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हाथियों के आतंक से बचा रहे 'गजानन', किसानों की दुआ हुई कबूल - महासमुंद न्यूज

ग्रामीणों ने अपने गांव में एक विशाल हाथी की मूर्ति बनाई है, जिसे जंगल की सीमा पर पूजा-पाठ कर स्थापित किया है. ग्रामीणों का कहना है कि ऐसा करने से गांव में हाथी नहीं आ रहे हैं.

ग्रामीणों ने गांव में बनवाया हाथी की प्रतिमा
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Published : Sep 19, 2019, 2:55 PM IST

Updated : Sep 20, 2019, 10:04 AM IST

महासमुंद: आए दिन हाथी किसानों की फसलों को नुकसान पहुंचाते हैं, लेकिन अब एक हाथी ही उनकी फसलों की रक्षा कर रहा है. सुनने में ये बात जरूर अजीब लग रही होगी, लेकिन ये ग्रामीणों की आस्था से जुड़ा हुआ है. आइए जानते हैं इसके पीछे की कहानी.

हाथियों के आंतक से बचा रहे 'गजानन'

इस विशाल हाथी की मूर्ति को गांव वालों ने यहां इसलिए रखा है ताकि हाथियों को गांव की ओर आने से रोका जा सके, जो बार-बार उनकी फसलों को नुकसान पहुंचाते हैं. ग्रामीणों का मानना है कि भगवान गणेश की मूर्ति की स्थापना कर पूजा-पाठ करने से हाथियों का आतंक रुक गया है.

ग्रामीणों ने 10 फीट की बनाई मूर्ति
ग्रामीणों ने अपने गांव और जंगल की सीमा पर 10 फीट के एक हाथी की प्रतिमा की स्थापना की और पूजा-पाठ कर गजानन से फसलों की रक्षा करने की दुआ मांगी है. ग्रामीणों का कहना है कि ऐसा करने से गांव में हाथी नहीं आ रहे हैं. वहीं इस मामले में वन विभाग के आला अधिकारी का कहना है कि यह ग्रामीणों के आस्था की बात है. इस पर वन विभाग की कोई टिप्पणी नहीं है.

5 सालों से हाथियों के आतंक से परेशान
बता दें कि महासमुंद क्षेत्र के कुल 52 गांव कुकराडी, परसाडीह, केडियाडीह, लहंगर, गुडरुडीह, खिरशाली, बोरिद, बिरबिरा समेत कई गांव हाथियों के आतंक से परेशान हैं. 5 सालों में हाथियों ने लगभग 15 लोगों को मौत के घाट उतार दिया है, वहीं डेढ़ दर्जन से ज्यादा लोग घायल हुए हैं और लगभग 1000 हेक्टेयर की फसल बर्बाद हो चुकी है.

फसलों को पहुंचाते हैं नुकसान
वन विभाग हाथियों को खदेड़ने के नाम पर लाखों रुपए बर्बाद कर चुका है. इसके साथ ही हाथियों को खदेड़ने के लिए अलग-अलग तरीके भी अपना चुका है, लेकिन बावजूद इसके ग्रामीणों को हाथियों के आतंक से निजात नहीं मिल पाई है. 22 हाथियों का दल आए दिन फसलों को नुकसान पहुंचा रहा है. महासमुंद वन परिक्षेत्र के गांव कुकराडीह के 700 एकड़ में झाड़ है, जो हाथियों के लिए काफी अनुकूल है. इसी कारण हाथी आए दिन कुकराडीह में डेरा डाले रहते हैं और शाम होते ही आस-पास के इलाकों में फसलों को नुकसान पहुंचाते हैं. बता दें कि कि वन विभाग ग्रामीणों की इस पूरी कवायद को उनकी आस्था से जोड़कर देख रहा है पर हकीकत में तो ये पूरी कवायद वन विभाग के कर्मचारियों के निगरानी में हुई है.

महासमुंद: आए दिन हाथी किसानों की फसलों को नुकसान पहुंचाते हैं, लेकिन अब एक हाथी ही उनकी फसलों की रक्षा कर रहा है. सुनने में ये बात जरूर अजीब लग रही होगी, लेकिन ये ग्रामीणों की आस्था से जुड़ा हुआ है. आइए जानते हैं इसके पीछे की कहानी.

हाथियों के आंतक से बचा रहे 'गजानन'

इस विशाल हाथी की मूर्ति को गांव वालों ने यहां इसलिए रखा है ताकि हाथियों को गांव की ओर आने से रोका जा सके, जो बार-बार उनकी फसलों को नुकसान पहुंचाते हैं. ग्रामीणों का मानना है कि भगवान गणेश की मूर्ति की स्थापना कर पूजा-पाठ करने से हाथियों का आतंक रुक गया है.

ग्रामीणों ने 10 फीट की बनाई मूर्ति
ग्रामीणों ने अपने गांव और जंगल की सीमा पर 10 फीट के एक हाथी की प्रतिमा की स्थापना की और पूजा-पाठ कर गजानन से फसलों की रक्षा करने की दुआ मांगी है. ग्रामीणों का कहना है कि ऐसा करने से गांव में हाथी नहीं आ रहे हैं. वहीं इस मामले में वन विभाग के आला अधिकारी का कहना है कि यह ग्रामीणों के आस्था की बात है. इस पर वन विभाग की कोई टिप्पणी नहीं है.

