महासमुंद : फिल्म कुली में आपने अमिताभ बच्चन और बाज की वो अटूट दोस्ती देखी होगी जो रियल नहीं रील थी, लेकिन हम आपको एक ऐसे छत्तीसगढ़िया से मिलाएंगे जो रियल लाइफ में कबूतर की जान बचाकर आम लोगों के बीच हीरो बन गया है. आज वो कबूतर मनहरण का सच्चा साथी बनकर उसके कंधे पर बैठा रहता है और उसका साथ कभी नहीं छोड़ता है.
छत्तीसगढ़ का ये हीरो महासमुंद के कोमाखान का रहना वाला है. मनहरण ने कबूतर और अपना दोस्ती की कहानी बताते हुए कहा कि, 'कुछ दिन पहले मैं अपने काम से रायपुर जा रहा था तभी मुझे रास्ते में एक कबूतर का बच्चा दिखा जो उड़ नहीं पा रहा था. इसका शिकार किए बच्चों से मैंने पूछा कि इस कबूतर का तुम लोग क्या करोगे ? जवाब में बच्चों ने कहा इसे वे पकाकर खाएंगे. फिर मैंने कहा कि तुम लोग ये कबूतर मुझे दे दो, बदले में मुझसे पैसे ले लो.
'कबूतर मेरे साथ ही रहना चाहता है'
पढ़ें : प्रदेशभर में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की धूम, कान्हा की एक झलक पाने उमड़ी भक्तों की भीड़
फिर मैंने उस कबूतर को उनसे ले लिया. कुछ दिनों तक मैंने कबूतर की देख-रेख की. जब वो ठीक हो गया और उड़ने लायक हो गया, तो मैं उसे जंगल में छोड़ने गया, लेकिन वो फिर उड़कर मेरे कंधे में आकर बैठ गया. मैंने कई बार कोशिश की कि उसे उड़ा दूं, लेकिन वो बार-बार मेरे कंधे पर आकर बैठ जाता. इससे मुझे ये समझ आ गया कि कबूतर मेरे साथ ही रहना चाहता है.
'नींद आती है, तो मारता है चोंच'
समय बीतता गया मैं और वो एक दूसरे के दोस्त बन गए. हम एक दूसरे की जरूरत को समझने लगे. कबूतर को जब भूख लगती वो नीचे उतर जाता. उसे जब नींद आती है तो वो चोंच से कंधे पर मारने लगता है. मनहरण बताते हैं कि जब वे काम पर जाते हैं तो कबूतर को भी साथ ले जाते हैं. मनहरण इस पक्षी को लेकर कई देवी दर्शन के लिए भी जा चुके हैं. उनका कहना है कि, 'पक्षी भी हमारी ही तरह एक जीव है, जिसे मारना नहीं चाहिए'.
'बिना जानकारी के रखना दंडनीय अपराध'
मनहरण के पक्षी प्रेम को देखकर वन विभाग के आला अधिकारी ने भी इसकी सराहना करते हुए कहा कि, 'जीव की जान बचाना एक अच्छी पहल है. सभी को ऐसा करना चाहिए, लेकिन वन विभाग को सूचित करके. यदि कोई भी व्यक्ति बिना जानकारी के पक्षी को रख रहा है, तो ये दंडनीय अपराध है'.