महासमुंद: आए दिन हाथी किसानों की फसलों को नुकसान पहुंचाते हैं, लेकिन अब एक हाथी ही उनकी फसलों की रक्षा कर रहा है. सुनने में ये बात जरूर अजीब लग रही होगी, लेकिन ये ग्रामीणों की आस्था से जुड़ा हुआ है. आइए जानते हैं इसके पीछे की कहानी.
इस विशाल हाथी की मूर्ति को गांव वालों ने यहां इसलिए रखा है ताकि हाथियों को गांव की ओर आने से रोका जा सके, जो बार-बार उनकी फसलों को नुकसान पहुंचाते हैं. ग्रामीणों का मानना है कि भगवान गणेश की मूर्ति की स्थापना कर पूजा-पाठ करने से हाथियों का आतंक रुक गया है.
ग्रामीणों ने 10 फीट की बनाई मूर्ति
ग्रामीणों ने अपने गांव और जंगल की सीमा पर 10 फीट के एक हाथी की प्रतिमा की स्थापना की और पूजा-पाठ कर गजानन से फसलों की रक्षा करने की दुआ मांगी है. ग्रामीणों का कहना है कि ऐसा करने से गांव में हाथी नहीं आ रहे हैं. वहीं इस मामले में वन विभाग के आला अधिकारी का कहना है कि यह ग्रामीणों के आस्था की बात है. इस पर वन विभाग की कोई टिप्पणी नहीं है.
5 सालों से हाथियों के आतंक से परेशान
बता दें कि महासमुंद क्षेत्र के कुल 52 गांव कुकराडी, परसाडीह, केडियाडीह, लहंगर, गुडरुडीह, खिरशाली, बोरिद, बिरबिरा समेत कई गांव हाथियों के आतंक से परेशान हैं. 5 सालों में हाथियों ने लगभग 15 लोगों को मौत के घाट उतार दिया है, वहीं डेढ़ दर्जन से ज्यादा लोग घायल हुए हैं और लगभग 1000 हेक्टेयर की फसल बर्बाद हो चुकी है.
फसलों को पहुंचाते हैं नुकसान
वन विभाग हाथियों को खदेड़ने के नाम पर लाखों रुपए बर्बाद कर चुका है. इसके साथ ही हाथियों को खदेड़ने के लिए अलग-अलग तरीके भी अपना चुका है, लेकिन बावजूद इसके ग्रामीणों को हाथियों के आतंक से निजात नहीं मिल पाई है. 22 हाथियों का दल आए दिन फसलों को नुकसान पहुंचा रहा है. महासमुंद वन परिक्षेत्र के गांव कुकराडीह के 700 एकड़ में झाड़ है, जो हाथियों के लिए काफी अनुकूल है. इसी कारण हाथी आए दिन कुकराडीह में डेरा डाले रहते हैं और शाम होते ही आस-पास के इलाकों में फसलों को नुकसान पहुंचाते हैं. बता दें कि कि वन विभाग ग्रामीणों की इस पूरी कवायद को उनकी आस्था से जोड़कर देख रहा है पर हकीकत में तो ये पूरी कवायद वन विभाग के कर्मचारियों के निगरानी में हुई है.