5 सालों से हाथियों के आतंक से परेशान
बता दें कि महासमुंद क्षेत्र के कुल 52 गांव कुकराडी, परसाडीह, केडियाडीह, लहंगर, गुडरुडीह, खिरशाली, बोरिद, बिरबिरा समेत कई गांव हाथियों के आतंक से परेशान हैं. 5 सालों में हाथियों ने लगभग 15 लोगों को मौत के घाट उतार दिया है, वहीं डेढ़ दर्जन से ज्यादा लोग घायल हुए हैं और लगभग 1000 हेक्टेयर की फसल बर्बाद हो चुकी है.

फसलों को पहुंचाते हैं नुकसान
वन विभाग हाथियों को खदेड़ने के नाम पर लाखों रुपए बर्बाद कर चुका है. इसके साथ ही हाथियों को खदेड़ने के लिए अलग-अलग तरीके भी अपना चुका है, लेकिन बावजूद इसके ग्रामीणों को हाथियों के आतंक से निजात नहीं मिल पाई है. 22 हाथियों का दल आए दिन फसलों को नुकसान पहुंचा रहा है. महासमुंद वन परिक्षेत्र के गांव कुकराडीह के 700 एकड़ में झाड़ है, जो हाथियों के लिए काफी अनुकूल है. इसी कारण हाथी आए दिन कुकराडीह में डेरा डाले रहते हैं और शाम होते ही आस-पास के इलाकों में फसलों को नुकसान पहुंचाते हैं. बता दें कि कि वन विभाग ग्रामीणों की इस पूरी कवायद को उनकी आस्था से जोड़कर देख रहा है पर हकीकत में तो ये पूरी कवायद वन विभाग के कर्मचारियों के निगरानी में हुई है.

Intro:एंकर - हाथी के आतंक से परेशान महासमुंद जिले के ग्रामीणों ने लिया गणेश भगवान की शरण गजानन भगवान उनके फसलों की करिए रक्षा जी हां ऐसा सुनकर आपको आश्चर्य जरूर लग रहा होगा पर यह हकीकत है 5 सालों में जब वन विभाग हाथियों को आदरणीय में नाकाम रहा तो ग्रामीण थक हार कर गणेश भगवान के शरण में गए और गजानन की मूर्ति की स्थापना कर उनसे रक्षा करने एवं फसलों को बचाने की फरियाद कर रहे हैं देखिए यह रिपोर्ट....


Body:वीओ 1 - महासमुंद जिले के महासमुंद क्षेत्र के 52 गांव कुकराडी, परसाडीह, केडियाडीह, लहंगर, गुडरुडीह, ख़िरशाली, बोरिद, बिरबिरा, आदि पिछले 5 सालों से हाथी के आतंक से परेशान हैं इन 5 सालों में हाथियों ने 15 लोगों को मौत के घाट एवं डेढ़ दर्जन से ज्यादा लोगों को घायल कर चुके हैं और लगभग 1000 हेक्टेयर की फसल बर्बाद कर चुके हैं वन विभाग हाथी को खदेड़ने के लिए अलग-अलग तरीका अपनाते हुए करोड़ों रुपए खर्च कर चुकी है पर आज तक ग्रामीणों को हाथी के आतंक से छुटकारा नहीं मिल पाया 22 हाथियों का दल आए दिन फसलों को नुकसान पहुंचा रहे हैं महासमुंद वन परिक्षेत्र मैं ग्राम कुकराडीह के 700 एकड़ में झाड़ है जो हाथियों के लिए काफी अनुकूल है यही कारण है कि हाथी आए दिन कुकरा डीके बंजारों में डेरा डाले रहते हैं और शाम होते ही आसपास के इलाकों में फसलों को नुकसान पहुंचाते हैं वन विभाग के द्वारा हाथी खदेड़ने के नाम पर लाखों रुपए के बाद गांव वालों को निजात नहीं मिला गणेश भगवान की मूर्ति की स्थापना कर पूजा पाठ करने से हाथियों के आतंक पर विराम लग जाएगा उसके बाद कुकरडीह, परसाडीह, तेन्दुवाही के सैकड़ों ग्रामीणों ने अपने गांव से सटे जंगल के शुरुआत में एक हाथी की प्रतिमा की स्थापना की और पूजा पाठ कर गजानन से फसलों की रक्षा करने की अपील की ग्रामीणों का कहना है कि ऐसा करने से हमारे गांव में हाथी नहीं आ रहा है।


Conclusion:वीओ 2 - इस पूरे मामले में अपने आप को फेल मान चुके वन विभाग के आला अधिकारी का कहना है कि यह ग्रामीणों के आस्था की बात है इस पर वन विभाग का कोई टीका टिप्पणी नहीं है गौरतलब है कि वन विभाग इस पूरे कवायद को ग्रामीणों के आस्था से जोड़कर देख रही है पर हकीकत है कि यह पूरी कवायद वन विभाग के कर्मचारियों के निगरानी में हुआ।

बाइट 1 - जीवन लाल साहू ग्रामीण कुकराडीह पहचान पीले कलर का हाफ टीशर्ट।

बाइट 2 - राधेलाल सिन्हा ग्रामीण लहंगर पहचान प्लेन शर्ट सामने के जेब में पेन और मोबाइल में रखा हुआ।

बाइट 3 - मयंक पाण्डेय प्रभारी डीएफओ पहचान चश्मा लगा हुआ पीके काले कलर का शर्ट।

हकीमुद्दीन नासिर रिपोर्टर ईटीवी भारत महासमुंद छत्तीसगढ़ मो. 9826555052
Last Updated : Sep 20, 2019, 10:04 AM IST
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