महासमुंद : पेड़ हमारे प्रकृति के लिए काफी जरुरी हैं.पेड़ों के बिना जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती है.लेकिन बढ़ती आबादी और विकास की मांग को देखते हुए हर साल हजारों की संख्या में पेड़ों की बलि चढ़ा दी जाती है.लेकिन अब एक ऐसी तकनीक आई है,जिसके सहारे पेड़ों को बिना काटे ही निर्माण कार्य पूरा किया जा सकता है.छत्तीसगढ़ के महासमुंद में इसी तकनीक के जरिए पेड़ों को एक जगह से हटाकर दूसरी जगह पर शिफ्ट किया जा रहा है.
पेड़ों को ट्रांसप्लांट करने की तकनीक : महासमुंद जिले मे पहली बार नई तकनीक के जरिए बड़े पेड़ों को ट्रांसप्लांट कर बचाने की मुहिम शुरू हुई है. नेशनल हाइवे 353 में बेलसोंडा रेलवे क्रॉसिंग पर बनने वाले ओव्हर ब्रिज के लिए 125 बड़े पेड़ों को काटा जाना है.लेकिन बड़े पेड़ों को बचाने के लिए वन विभाग ने योजना बनाई.जिसके तहत पहले 24 औषधीय पेड़ों को चिन्हित किया गया. इसके बाद पेड़ों को ट्रांसप्लांट करने की शुरूआत हुई.
कैसे हटाए जाते हैं पेड़ ? : वन विभाग ने पहले पेड़ के डाल की छटाई करता है. इसके बाद पेड़ के जड़ों के आसपास जेसीबी की मदद से गहरा गड्ढा खोदा जाता है. जब वन विभाग की टीम पेड़ के जड़ के आखिरी छोर तक पहुंचती है तो जड़ों के निचले हिस्से में छेद करके चारों ओर से मिट्टी के साथ जड़ों को बांधा जाता है.जड़ों को बांधने के बाद क्रेन की मदद से पूरे पेड़ को जमीन से उखाड़ लिया जाता है.
दूसरी जगह गड्ढा खोदकर ट्रांसप्लांट : इसके बाद पेड़ों को वन विभाग चयनित जगह में लेकर जाता है.जहां पहले से ही तैयार किए गए गड्ढों में दवाईयों का छिड़काव किया गया होता है. फिर क्रेन से ही पेड़ को गड्ढे मे उतार कर जड़ों का बंधन खोलकर उसे मिट्टी से पाट दिया जाता है. पेड़ ट्रांसप्लांट वाले मुहिम में लगी फॉरेस्ट टीम के इंचार्ज तोषराम सिन्हा ने बताया कि पेड़ की शिफ्टिंग को चार घंटे के अंदर पूरा किया जाता है. वहीं पेड़ ट्रांसप्लांट के सूत्रधार डीएफओ पंकज राजपूत ने बताया कि किस तरह से कम खर्च में ही पेड़ों का जीवन बचाया जा रहा है. आपको बता दें कि महासमुंद जिले में नई तकनीक से पेड़ों को बचाया जाना एक अनोखी पहल है.जिससे आने वाला कल सुरक्षित रहेगा.