराम के जन्म उत्सव के रूप में मनाया जाता है.

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पूजन में कोरोना वायरस का खौफ

महिलाओं ने अपने-अपने संतान की दीर्घायु की कामना की

मान्यताओं के मुताबिक बलराम का प्रमुख शास्त्र हल था. इसलिए इसे हलषष्ठि कहते हैं. कहीं-कहीं इसे लल्ली छठ का व्रत भी कहते हैं. दिनभर महिलाओं ने भजन-कीर्तन भी किया. व्रती महिलाओं ने षष्ठी मैया का विधि-विधान पूजा अर्चन कर अपने-अपने संतान की दीर्घायु की कामना की. छठ व्रत की पूजा के लिए महिलाएं 6 छोटे मिट्टी के पात्र रखी थी, जिन्हें कुंढवा कहते हैं. साथ ही भुने हुए अनाज औि मेवा भारती हैं.

कोरोना के कारण लोगों में डर का माहौल
इसके साथ ही छियुल, सरपत, कुशा, बैर एक शाखा, पलाश की एक शाखा को जमीन में गाड़ कर पूजा अर्चना की गई. साथ ही अपने पुत्र की लंबी आयु के लिए महिलाओं ने मंगल गीत भी गाया. वहीं महिलाएं भैंस के दूध से बने दही, महुआ और फसाई के चावल को पलाश के पत्ते पर रखकर खाया. साथ ही व्रत का समापन किया. इस बार महिलाओं का भी कहना है कि जो हमारे इस व्रत और पूजा में बुजुर्ग महिलाएं होती हैं. वह नहीं रहे जिसके कारण हमें इस पूजा में 6 कहानियां भी सुन्नी रहती थी. वह कार्य बुजुर्ग महिलाएं संपन्न करती थी. कम कहानियों में ही संपन्न हुआ. कोरोना के कारण लोगों में डर का माहौल भी दिख रहा था.

महासमुंद: कोरोना का असर अब त्योहारों में भी दिखने लगा है. हलषष्ठी त्योहार में जहां मां अपने बच्चों के लिए उपवास रहकर व्रत रखती है. संतानों की दीर्घायु की कामना करती है. साथ ही महिलाओं के साथ एकत्रित होकर पूजा में शामिल होती थी, लेकिन इस बार कोरोना की डर से पूजा के दौरान महिलाओं की संख्या कम देखने को मिली. साथ ही पहले जिस पूजा विधि विधान से 4 से 5 घंटे लगते थे. उसे दो ढाई घंटे में ही खत्म कर दिया दिया.

Women wished for happiness and prosperity of their children
महिलाओं ने अपने बच्चों की सुख-समृद्धि की कामना की

दरअसल, संतान की सुख-समृद्धि दीर्घायु की कामना के लिए महिलाओं ने रविवार को हलषष्ठी निर्जला व्रत रखा. व्रती महिलाओं ने षष्ठी मैया का पूजन किया. धार्मिक मान्यता है कि हल षष्ठि का व्रत रखकर पूजन करने वाली महिलाओं के पुत्र समस्त विघ्नों से मुक्त हो जाते हैं. यह व्रत भगवान श्री कृष्ण के बड़े भाई बलराम के जन्म उत्सव के रूप में मनाया जाता है.

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पूजन में कोरोना वायरस का खौफ

महिलाओं ने अपने-अपने संतान की दीर्घायु की कामना की

मान्यताओं के मुताबिक बलराम का प्रमुख शास्त्र हल था. इसलिए इसे हलषष्ठि कहते हैं. कहीं-कहीं इसे लल्ली छठ का व्रत भी कहते हैं. दिनभर महिलाओं ने भजन-कीर्तन भी किया. व्रती महिलाओं ने षष्ठी मैया का विधि-विधान पूजा अर्चन कर अपने-अपने संतान की दीर्घायु की कामना की. छठ व्रत की पूजा के लिए महिलाएं 6 छोटे मिट्टी के पात्र रखी थी, जिन्हें कुंढवा कहते हैं. साथ ही भुने हुए अनाज औि मेवा भारती हैं.

कोरोना के कारण लोगों में डर का माहौल
इसके साथ ही छियुल, सरपत, कुशा, बैर एक शाखा, पलाश की एक शाखा को जमीन में गाड़ कर पूजा अर्चना की गई. साथ ही अपने पुत्र की लंबी आयु के लिए महिलाओं ने मंगल गीत भी गाया. वहीं महिलाएं भैंस के दूध से बने दही, महुआ और फसाई के चावल को पलाश के पत्ते पर रखकर खाया. साथ ही व्रत का समापन किया. इस बार महिलाओं का भी कहना है कि जो हमारे इस व्रत और पूजा में बुजुर्ग महिलाएं होती हैं. वह नहीं रहे जिसके कारण हमें इस पूजा में 6 कहानियां भी सुन्नी रहती थी. वह कार्य बुजुर्ग महिलाएं संपन्न करती थी. कम कहानियों में ही संपन्न हुआ. कोरोना के कारण लोगों में डर का माहौल भी दिख रहा था.

Last Updated : Aug 10, 2020, 3:34 PM IST
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