महासमुंद: छात्र-छात्राओं के लिए शासकीय प्राथमिक और मिडिल स्कूलों में शुरू की गई मध्याह्न भोजन योजना गरीब तबके के बच्चों के लिए वरदान साबित हो रही है. कोरोना संकट की वजह से लगभग 20 दिनों से स्कूल बंद होने की वजह से बच्चों को मिड डे मील का लाभ नहीं मिल पा रहा है. इस योजना को सुचारू रूप से संचालित करने के लिए राज्य सरकार ने बच्चों के पालकों को सूखा राशन देने का फैसला लिया है, जिससे पालकों के चेहरे पर खुशी देखी जा सकती है. इसके साथ ही बच्चे भी खुश हैं.
जिले में 1281 प्राथमिक स्कूल और 491 मिडिल स्कूल संचालित हैं और इन स्कूलों में 1 लाख 21 हजार छात्र-छात्राएं पढ़ाई करते हैं. कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए 13 मार्च 2020 से ही स्कूलों को बंद कर दिया गया. इतने दिनों तक इस वजह से बच्चे मिड डे मील से वंचित रहे. जिसे ध्यान में रखते हुए प्रदेश सरकार ने मध्यान भोजन के लिए उपयोग होने वाले सूखा राशन को वितरित करने का निर्णय लिया. इसके तहत महासमुंद जिले के 1772 स्कूलों में बच्चों के पालकों को सूखा राशन वितरण किया गया.
दिया जा रहा 40 दिनों का राशन
ETV भारत की टीम ने जिले के महावीर शासकीय प्राथमिक स्कूल, कुर्मीपारा और शासकीय उच्चतर प्राथमिक स्कूल, बृजराज में मध्यान भोजन के तहत सूखा राशन वितरण का जायजा लिया. दोनों स्कूलों में 74-74 बच्चों यानी कुल 148 बच्चों के पालकों को सूखा राशन का वितरण किया गया.
प्राथमिक स्कूल के बच्चों को 40 दिन का 4 किलो चावल और 800 ग्राम दाल, इसके साथ ही मिडिल स्कूल के बच्चों को 40 दिन का 6 किलो चावल और 1 किलो 200 ग्राम दाल वितरण किया जा रहा है. वहीं सुखा राशन पाकर बच्चों के पालक काफी खुश हैं. पालकों का कहना है कि इस महामारी में भी सरकार बच्चों के हित की चिंता कर रही है यह अच्छी बात है.
सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए किया वितरण
इस पूरे मामले में स्कूल के प्रधान पाठक और संकुल समन्वयक का कहना है कि शासन के आदेश के अनुसार सभी बच्चों के पलकों को बुलाकर 40 दिन का सूखा राशन दिया जा रहा है. साथ ही सोशल डिस्टेंसिंग भी मेंटेन की जा रही हैं. गौरतलब है कि सूखा राशन वितरण करते समय करोना वायरस के संक्रमण से बचने के सारे उपाय किए गए और राशन का वितरण सुचारू रूप से किया गया.